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Explainer: क्या है इंडियन जीपीएस नाविक, कैसे अपने फोन में कर सकते हैं इसका इस्तेमाल, जानिए दूसरे नेविगेशन सिस्टम से कितना है अलग

भारत सरकार अब अपना स्वदेशी जीपीएस जल्द लाने वाला है. इसके लिए भारत सरकान से स्मार्टफोन निर्माताओं को 2023 तक इसे अपने फोन में लाने के लिए आदेश दिए हैं. 1999 में कारगिल के वक्त इसकी जरूरत पहली बार महसूस हुई थी.

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हाइलाइट्स
  • ज्यादा सटीक होगा इंडियन जीपीएस

  • कारगिल वार के वक्त पहली बार महसूस हुई जरूरत

किसी की लोकेशन का पता लगाने के लिए हम अक्सर गूगल मैप्स का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब इसकी जगह भारतीय NavIC GPS आ गया है. भारत सरकार प्रमुख स्मार्टफोन निर्माताओं को देश में बेचे जाने वाले उपकरणों पर अगले साल से घरेलू नेविगेशन प्रणाली, NavIC GPS लाने के लिए प्रेरित कर रही है. भारत सरकार स्मार्टफोन निर्माताओं को जनवरी 2023 से भारत में बेचे जाने वाले स्मार्टफोन पर NavIC लागू करने के लिए प्रेरित कर रही है. सरकार के इस कदम से सैमसंग, शाओमी और एप्पल जैसे स्मार्टफोन दिग्गज अतिरिक्त लागत और टाइट डेडलाइन के कारण परेशान हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये NavIC GPS है क्या?

क्या है NavIC GPS?
NavIC GPS को  Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ मिलकर विकसित किया गया है. नाविक पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक है. पीएम मोदी ने भारतीय मछुआरों को समर्पित करते हुए इस इंडियन जीपीएस का नाम नाविक रखा है. भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को आधिकारिक तौर पर NAVIC कहा जाता है जो Indian NAVigation के लिए शॉर्ट टर्म है. 

क्यों पड़ी इसे बनाने की जरूरत?
1999 में जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल में पोजीशन ली थी, तो भारतीय सेना ने सरकार से जो पहली चीज मांगी थी, वो थी इस क्षेत्र के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) डेटा. उस वक्त भारत के पास अपना कोई सिस्टम नहीं था, तो सरकार ने अमेरिका से अंतरिक्ष-आधारित नेविगेशन सिस्टम मांगा, उस वक्त अमेरिका ने भारत को ये सिस्टम देने से इंकार कर दिया था. उस वक्त स्वदेशी उपग्रह नेविगेशन प्रणाली की जरूरत महसूस हुई थी. इस सैटेलाइट सिस्टम की पहली बार 2007 में घोषणा की गई थी, और उसे 2012 तक पूरी तरह कार्यात्मक होना था. लेकिन बाधाओं के कारण ऐसा नहीं हो सका. सात में से पहला उपग्रह 2013 में क्लास में भेजा गया था.

कैसे काम करता है नाविक जीपीएस?
इसरो के अनुसार IRNSS को स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन, आपदा प्रबंधन, वाहन ट्रैकिंग और बेड़े प्रबंधन और मोबाइल फोन के साथ एकीकरण के लिए बनाया गया है. ये सभी यूजर्स को Standard Positioning Service (SPS) और Restricted Service (RS) प्रदान करेगा, जो केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं के लिए एक एन्क्रिप्टेड सेवा है. 2019 में इसके सभी कमर्शियल वाहनों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था. NavIC 7 सैटेलाइट्स का एक ग्रुप है. जो भारत को पूरा कवर करने में सक्षम है.

नाविक जीपीएस के फायदे
नाविक को लेकर दावा किया जा रहा है कि ये ज्यादा सटीक होगा,  तेज़ टाइम-टू-फर्स्ट-फिक्स (TTFF) स्थिति अधिग्रहण को सक्षम करता है. सात सैटेलाइट इसे सपोर्ट करेंगी, जिस कारण इसे अमेरिका स्थित जीपीएस, रूस के ग्लोनास और यूरोप द्वारा विकसित गैलीलियो के बराबर माना जाता है. इसे क्वालिटी में भी काफी अच्छा माना जाता है. सिस्टम का दावा है कि प्राथमिक सेवा क्षेत्र में स्थिति सटीकता 20 मीटर से बेहतर है.