आईआईटी जोधपुर ने देश का पहला अपनी तरह का ह्यूमन ब्रीथ सेंसर (Human Breath Sensor) बनाया है. IIT जोधपुर के शोधकर्ताओं ने पहला 'मेक इन इंडिया' ह्यूमन ब्रीथ सेंसर बनाया है. ये मेटल ऑक्साइड और नैनो सिलिकॉन से बना है, जो इसे दूसरे मौजूदा सेंसर से अलग बनाता है. इसे सांस में अल्कोहल की मात्रा को मापने के लिए डिजाइन किया गया है. यानि अब अगर कोई नशे में गाड़ी चला रहा है तो ये आसानी से चेक किया जा सकता है कि नशे की मात्रा कितनी है?
कई काम आता है ये ह्यूमन ब्रीथ सेंसर
अल्कोहल का पता लगाने के आलावा भी ह्यूमन ब्रीथ सेंसर का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है. इस सेंसर की मदद से अस्थमा, डायबिटीज, कीटोएसिडोसिस, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), स्लीप एपनिया और यहां तक कि कार्डियक अरेस्ट जैसी अलग-अलग बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा. सांस में मौजूद वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (VOCs) को मॉनिटर करके इस तकनीक से स्वास्थ्य की निगरानी आसानी से की जा सकती है.
कम लागत में बनाया गया है सेंसर
इस ब्रीथ सेंसर को काफी किफायती तरीके से बनाया गया है. हालांकि, मौजूदा सेंसर फ्यूल सेल पर आधारित हैं या फिर मेटल ऑक्साइड तकनीक पर निर्भर हैं. लेकिन आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने कम लागत के साथ एक अलग सेंसर बनाया है. यह 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत बनाया गया है.
सेंसर में है इलेक्ट्रॉनिक नोज टेक्नोलॉजी
मेटल ऑक्साइड और नैनो सिलिकॉन पर आधारित इस ब्रीथ सेंसर के अलावा शोधकर्ताओं ने कम ग्राफीन ऑक्साइड का उपयोग करके एक ब्रीथ मॉनिटरिंग सेंसर भी विकसित किया है. इन सेंसरों में इलेक्ट्रॉनिक नोज टेक्नोलॉजी दी गई है. इस टेक्नोलॉजी से अलग-अलग वातावरणों में VOC मॉनिटरिंग और बीमारियों के लिए दूसरे ब्रीथ बायोमार्कर का पता लगाया जा सकेगा. मशीन लर्निंग एल्गोरिदम की मदद से सेंसर सांस के अलग-अलग पैटर्न की पहचान कर सकता है. और बीमारी का या अल्कोहल की मात्रा का पता लगा सकता है.
मौजूदा समय में जो दूसरे ब्रीथ सेंसर्स हैं वो काफी भारी होते हैं और उनमें हीटिंग एलिमेंट की जरूरत होती है. लेकिन ये सेंसर रूम टेम्परेचर पर काम करता है. और यही इसे दूसरों से बेहतर बनाता है.