हरियाणा के करनाल स्थित बागवानी विभाग के तहत आलू केंद्र उन्नत खेती करने में अपना अहम योगदान दे रहा है. किसान अब बिना जमीन और बिना मिट्टी के हवा में ही आलू उगा सकेंगे, जिसमें पैदावार भी 10 गुना ज्यादा होगी. यानी किसान परंपरागत खेती की बजाय एरोपोनिक तकनीक के प्रयोग से कम लागत में आलू की ज्यादा फसल उगाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.
10 गुना ज्यादा होगी पैदावार
केंद्र द्वारा किसानों के लिए नई विधि निकाली गई है, जिसमें बिना जमीन और बिना मिट्टी के हवा में ही आलू उगेंगे और पैदावार भी 10 गुना ज्यादा होगी. विशेषज्ञों ने बताया कि इस सेंटर का इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (International Potato Center)के साथ एक एमओयू हुआ है. इसके बाद भारत सरकार द्वारा एयरोपोनिक प्रोजेक्ट को अनुमति मिल गई.
आलू का बीज उत्पादन करने के लिए आमतौर पर ग्रीन हाउस तकनीक का इस्तेमाल करते थे, जिसमें पैदावार काफी कम आती थी. एक पौधे से पांच छोटे आलू मिलते थे, जिन्हें किसान खेत में रोपित करता था. इसके बाद बिना मिट्टी के कॉकपिट में आलू का बीज उत्पादन शुरू किया गया. इसमें पैदावार करीब 2 गुना हो गई. इसके बाद अब एक कदम और आगे बढ़ाते हुए एयरोपोनिक तकनीक से आलू उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें बिना मिट्टी और बिना जमीन के आलू उगेंगे.
हवा में ही उगेंगे आलू
डॉ. मुनीश सेंगर सीनियर कंसलनेन्ट ने बताया कि इसमें एक पौधा 40 से 60 छोटे आलू तक दे रहा है, जिन्हें खेत में बीज के तौर पर रोपित किया जा रहा है. इस तकनीक से करीब 10 से 12 गुना पैदावार बढ़ जाएगी. एयरोपोनिक एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जिसके नाम से ही स्पष्ट होता है एयरोपोनिक्स यानी हवा में ही आलू को पैदा करना.
उन्होंने बताया कि इस तकनीक में जो भी न्यूट्रिएंट्स पौधों को दिए जाते हैं वह मिट्टी के जरिए से नहीं बल्कि लटकती हुई जड़ों से दिए जाएंगे. इस तकनीक के जरिए आलू के बीजों का बहुत ही अच्छा उत्पादन कर सकते हैं, जोकि किसी भी मिट्टी जनित रोगों से रहित होंगे. परंपरागत खेती के मुकाबले इस तकनीक के जरिए ज्यादा संख्या में पैदावार मिलती है. केंद्र में 1 यूनिट में इस तकनीक से 20 हजार पौधे लगाने की क्षमता है.
(पवन राठी की रिपोर्ट)
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