बढ़ते प्रदूषण और क्लाइमेट चेंज को देखते हुए ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हर रोज नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं. फिलहाल, सबसे ज्यादा फोकस इलेक्ट्रिक वाहनों पर है. और अब सिर्फ बड़ी कंपनियां ही ई-वाहन नहीं बना रही हैं. बल्कि स्कूल और कॉलेज के भी बहुत से छात्रों द्वारा ई-साइकिल, ई-बाइक जैसे वाहन बनाये जाने की खबरें लगातार आती रहती हैं.
हाल ही में ऐसी एक खबर कर्नाटक के नेशनल इंस्टीट्यूशन ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) से भी मिली है. बताया जा रहा है कि एनआईटी के छात्रों ने 'विधयुग4.0' नाम की एक ई-बाइक डिजाइन की है. जिसकी खासियत यह है कि इस खासतौर पर जंगलों में इस्तेमाल के लिए तैयार किया गया है.
वन-विभाग के लिए बनाई पर्यावरण अनुकूल बाइक:
इससे जंगलों में आना-जाना सही मायनों में पर्यावरण के अनुकूल होगा. इस बाइक की एक विशेषता यह है कि इसकी बैटरी को सौर ऊर्जा का उपयोग करके चार्ज किया जा सकता है. साथ ही, इसमें एक हेडलाइट लगाई गई है, जिसे दिन में हटाया भी जा सकता है.
और रात को निगरानी के समय बाइक में लगाया जा सकता है क्योंकि यह टॉर्च की तरह काम करती है.
सेंटर फॉर सिस्टम डिज़ाइन संस्थान के पृथ्वीराज यू का कहना है कि इसकी इलेक्ट्रिक मोटर बिल्कुल भी आवाज नहीं करती है. जिस कारण यह जंगल में इस्तेमाल करने में लाभदायक है क्योंकि इससे वन्यजीवों को परेशानी नहीं होगी. साथ ही, आवाज नहीं होगी तो शिकारियों को चौकन्ना होकर भागने का मौका नहीं मिलेगा.
उन्होंने कहा कि इसके फ्रंट यूटिलिटी बॉक्स का उपयोग वन अधिकारियों के सभी जरुरी सामान जैसे वॉकी-टॉकी, किताबें आदि रखने के लिए किया जा सकता है. वॉकी-टॉकी और मोबाइल फोन को चार्ज करने के लिए चार्जिंग डॉक भी हैं. रियर पैनियर बॉक्स का उपयोग अतिरिक्त एक्सेसरीज़ को स्टोर करने के लिए किया जा सकता है. घने वन क्षेत्रों में इससे वॉच टावरों में पानी और भोजन भी ले जा सकते हैं.
एक चार्जिंग में चलेगी 75 किमी:
इस ई-बाइक को वन अधिकारियों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में उपयोग के लिए विकसित किया गया है. एक बार पूरा चार्ज होने के बाद यह बाइक लगभग 75 किमी तक की यात्रा कर सकतें हैं.
यह ई-बाइक 2.0 किलोवाट, 72 वोल्ट, 33 एएच लिथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित है. सौर चार्जिंग सेटअप में बैटरी चार्ज करने के लिए दो 400 वाट मोनो क्रिस्टलीय सौर पैनल और 1.5 किलोवाट यूपीएस यूनिट लगाई गई है.
यह ई-बाइक इको फ्रेंडली और सस्टेनेबल है. वन विभाग का कहना है कि उन्हें बहुत ख़ुशी है कि एनआईटी ने इस तरह का वाहन उनके लिए बनाया. इससे वन विभाग के सुरक्षा कर्मियों को न सिर्फ जंगलों में निगरानी करने में बल्कि आपातकालीन स्थिति में तुरंत मौके पर पहुंचने में मदद मिलेगी.