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भारतीय शोधकर्ताओं ने तैयार किया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जो सड़क पर ड्राइवरों को खतरे से करेगा सचेत

IIIT हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी एआई तकनीक विकसित किया हैं, जो सड़क हादसे से पहले ड्राइवरों को हादसे के बारे में सचेत कर देगा. इतना ही नहीं यह सड़क पर अन्य गतिशील खतरे पर भी नजर रखेगा.

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हाइलाइट्स
  • ये एआइ सिस्टम सड़क हादसे से पहले चालक को खतरे से करेगा सचेत

  • IIIT हैदराबाद के शोधकर्रताओं ने विकसित किया एआइ सिस्टम

जैसे-जैसे दुनिया ड्राइवरलेस कार की तरफ बढ़ती जा रही है. वहीं जल्द ही भारत में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाली गाड़ियां रोड पर दिखने लगेगी. भारत में रोड सेफ्टी को लेकर इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी (आइआइआइटी) हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने नागपुर में टेक्नोलॉजी एंड इंजिनियरिंग (iRASTE) प्रोजेक्ट के तहत सड़क पर सेफ ड्राइविंग के लिए एक एआई सिस्टम लॉच किया है. यह एआई सिस्टम दुर्घटना होने से पहले संभावनाओं की पहचान करके ड्राइवरों को सड़क पर खतरे के बारे में सचेत करेगा. इसके साथ ही यह एआई सिस्टम पूरे सड़क पर गतिशील खतरे पर भी नजर रखेगा. साथ ही सड़क पर ग्रे स्पॉट की पहचान करने के लिए उन्नत चालक सहायता प्रणाली (एडीएएस) का उपयोग करेगा.

सड़क के खतरे पर रखेगा नजर
आईआईआईटी हैदराबाद के शोधकर्ताओं द्वारा विकसीत किए गए एआई तकनीक को लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि यह प्रणाली वास्तविक समय में सड़कों की निगरानी में भी मदद करेगी. इसके साथ ही बेहतर सड़क रखरखाव और बुनियादी ढांचे के लिए मौजूदा सड़क ब्लैकस्पॉट का पता लगाकर रोड मेंटेनेंस को और बेहतर करेगा. आईआईआईटी हैदराबाद के नेतृत्व में इस तकनीक को नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) और आईएनएआई (एप्लाइड एआई रिसर्च इंस्टीट्यूट) के द्वारा विकसित किया जा रहा है.

पहले नागपुर में होगा लागू
सड़क सुरक्षा के लेकर विकसित किए जा रहे इस एआई तकनीक को शुरुआती चरण में नागपुर में लागू किया जा रहा है. वहीं इसे तेलंगाना में भी लागू करने के बारे में चर्चा चल रही है. इसके साथ ही इसे गोवा और गुजरात में भी शुरू करने की योजना है. वहीं इंडिया ड्राइविंग डेटासेट (आईडीडी) उन समाधानों में से एक है, जिसका उपयोग सड़क के अनचाही घटनाओं को समझने के लिए किया जा सकता है. 

आपको बता दें कि आईडीडी डेटासेट में 10,000 तस्वीरें शामिल हैं. जिसमें 182 ड्राइविंग सिकवेंस को 34 वर्गों के साथ रखा गया है. ये सभी फोटोज हैदराबाद, बैंगलोर और उनके बाहरी इलाके में संचालित कार पर लगे एक फ्रंट-फेसिंग कैमरे द्वारा कैप्चर की गई हैं. यह डेटासेट एक सार्वजनिक लाइसेंस के तहत असीमित उपयोग के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है. यह तेजी से सभी भारतीय सड़क दृश्य विश्लेषण के लिए वास्तविक डेटासेट बन रहा है. वर्तमान में दुनिया भर में इसके 5000 से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं.

यह टूटे हुए डिवाइडर, दरारें, सड़कों पर गड्ढों की करेगा पहचान
लेनरोडनेट (LRNET) एक एकीकृत तंत्र के साथ एक नया ढांचा तैयार किया जा रहा है. ये तकनीक टूटे हुए डिवाइडर, दरारें, सड़कों पर गड्ढों की पहचान करने के लिए विकसित किया गया है. जो ड्राइवरों को जोखिम में डालते हैं. इसके साथ ही यह सिस्टम एक सड़क गुणवत्ता स्कोर की गणना करेगा. जिसके आधार पर अधिकारी सड़क की गुणवत्ता का आकलन कर उसके रखरखाव के लिए बेहतर काम करके सुगमता में सुधार कर सके.