
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 (India Today Conclave) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर भी चर्चा हुई. भारत में तकनीकी और डिजिटल परिवर्तन के इस दौर में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर बड़ी उम्मीदें भी हैं और गहरी चिंताएं भी. इस सेशन में AI के उपयोग, नौकरियों पर इसके प्रभाव और भविष्य में संभावित बदलावों पर विस्तार से बात की गई. इस अहम चर्चा में Puneet Chandok (President, Microsoft India & South Asia; Chair, CII AI Council) और Nitin Mittal (Principal, Deloitte Global AI & Emerging Markets Leader) बतौर विशेष अतिथि शामिल हुए.
AI और प्रोडक्शन सुधार
सेशन की शुरुआत इस बात से हुई कि AI किस तरह से हमारे काम करने के तरीके को बदल रहा है. पैनलिस्ट्स ने बताया कि आज के समय में AI सबसे ज्यादा उत्पादकता (productivity) बढ़ाने में मदद कर रहा है. उदाहरण के तौर पर, कई बड़े टेक्नोलॉजी लीडर्स ने साझा किया कि वे अब अपने रोजमर्रा के ईमेल खुद नहीं टाइप करते, बल्कि AI के जरिए यह काम हो जाता है.
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के प्रेजिडेंट Puneet Chandok बताते हैं कि वे रोजाना AI की मदद से लगभग 30 मिनट बचा रहे हैं. उन्होंने कहा, "कल्पना कीजिए कि अगर हर भारतीय कर्मचारी को AI के माध्यम से रोज 30 मिनट का अतिरिक्त समय मिले, तो यह देश की कार्यक्षमता को कितनी ऊंचाई तक ले जा सकता है."
बिजनेस और इंडस्ट्री में AI का बढ़ता प्रभाव
AI सिर्फ व्यक्तिगत काम को आसान नहीं बना रहा है, बल्कि यह व्यवसायों और उद्योगों में भी क्रांति ला रहा है. पैनल ने बताया कि सॉफ्टवेयर कोडिंग, हेल्थकेयर, कस्टमर सर्विस और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में AI का व्यापक उपयोग हो रहा है.
पुनीत चंदोक कहते हैं कि पिछले साल उनके नए उत्पादों के तीसरे हिस्से का कोडिंग Gen AI द्वारा किया गया था. Infosys में अब 70 लाख से अधिक लाइन्स का कोड मशीनों द्वारा लिखा जा रहा है. इसी तरह, Cognizant के एक अधिकारी ने कहा कि उनके कुल कोडिंग कार्यों का 20% अब AI द्वारा किया जाता है.
रोजगार पर AI का असर: खतरा या अवसर?
लेकिन जब भी AI की बात होती है, एक बड़ा सवाल उठता है- क्या इससे नौकरियां खत्म होंगी? नितिन मित्तल ने बताया कि यह सही है कि AI कुछ पारंपरिक नौकरियों को प्रभावित करेगा, लेकिन इससे नई नौकरियां भी पैदा होंगी. उदाहरण के लिए, 1980-90 के दशक में कंप्यूटर क्रांति के कारण टाइपिस्ट और क्लर्क की नौकरियां कम हुईं, लेकिन नए करियर विकल्प भी उभरे जैसे कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट और नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर.
नितिन मित्तल ने इस बात पर भी जोर दिया कि AI से बचने का एकमात्र तरीका AI को अपनाना है. उन्होंने कहा, "आपकी नौकरी AI से नहीं जाएगी, लेकिन आपकी नौकरी कोई ऐसा व्यक्ति ले लेगा, जो AI का कुशलता से उपयोग करना जानता है."
स्किलिंग और री स्किलिंग
भारत जैसे युवा देश के लिए AI को लेकर सबसे बड़ा मुद्दा स्किलिंग (Skilling) और री स्किलिंग (Re Skilling) का है. पुनीत चंदोक ने बताया कि कंपनी अगले कुछ वर्षों में 10 मिलियन भारतीयों को AI की ट्रेनिंग देने की योजना बना रही है.
पुनीत ने कहा, "हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है. अगर हम इसे सही तरीके से ट्रेन्ड करें, तो भारत AI क्रांति में सबसे आगे होगा. लेकिन अगर हम इसे नजरअंदाज करते हैं, तो यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है."
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