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IIT रुड़की की जबरदस्त खोज! अब फल-सब्जियां 21 दिन तक रहेंगी ताजा, बर्बादी होगी आधी से भी कम!

आजकल बाजार में जो फल और सब्जियां लंबे समय तक ताजगी से भरपूर दिखते हैं, वे अक्सर केमिकल कोटिंग की वजह से होते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं. लेकिन IIT रुड़की की यह नैचुरल क्ले कोटिंग पूरी तरह से सुरक्षित है और इससे आपको वही ताजगी, वो भी बिना साइड इफेक्ट्स के मिलेगी.

IIT Roorkee innovation (Representative Image/Unsplash) IIT Roorkee innovation (Representative Image/Unsplash)
हाइलाइट्स
  • बर्बादी होगी आधी से भी कम!

  • 21 दिन ताजगी की गारंटी

क्या आपने कभी सोचा है कि जो फल और सब्जियां आप मंडी से खरीदते हैं, उनमें से आधे से ज़्यादा हमारे थालियों तक पहुंचने से पहले ही सड़ जाते हैं? आंकड़ों की मानें तो भारत में हर साल 40% से ज्यादा फल और सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं- यानी मेहनत, पैसा और पोषण तीनों की बर्बादी! लेकिन अब इस समस्या का हल मिल गया है... और वो भी बिल्कुल देसी अंदाज में!

IIT रुड़की के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जबरदस्त तकनीक विकसित की है जो फल और सब्जियों को 21 दिनों तक ताजा बनाए रखेगी. और मजे की बात यह है कि ये तकनीक पूरी तरह से प्राकृतिक है- इसका नाम है नेचुरल क्ले बेस्ड स्कैवेंजर.

क्या है ये क्ले स्कैवेंजर?
यह कोई आम मिट्टी नहीं है! पेपर टेक्नोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कीर्तिराज के. गायकवाड़ और उनकी टीम ने दो साल की मेहनत से इस खास तरह की प्राकृतिक ‘क्ले’ बनाई है जो फलों और सब्जियों पर एक सुरक्षात्मक परत (थिक लेयर) बना देती है.

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ये परत बाहर की हवा से फलों में मौजूद एथिलीन गैस के संपर्क को रोक देती है. एथिलीन वही गैस है जिससे फल जल्दी पकते हैं और फिर सड़ जाते हैं. जब उसका संपर्क धीमा या बंद हो जाता है, तो फल और सब्जियाँ अपनी ताजगी बनाए रखते हैं- 30 से 50% तक ज्यादा समय तक!

21 दिन ताजगी की गारंटी
टीम ने बताया कि इस स्कैवेंजर का प्रयोग करने के बाद फलों की शेल्फ लाइफ लगभग 21 दिन तक बढ़ गई. यानी अगर आम परिस्थितियों में कोई फल 7 दिन ताजा रहता है, तो अब वह 10 से 12 दिन तक बिना सड़े-बसे सुरक्षित रहेगा. कुछ मामलों में तो यह अवधि और भी ज्यादा देखी गई.

यह तकनीक न केवल फलों को ताजा रखने में मदद करती है, बल्कि उसके पोषक तत्व भी सुरक्षित रखती है. शोध में पाया गया कि इस क्ले स्कैवेंजर के प्रयोग से फलों में मौजूद विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स 30% तक ज्यादा समय तक बने रहते हैं. यानी ताजगी के साथ पोषण भी बढ़िया!

वैज्ञानिकों को मिला पेटेंट, FDA से मान्यता भी
इस इनोवेशन का पेटेंट हाल ही में मिला है और सबसे बड़ी बात- फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से भी इसे मंजूरी मिल चुकी है. यानी यह तकनीक सुरक्षित, प्रभावी और कमर्शियल उपयोग के लिए पूरी तरह से तैयार है.

इसकी मदद से किसान अपनी फसल को ज्यादा समय तक खराब होने से बचा पाएंगे. इसके अलावा, व्यापारी इसे दूर-दराज के बाजारों तक ले जा सकेंगे, बिना जल्दी खराब होने के डर के. आम ग्राहक तक बेहतर गुणवत्ता और पोषण वाले फल-सब्जियां पहुंच सकेंगी. रिटेल मार्केट में सप्लाई की निरंतरता बनी रहेगी और महंगाई पर भी लगाम लगेगी.

और सबसे जरूरी बात- यह स्कैवेंजर पूरी तरह प्राकृतिक है, नॉन-टॉक्सिक है और बायोडिग्रेडेबल है. यानी इसे धोने की जरूरत भी नहीं, यह अपने आप नष्ट हो जाता है.

हर साल 5 करोड़ टन फल-सब्जियों की बर्बादी बचेगी
क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में हर साल करीब 5 करोड़ टन फल और सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं? ये आंकड़ा न सिर्फ आर्थिक नुकसान दिखाता है, बल्कि यह पर्यावरण और खाद्य संकट की भी झलक देता है. IIT रुड़की की यह खोज उस संकट से निपटने की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है.

आजकल बाजार में जो फल और सब्जियां लंबे समय तक ताजगी से भरपूर दिखते हैं, वे अक्सर केमिकल कोटिंग की वजह से होते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं. लेकिन IIT रुड़की की यह नैचुरल क्ले कोटिंग पूरी तरह से सुरक्षित है और इससे आपको वही ताजगी, वो भी बिना साइड इफेक्ट्स के मिलेगी.

डॉ. गायकवाड़ की टीम अब इस टेक्नोलॉजी को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए कंपनियों के साथ साझा करने की योजना बना रही है. उम्मीद है कि जल्द ही यह स्कैवेंजर फार्म-टू-फोर्क चेन का अहम हिस्सा बनेगा और खाने की बर्बादी की बड़ी समस्या को काफी हद तक खत्म कर देगा.