रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो की रियल-टाइम कनेक्टिविटी के लिए भारतीय वायु सेना को 2,236 करोड़ रुपये के GSAT-7C उपग्रह और ग्राउंड हब की खरीद को मंजूरी दे दी है. मंत्रालय ने कहा कि उपग्रह का पूरा डिजाइन, विकास और प्रक्षेपण भारत में होगा और यह सशस्त्र बलों की ‘लाइन ऑफ साइट’ से परे संवाद करने की क्षमता को बढ़ाएगा. यह फैसला रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की मीटिंग के दौरान लिया गया. इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बतौर अध्यक्ष शामिल हुए.
SAT-7A सबसे नया अपडेट
बैठक के दौरान, 'मेक इन इंडिया' के तहत आधुनिकीकरण और परिचालन जरूरतों के लिए भारतीय वायु सेना के 2,236 करोड़ रुपये की राशि वाले एक पूंजी अधिग्रहण प्रस्ताव को ‘एक्सेप्टेन्स ऑफ नेसेसिटी’ (एओएन) प्रदान की गई. सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) के लिए GSAT-7C सैटेलाइट और ग्राउंड हब को शामिल करने से सशस्त्र बल सभी परिस्थितियों में सुरक्षित मोड में एक दूसरे से बातचीत कर पाएंगे. SAT-7A भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा डिजाइन किए और बनाए गए जीसैट श्रृंखला के भू-समकालिक संचार उपग्रहों में सबसे नया एडिशन है. यह वायु सेना के ग्लोबल ऑपरेशंस और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताओं को बढ़ाएगा.
इसरो ने 19 दिसंबर 2018 को लॉन्च किया था पहला GSAT-7A
GSAT-7A अंतरिक्ष यान इसरो के मानक I-2000 किग्रा (I-2K) बस पर बनाया गया है. इस उपग्रह को भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड में उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमता प्रदान करने के लिए बनाया गया है. इसरो ने 19 दिसंबर 2018 को पहला GSAT-7A लॉन्च किया था. इसरो ने कहा कि वर्तमान में, उपग्रह को 35,800 किमी की पेरिजी (पृथ्वी से निकटतम बिंदु) और 36,092 किमी के अपोजी (पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु) के साथ 0.2 डिग्री झुकाव के साथ रखा गया है, जो इसके फाइनल ऑर्बिट के बहुत करीब है.