
हार्ले-डेविडसन आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय बाइक बन चुकी है. यह युवाओं की सबसे फेमस सुपर बाइक है. जब भी सुपर बाइक की बात चलती है तो सब की जुबां पर एक ही नाम होता है हार्ले-डेविडसन. इस बाइक के निर्माण के पीछे रोचक कहानी है. आइए जानते हैं.
दो साल तक की कड़ी मेहनत
21 साल के युवा विलियम एस हार्ले ने 1901 में एक फ्लाईव्हील्स का निर्माण किया और उसके साथ एक इंजन को जोड़ने के बारे में विचार किया. साइकिल के पेडल फ्रेम के साथ इंजन डिजाइन का कार्य शुरू कर दिया. दो साल तक विलियम एस हार्ले ने अपने दोस्त आर्थर डेविडसन के भाई वाल्टर डेविडसन के साथ इस बाइक को बनाने में जमकर मेहनत की. इन दो सालों में इनकी मेहनत रंग लाई और इस कार्य को हार्ले ने वाल्टर के साथ मिलकर 1903 में पूर्ण किया. जब उन्होंने इस साइकिल को पूर्ण तैयार की तब उन्होंने पाया की ये साइकिल बिना पेडल मारे पहाड़ियों पर चढ़ने में नाकाम है और इस तरह उन्होंने इस अपना एक प्रयोग मान कर वहीं पर बंद कर दिया.
एक नया इंजन बनाने पर काम करना किया शुरू
हालांकि हार्ले और वाल्टर में अभी भी कुछ करने का जज्बा खत्म नहीं हुआ था. यूएस के विस्कोंसिन शहर के मिलवॉकी में दोनों ने मिलकर एक छोटे से शेड में हार्ले-डेविडसन कंपनी की नींव रखी. उन्होंने मिलकर एक नया बाइक इंजन बनाने पर काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने हार्ले-डेविडसन के पहले इंजन का निर्माण 1903 में कर दिया. यह पहली हार्ले-डेविडसन बाइक में बड़ा इंजन था. इसी के साथ मशीन का लूप फ्रेम पैटर्न साल 1903 की मिलवॉकी मार्केल मोटरसाइकिल के जैसा था. इस बाइक के इंजन की बनावट कुछ इस तरह था कि इसे मोटर बाइसाइकिल की श्रेणी में नहीं रखा गया और समय के साथ ये एक आधुनिक मोटरसाइकिल के रूप में बदल गई.
पहला खरीदार मिला
जब मोटर बाइक तैयार हुई तो इसके पहले खरीदार मिले हेनरी मेयर. वह हार्ले, आर्थर और वाल्टर के सहपाठी थे. उन्होंने 1903 में आया मॉडल सीधे कंपनी संस्थापकों से खरीदा. इसके अगले साल हार्ले-डेविडसन को पहला डीलर शिकागो के सीएच लैंग के रूप में मिले. उन्होंने बिजनेस शुरू किया और इसकी शुरुआत में तीन बाइक में से एक बेची.
हार्ले-डेविडसन ने जीती रेस
साल 1905 इस ब्रांड के लिए काफी अहमियत रखता है क्योंकि इसी साल हार्ले-डेविडसन की बाइक ने शिकागो में 15 मील की रेस जीती और इसमें उसे 19 मिनट लगे थे. यह वहीं समय था जब पहली बार हार्ले-डेविडसन दुनिया के सामने एक मोटरसाइकिल के रूप में सामने आई. इसके 6 साल बाद हार्ले और वाल्टर ने हार्ले का एक नया मॉडल दुनिया के सामने पेश किया. ये बाइक पहली वी-ट्विन संचालित मोटरसाइकिल थी.
यूएस से बाहर पहली बार जापान को बाइक की थी निर्यात
शेड में कंपनी बनने और खड़े होने के 10 साल के भीतर इस कंपनी ने साल 1912 में पहली बार जापान को अपनी मोटरसाइकिल निर्यात की. ये अमेरिका से बाहर हार्ले-डेविडसन की पहली बिक्री थी. जैसा कि जानकार बताते हैं कि हार्ले-डेविडसन विश्व युद्ध के दौरान बेहद खास हो गई थी. इसका एक सबूत साल 1917 देता है, जब इस साल बनी कंपनी की एक-तिहाई बाइक सेना को बेची गई. 1918 भी कुछ ऐसा ही था. पहले विश्व युद्ध के दौरान हार्ले-डेविडसन की करीब आधी मोटरसाइकिल सेना को दी गई थी. सेना ने कुल 20 हजार बाइक इस्तेमाल की जिनमें ज्यादातर हार्ले थीं.
हार्ले-डेविडसन का जलवा कल भी था और आज भी है
साल 1920 में हार्ले-डेविडसन दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी बन गई. ये वो दौर था जब 67 देशों में दो हजार से ज्यादा डीलर हार्ले-डेविडसन बेच रहे थे. समय के साथ इस बाइक में बदलाव भी किया गया. साल 1930 में सभी हार्ले बाइक के टैंको पर ईगल डिजाइन का पेंट डिजाइन किया जाने लगा. 1945 में जब युद्ध का अंत हुआ तो बिना वक्त गंवाए कंपनी ने आम लोगों के लिए मोटरसाइकिल बनानी शुरू कर दी. 1940 से लेकर 1980 के बीच हार्ले-डेविडसन की बाइक मोटर रेस में जीत हासिल करती रही और अलग-अलग पावरफुल इंजन, नए मॉडल की मदद से वो बाजार की रेस में दूसरी सारी कंपनियों से आगे निकलती रही. कई कंपनियां आईं और गईं, लेकिन हार्ले का जलवा कल भी था और आज भी है और शायद कल भी बरकरार रहे. आज हार्ली-डेविडसन दुनिया की जानी-मानी बाइक कंपनी है. फ़ोर्ब्स के मुताबिक साल 2018 (मई) में इसका मार्केट कैप सात अरब डॉलर तक पहुंच गया था.