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IIT Mandi Innovation: बांधों की गहराइयों का राज खोलेगा IIT मंडी का अंडरवॉटर व्हीकल, सुंदरनगर झील में हुआ सफल परीक्षण

इस तकनीक से न केवल बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यह गाद निकासी (de-siltation) जैसे महंगे और जटिल कार्यों की जरूरत को भी कम कर सकता है. इससे सरकार और जल प्राधिकरणों को बांधों की वास्तविक स्थिति की सटीक जानकारी मिलेगी.

IIT Mandi Innovation IIT Mandi Innovation
हाइलाइट्स
  • बांधों की गहराइयों का राज खोलेगा

  • सुंदरनगर झील में हुआ सफल परीक्षण

बांध निर्माण के बाद जो विशाल जलाशय बनता है, उसकी सतह के नीचे क्या स्थिति है, वहां कितनी गाद जमा हो चुकी है, दीवारों की संरचना कितनी सुरक्षित है- इन सवालों के जवाब अब सतह से नहीं, बल्कि पानी के भीतर जाकर मिलेंगे. और यह मुमकिन बनाया है IIT मंडी के एक खास तकनीकी नवाचार ने.

IIT मंडी के शोधकर्ताओं ने एक एडवांस "फिक्स्ड थ्रस्टर अंडरवॉटर व्हीकल" तैयार किया है, जो बांधों के जलाशयों की गहराइयों में जाकर वहां की पूरी जांच-पड़ताल करेगा. इस प्रोजेक्ट को IIT पलक्कड़ के सहयोग से विकसित किया गया है. यह भारत में जल संरचनाओं की निगरानी के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है.

गहराई में जाकर करेगा सटीक निरीक्षण
IIT मंडी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जगदीश ने जानकारी देते हुए बताया कि यह अंडरवॉटर व्हीकल 200 मीटर तक की गहराई में जाकर जलाशय के अंदरूनी हिस्सों की सटीक जानकारी एकत्र करने में सक्षम है. यह व्हीकल जलाशयों में जमा गाद (सिल्ट) की मात्रा की माप से लेकर, बांध की भीतरी दीवारों में किसी भी तरह की दरार या क्षति का भी सही आंकलन कर सकता है.

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डॉ. जगदीश के अनुसार, “अब तक पानी के भीतर की जांच के लिए गोताखोरों पर निर्भर रहना पड़ता था, जो सीमित गहराई तक ही जा सकते थे और जोखिम भी रहता था. लेकिन यह अंडरवॉटर व्हीकल अब उन जोखिमों और सीमाओं को खत्म करने की दिशा में एक मजबूत कदम है.”

सुंदरनगर झील में हुआ परीक्षण, मिले सकारात्मक नतीजे
इस तकनीक का पहला सफल परीक्षण सुंदरनगर स्थित बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) के सहयोग से किया गया है. परीक्षण के दौरान व्हीकल ने पानी के भीतर स्पष्ट वीडियो और सटीक डेटा जुटाया, जिससे पता चला कि जलाशय में कहां कितनी गाद है और कौन-कौन से हिस्से कमजोर हो चुके हैं.

व्हीकल की विशेषताएं

  • 200 मीटर तक की गहराई में जाकर डेटा जुटाने की क्षमता
  • पानी के भीतर वेल्डिंग और कटिंग जैसे कार्य करने में सक्षम
  • बांध की दीवारों में आई दरारों का पता लगाने की तकनीक
  • रिमोट कंट्रोल ऑपरेटेड और बेहद हल्का उपकरण

जल संसाधनों के संरक्षण में मददगार
इस तकनीक से न केवल बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यह गाद निकासी (de-siltation) जैसे महंगे और जटिल कार्यों की जरूरत को भी कम कर सकता है. इससे सरकार और जल प्राधिकरणों को बांधों की वास्तविक स्थिति की सटीक जानकारी मिलेगी, जिससे मरम्मत और नवीनीकरण के कार्यों की समय रहते योजना बनाई जा सकेगी.

डॉ. जगदीश ने यह भी बताया कि यह अंडरवॉटर व्हीकल अभी प्रायोगिक स्तर पर है, लेकिन परीक्षणों की सफलता को देखते हुए इसे आधिकारिक रूप से विभिन्न जल परियोजनाओं में शामिल करने की दिशा में काम चल रहा है. यदि इसे नीति स्तर पर हरी झंडी मिलती है, तो भारत में जल संसाधन प्रबंधन की दिशा में यह एक ऐतिहासिक पहल होगी.

(धर्मवीर की रिपोर्ट)