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Electric से ज्यादा भारत के लिए Hybrid Car है बेहतर, अगले 7-8 साल के लिए है अच्छा ऑप्शन

हाइब्रिड कार की बात करें, तो इसमें गैसोलीन इंजन के साथ कम से कम एक इलेक्ट्रिक मोटर जोड़ा जाता है. इससे यह फायदा होता है कि गैसोलीन कम जलता है और फ्यूल की बचत होती है.

Car Car
हाइलाइट्स
  • कंपनियां कर रही हैं निवेश 

  • इलेक्ट्रिक वाहन के साथ कई चुनौतियां हैं

भारत डीकार्बोनाइजेशन और वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए काम कर रहा है. ऐसे में हाइब्रिड गाड़ियों को अपनाना अगले 5-10 साल में प्रदूषण के एक समाधान के रूप में देखा जा रहा है. 

हाल ही में हुई एक ग्लोबल रिसर्च के मुताबिक, जब तक सारे वाहन  इलेक्ट्रिक में नहीं बदलते हैं तब तक हाइब्रिड वाहन एक अच्छा विकल्प हो सकता है. हाइब्रिड वाहन इंटरनल कम्बशन इंजन और और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों को एकीकृत करता है. ये केवल पेट्रोल, डीजल या बिजली से चलने वाले वाहनों की तुलना में ज्यादा व्यावहारिक और कम प्रदूषणकारी है. 

क्या है हाइब्रिड कार?

एक हाइब्रिड कार में गैसोलीन इंजन के साथ कम से कम एक इलेक्ट्रिक मोटर जोड़ा जाता है. कभी-कभी इलेक्ट्रिक मोटर सारा काम करती है, कभी-कभी गैस इंजन, और कभी-कभी वे एक साथ काम करते हैं. इसका परिणाम यह होता है कि गैसोलीन कम जलता है और इसलिए फ्यूल की बचत होती है. इलेक्ट्रिक पावर जोड़ने से कुछ मामलों में गाड़ी अच्छी चलती है. 

कंपनियां कर रही हैं निवेश 

ये इलेक्ट्रिसिटी एक हाई-वोल्टेज बैटरी पैक (कार की पारंपरिक 12-वोल्ट बैटरी से अलग) से आती है. हाइब्रिड बैटरी को चार्ज करने और बनाए रखने के लिए गैस इंजन का भी उपयोग किया जाता है. कार कंपनियां अलग-अलग मिशनों को पूरा करने के लिए कई तरह के हाइब्रिड डिजाइन का उपयोग करती हैं. कार इंडस्ट्री के कई खिलाड़ियों ने ईवी टेक्नोलॉजी में निवेश किया है. उदाहरण के लिए, मारुति सुजुकी ने टोयोटा किर्लोस्कर के साथ साझेदारी में हाइब्रिड को प्राथमिकता दी है. 

एचएसबीसी (Hongkong and Shanghai Banking Corporation Limited) की रिपोर्ट के मुताबिक, हाइब्रिड वर्तमान में ईवी की तुलना में 16% कम कार्बन एमिशन करती है. हालांकि, समय के साथ इस अंतर के कम होने की उम्मीद की जा रही है. 7 से 10 सालों में भारत पूरी तरह इलेक्ट्रिक पर शिफ्ट हो जाएगा. 

इलेक्ट्रिक वाहन और उससे जुड़ी चुनौतियां  

इलेक्ट्रिक वाहन पर शिफ्ट होने में कई सारी चुनौतियां हैं. जैसे सब्सिडी, चार्जिंग बुनियादी ढांचे और बिजली उत्पादन का स्रोत आदि. व्यापक ईवी अपनाने वाले देशों के विपरीत, भारत अपर्याप्त चार्जिंग बुनियादी ढांचे और बिजली उत्पादन के लिए कोयले से चलने वाले थर्मल प्लांट पर प्रमुख निर्भरता से जूझ रहा है. ऐसे में पूरी तरह बदलाव के लिए इन चुनौतियों का समाधान करना जरूरी है. 

इसके अलावा, ईवी के लिए ली-आयन बैटरी पर निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में भारत को पहले बैटरी के जरूरी हिस्सों की स्थायी आपूर्ति चाहिए होगी. लेकिन इसके लिए वह चुनौतियां का सामना कर रहा है.