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Artificial Intelligence in Cinema: अब एक्टरों की भी नौकरी खा जाएगा एआई? Cinema को किस तरह बदल रहा है Artificial Intelligence? क्या होगा बॉलीवुड पर असर?

लव यू 95 मिनट की रोमांटिक ड्रामा फिल्म है. इसे बेंगलुरु के बगलगुंटेअंजनेय मंदिर के पुजारी नरसिम्हा मूर्ति ने डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया है. खास बात यह है कि यह फिल्म पूरी तरह एआई की मदद से बनाई गई है. क्या यह फिल्मों में कलाकारों की भूमिका के अंत की शुरुआत है?

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कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसकी गूंज अब पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है.‘लव यू’ (Love You) नाम की यह फिल्म किसी स्टार या बड़े बजट की वजह से नहीं, बल्कि इस बात के लिए चर्चा में है कि यह पूरी तरह से एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) से बनाई गई है. 

इसमें न कोई एक्टर है, न म्यूजिक डायरेक्टर, न कैमरामैन – सब कुछ एआई ने किया है. आइए आज जानते हैं एआई से जुड़ी इस नई खबर के बारे में.

पूरी तरह एआई से बनी लव यू
लव यू 95 मिनट की रोमांटिक ड्रामा फिल्म है. इसे बेंगलुरु के बगलगुंटेअंजनेय मंदिर के पुजारी नरसिम्हा मूर्ति ने डायरेक्ट और प्रोड्यूस किया है. उन्होंने सिर्फ 10 लाख रुपए के बजट में यह फिल्म बना डाली है. वह भी बिना किसी इंसानी कलाकार के.

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उनका साथ दिया एआई टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट नूतन ने, जिन्होंने पिछले 10 सालों में कई कन्नड़ फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर और एडिटर के रूप में काम किया है. अब उन्होंने एआई की मदद से फिल्म के हर फ्रेम को खुद डिजाइन किया. कैरेक्टर एनीमेशन, कैमरा मूवमेंट, लिप-सिंक, म्यूजिक, बैकग्राउंड स्कोर – सब कुछ एआई से जेनरेट किया गया.

इस फिल्म में कुल 12 गाने हैं और वे सभी एआई द्वारा कंपोज किये गए हैं. यह फिल्म सिर्फ एक एक्सपेरिमेंट नहीं बल्कि भविष्य की झलक है – जब कहानियां मशीनें सुनाएंगी और इंसान उन्हें महसूस करेंगे. फिल्म को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से U/A सर्टिफिकेट भी मिल चुका है.

ये तो बात हुई हाल में आई एक फिल्म की, लेकिन रिएलिटी ये है कि आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस आज भारतीय सिनेमा को भी एक नई दिशा दे रहा है. आज हम बताएंगे आपको एक इस टैक्निकल मैजिक की, जो साउथ की रंग-बिरंगी फिल्मों से लेकर बॉलीवुड की चमक-दमक तक, हर जगह अपनी छाप छोड़ रहा है. नरसिम्हा मूर्ति के अलावा एक और फिल्म निर्देशक हैं, जो ऐसी ही कोशिश में जुटे हुए हैं. ये हैं एमजी श्रीनिवास, जिन्होंने एआई को अपने सपनों का साथी बनाया है और भारतीय सिनेमा को भी एक नया रंग दिया है.

2023 में रिलीज हुई फिल्म Ghost
बेंगलुरु के हलचल भरे शहर में 40 साल के एमजी श्रीनिवास की फिल्म घोस्ट साल 2023 में रिलीज़ हुई थी. इसमें कन्नड़ सिनेमा के सुपरस्टार शिवा राजकुमार नज़र आए. इस फिल्म में जबर्दस्त एक्शन और रोमांच था लेकिन इस फिल्म में कुछ और भी खास था. वह था एआई का इस्तेमाल. श्रीनिवास ने फिल्म में एआई की मदद से शिवा राजकुमार को जवां दिखाया. ये कोई छोटा-मोटा प्रयोग नहीं था. ये ऐसी कोशिश थी, जिसने दर्शकों को हैरान कर दिया. 

श्रीनिवास ने एक मीडिया वेबसाइट को बताया, मुझे हॉलीवुड की फिल्म जेमिनी मैन ने प्रेरित किया, इसमें विल स्मिथ का युवा क्लोन देखकर मैं दंग रह गया था. मैं चाहता था कि हम भी ऐसा कुछ करें, लेकिन हॉलीवुड के पास अरबों का बजट होता है, और भारतीय सिनेमा के साथ ऐसा नहीं है. 
फिर भी, श्रीनिवास ने हिम्मत नहीं हारी. घोस्ट में शिवा राजकुमार की डी-एजिंग (उम्र कम दिखाने की तकनीक) बहुत सही नहीं थी. वह खुलकर कहते हैं, "हमारी कोशिश में कुछ खामियां थीं. तमिल सुपरस्टार विजय की गोट (Goat) और प्रभास की कल्कि में भी एआई से डी-एजिंग हुआ, लेकिन वो भी 100% परफेक्ट नहीं था. 

इस नाकामी ने श्रीनिवास को और उत्साहित किया. उन्होंने सोचा, "अगर हॉलीवुड कर सकता है, तो हम क्यों नहीं?" उन्होंने ईरानी वीएफएक्स कंपनी आसू के साथ हाथ मिलाया और बेंगलुरु में इसकी एक ब्रांच खोली. उनका मकसद था डी-एजिंग को इतना बेहतर करना कि दर्शक स्क्रीन पर अपने पुराने हीरो को फिर से जवां देखकर तालियां बजाने पर मजबूर हो जाएं. श्रीनिवास का सपना बड़ा है. वह कन्नड़ सिनेमा के दिग्गज राजकुमार, तेलुगु के एनटीआर, और यहां तक कि दिवंगत पुनीत राजकुमार को एआई की हेल्प से पर्दे पर वापस लाना चाहते हैं. वो कहते हैं, फैंस अपने हीरो को फिर से देखना चाहते हैं. ये उनके लिए एक जादुई अनुभव होगा.

साउथ इंडस्ट्री में एआई का इस्तेमाल
श्रीनिवास ने एआई को सिर्फ़ चेहरों तक सीमित नहीं रखा है. घोस्ट को मलयालम, तेलुगु और हिंदी में डब करना था, लेकिन डबिंग में असली आवाज़ का जादू कैसे आए? श्रीनिवास ने एआई का सहारा लिया और शिवा राजकुमार की आवाज़ को क्लोन किया. ये इतना शानदार रहा कि दर्शकों को लगा जैसे शिवा राजकुमार ने खुद हर भाषा में डायलॉग बोले हों. इस कामयाबी ने श्रीनिवास को एक नया आइडिया दिया. उन्होंने एआई सम्हिता नाम की एक कंपनी शुरू की. ये वॉयस क्लोनिंग की सर्विसेज देती है. 

श्रीनिवास कहते हैं, आजकल बड़ी फिल्में कई भाषाओं में रिलीज़ होती हैं. हर भाषा में असली आवाज़ चाहिए होती है. हमारी कंपनी इस काम को आसान बना रही है. उनकी कंपनी ने 2024 की कन्नड़ थ्रिलर भैरती रंगाल सहित 10 से ज़्यादा फिल्मों के लिए वॉयस क्लोनिंग की है. अब वह एक नई चुनौती पर काम कर रहे हैं - लिप-सिंकिंग. यानी, डब की गई भाषा में किरदार के होंठों की हलचल इतनी सटीक हो कि दर्शकों को बिल्कुल असली लगे. ये आसान नहीं है, लेकिन वो कोशिश कर रहे हैं. 

बॉलीवुड में एआई की एंट्री
मुंबई की चकाचौंध भरी दुनिया में सुमित पुरोहित एक डायरेक्टर हैं. उन्होंने स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी जैसी हिट सीरीज़ दी हैं. वह कहते हैं, "हिंदी सिनेमा में एआई अभी अपने शुरुआती दौर में है. सुमित एआई टूल्स जैसे क्लिंग, लुमा, और रनवे का इस्तेमाल 5-10 सेकंड के छोटे वीडियो बनाने के लिए करते हैं. अभी वह एक साइंस-फिक्शन शॉर्ट फिल्म पर काम कर रहे हैं. यह पूरी तरह एआई पर बेस्ड है. 

लेकिन एआई के साथ कई चैलेंजेस भी हैं. सुमित बताते हैं, "जब मैं एआई से कोई किरदार बनाता हूं तो अगले फ्रेम में उसका चेहरा बदल जाता है. कन्टीनुइटी की समस्या है. फिर भी वह मानते हैं कि एआई हर दिन बेहतर हो रहा है. यह शानदार राइटिंग के लिए आपका साथी है. ये आपको आइडिया दे सकता है लेकिन पोएट्री जैसी क्रिएटिविटी अभी इसकी रीच से बाहर है. सुमित का मानना है कि एआई की सीमाओं को समझकर आप इसके इर्द-गिर्द स्टोरीज लिख सकते हैं. 

वह ये भी कहते हैं कि एआई हमेशा से फिल्मों का हिस्सा रहा है. पहले भी हम डी-एजिंग करते थे लेकिन अब जेनरेटिव एआई ने सब कुछ बदल दिया है. यह वीएफएक्स का हिस्सा बन गया है और आर्टिस्ट इसे नए लेवल पर ले जा रहे हैं. 

साउथ इंडस्ट्री में एआई का जलवा
दक्षिण भारतीय सिनेमा एआई को अपनाने में सबसे आगे है. तमिल फिल्म वेपन (2024) में एआई की हेल्प से अभिनेता सत्यराज का युवा ऐवटार क्रिएट किया गया. निर्देशक गुहन सेन्नियप्पन ने बताया, ट्रेडीशनल एनिमेशन की तुलना में एआई सस्ता और तेज़ है. मलयालम सिनेमा भी पीछे नहीं है. मोनिका: एन एआई स्टोरी पूरी तरह एआई पर बेस्ड है. इसमें एक काल्पनिक AGI (आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस) रोबोट की कहानी है, जिसे अपर्णा मलबेरी ने निभाया है.

तेलुगु सिनेमा में भी एआई का बोलबाला
तेलुगु सिनेमा में भी एआई का बोलबाला है. कल्कि 2898 एडी में अमिताभ बच्चन को  एआई की हेल्प से युवा दिखाया गया, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया. लेकिन श्रीनिवास कहते हैं, "ये अभी भी परफेक्ट नहीं है. हमें और मेहनत करनी होगी."

हालांकि, इसके इस्तेमाल को लेकर कई सवाल भी हैं. एआई का बढ़ता इस्तेमाल नैतिक सवाल भी उठा रहा है. क्या किसी अभिनेता की आवाज़ या चेहरा बिना उनकी इजाज़त के इस्तेमाल किया जा सकता है? हिंदी फिल्म निर्देशक विवेक अंचलिया, ने एआई से बनी फिल्म नैशा बनाई, वो कहते हैं, "मैं शुरू से सावधान था. मैं अपने प्रॉम्प्ट्स में किसी मशहूर अभिनेता का नाम नहीं डालता. मैं आम प्रॉम्प्ट जैसे '22 साल की बंगाली लड़की, साड़ी में' इस्तेमाल करता हूं." वह कहते हैं कि प्राइवेसी का सम्मान करना ज़रूरी है.

श्रीनिवास भी इस मामले में सतर्क हैं. वो वॉयस क्लोनिंग के लिए कलाकारों और प्रोडक्शन हाउस से लिखित में मंज़ूरी लेते हैं. हम नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेते हैं और कलाकारों से मंज़ूरी लेते हैं. हमें ये सुनिश्चित करना होता है कि तकनीक का दुरुपयोग न हो.

भारत में इस दिशा में कानूनी कदम भी उठाए गए हैं, 2022 में अमिताभ बच्चन और 2023 में अनिल कपूर ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी तस्वीर, आवाज़, और नाम के अनाधिकृत इस्तेमाल के खिलाफ केस जीता. कोर्ट ने पब्लिसिटी के अधिकार को मान्यता दी, जो ये कहता है कि कोई भी शख्स किसी की आइडेंटिटी का कमर्शियल इस्तेमाल बिना परमिशन नहीं कर सकता.

एआई के बढ़ते ट्रेंड से नौकरियों का क्या होगा?
एआई के आने से कई लोग डर रहे हैं कि इससे नौकरियाँ छिन जाएँगी. सुमित पुरोहित कहते हैं, "हर नई technology के साथ कुछ नौकरियाँ जाती हैं. जब फिल्म एडिटिंग डिजिटल हुई, तो नेगेटिव कटर्स की नौकरियाँ चली गईं. लेकिन नई तकनीक नए मौके भी लाती है." श्रीनिवास और भी सकारात्मक हैं. "एआई से नई नौकरियाँ पैदा होंगी. जो लोग सटीक प्रॉम्प्ट्स के साथ शानदार एआई इमेज या वीडियो बना सकते हैं, उनकी डिमांड बढ़ेगी. ये एक नई स्किल है, और ऐसे लोग अच्छा कमा सकते हैं.

उदाहरण के लिए, एआई से स्टोरीबोर्ड बनाना, प्रीविज़ुअलाइज़ेशन करना, और बैकग्राउंड म्यूज़िक तैयार करना अब आसान हो गया है. व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल के चैतन्य चिंचिलकर कहते हैं, "एआई अब फिल्म प्रोडक्शन के हर हिस्से में शामिल है. प्री-प्रोडक्शन से लेकर पोस्ट-प्रोडक्शन तक.

एआई भारतीय सिनेमा को और लोकतांत्रिक कर रहा है. मशहूर निर्देशक शेखर कपूर ने मासूम के सीक्वल के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल किया, उन्होंने कहा है कि एआई ने मेरी स्क्रिप्ट को सेकंडों में बेहतर बना दिया. ये नैतिक सवालों को भी समझता है, लेकिन वो चेतावनी देते हैं कि एआई को सिर्फ़ एक उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए. ये मानव भावनाओं और कहानी की गहराई को पूरी तरह नहीं समझ सकता."

चिंचिलकर कहते हैं, "भारत में एआई टूल्स को अब भारत के विशेष डेटा के साथ ट्रेन किया जा रहा है. इससे वे हमारे फिल्म निर्माताओं के लिए और फायदेमंद हो रहा है. लेकिन इसके साथ ही, डेटा गोपनीयता, कॉपीराइट, और नौकरियां जाने जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देना होगा.

सिनेमा में एआई का नया दौर! 
एआई भारतीय सिनेमा में एक नया रिवॉल्यूशन ला रहा है. ये सिर्फ़ तकनीक नहीं, बल्कि कहानी कहने का एक नया तरीका है. श्रीनिवास जैसे फिल्ममेकर इसे एक मौके के रूप में देखते हैं, जो दर्शकों को और करीब ला सकता है. लेकिन इस रिवॉल्यूशन के साथ रिस्पॉन्सिबिलिटी भी आती है. एआई को मानव रचनात्मकता का साथी बनाना होगा, न कि उसका विकल्प.