दुनिया के अलग-अलग देशों में सेल्फ-ड्राइविंग कारों को लेकर काफी उत्साह बढ़ा है. अब इसी को देखते हुए भारत में भी बिना ड्राइवर वाली ट्रेन लाने की तैयारी हो रही है. बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BMRCL) ने कम्युनिकेशन-आधारित ट्रेन कंट्रोल (CBTC) सिस्टम वाले छह ट्रेन कोचों के अपने पहले सेट का अनावरण कर दिया है. हालांकि, सभी के मन में सवाल है कि आखिर ये बिना ड्राइवर वाली मेट्रो कैसे चलेगी? किस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल इसमें किया जाएगा?
बेंगलुरु की येलो लाइन पर शुरू होगी मेट्रो
बेंगलुरु में आरवी रोड और बोम्मसंद्रा को जोड़ने वाली आगामी 18.8 किमी लंबी पीली लाइन बेंगलुरु के मेट्रो नेटवर्क में गेम-चेंजर साबित होगी. इन मेट्रो ट्रेनों में सीबीटीसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा. CBTC ट्रेन एक तरह से टेलीपैथी के रूप में काम करता है. टेलीपैथी का मतलब है जब बिना बोले कोई हमारे मन की बात समझ जाए. इस टेक्नोलॉजी में भी दो ट्रेनों बिना बोले आपस में बात कर लेती हैं. इसमें CBTC टेक्नोलॉजी मदद करती है.
CBTC की मदद से दोनों ट्रेनें आपस में संचार करती हैं. इसमें दूसरी ट्रेन की गतिविधियों के बारे में पता चल जाता है. बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर, जीतेंद्र झा ने इंडियन एक्सप्रेस को इस टेक्नोलॉजी के बारे में बताया. जितेंद्र झा के मुताबिक, ये टेक्नोलॉजी एक ट्रेन को दूसरी ट्रेन से बात करने में सक्षम बनाती है, जिससे अनअटेंडेड ट्रेन ऑपरेशंस और ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर से आगे का रास्ता पता चलता है.
कैसे काम करता है CBTC सिस्टम?
बिना ड्राइवर वाली ट्रेनें कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (CBTC) टेक्नोलॉजी से चलती हैं. इस सिस्टम से ट्रेन और ट्रैक इक्विपमेंट को मैनेज करने और इन दोनों के बीच संचार की सुविधा मिलती है. पारंपरिक सिग्नलिंग सिस्टम की तुलना में CBTC की मदद से ज्यादा सटीकता से ट्रेन की स्थिति, बोगी कैसी हैं और रेल की स्थिरता जैसी चीजें पहचान की जाती है. ऐसे में अगर भारत में भी मेट्रो में इस सिस्टम को लागू करना है तो अलग-अलग उपाय करने जरूरी होंगे. इसके लिए सबसे जरूरी है कि मौजूदा बुनियादी ढांचे को बदलकर मेट्रो लाइनों का आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए. इन सभी ट्रैक को ऑटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल और सुरक्षा प्रणालियों से लैस किया जा रहा है.
बता दें, जहां पारंपरिक मेट्रो रेल में सिग्नलिंग और ट्रेन पायलट के हस्तक्षेप की जरूरत होती है, जबकि सीबीटीसी में ऐसा नहीं होता है. ये काम पूरी तरह से मानव-आधारित डेटा और उसकी अपनी समझ पर आधारित होता है. सीबीटीसी रेल नेटवर्क में, ट्रेनों और ट्रैकसाइड इक्विप्मेंट के बीच का जो भी डेटा ट्रांसफर होता है वो वायरलेस संचार नेटवर्क का उपयोग करके किया जाता है.
ड्राइवरलेस ट्रेनें बनाना है आसान
हालांकि, ड्राइवरलेस ट्रकों या कारों की तुलना में ड्राइवरलेस ट्रेनों को डिजाइन करना और बनाना बहुत आसान है. ट्रेन को चलाना आसान होता है, क्योंकि इसका रास्ता पूरी तरह से रेल नेटवर्क तक ही सीमित आता है. ट्रेन केवल आगे और पीछे की ओर यात्रा कर सकती हैं, इसलिए गाड़ी चलाने वाले को कार चलाने वाले व्यक्ति के विपरीत, उसके रास्ते में आने और जाने वाली अन्य गाड़ियों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होती है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बड़ी भूमिका
बेंगलुरु मेट्रो अपने सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर रहा है. वास्तविक समय में ट्रैक की स्थिति की निगरानी करने, किसी तरह की परेशानी के बारे में पता लगाने और सक्रिय रखरखाव उपायों को सुनिश्चित करने के लिए एआई एल्गोरिदम को तैनात किया जाएगा. एआई सिस्टम से बेंगलुरु मेट्रो का लक्ष्य शहरी परिवहन में टेक्नोलॉजी मानक स्थापित करना है.