Flipkart और PhonePe के रास्ते अब अलग हो गए है. फ्लिपकार्ट ने फोनपे से अलग होने की घोषणा कर दी है. इसके बारे में फ्लिपकार्ट ग्रुप के सीईओ कल्याण कृष्णमूर्ति ने कहा कि हमें विश्वास है कि फोनपे लाखों भारतीयों के आर्थिक समावेशन प्रदान करने के लिए अपने दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना और हासिल करना जारी रखेगा. फ्लिपकार्ट ने 2016 में फोनपे का अधिग्रहण किया था. जो दोनों अब अलग हो गई है, लेकिन दोनें कंपनियों की पैरेंट कंपनी वॉलमार्ट बनी हुई है.
इस साल के शुरुआत में फोनपे से सिंगापुर से भारत में शिफ्ट हो गया. इसके साथ ही अक्टूबर महीने में फोनपे ने बताया था कि उसने सिंगापुर के सभी कारोबार और सहायक कंपनियों को PhonePe Pvt Ltd- India में ट्रांसफर करना बंद कर दिया है. जिसमें उसकी बीमा ब्रोकिंग सेवाएं और वेल्थ ब्रोकिंग का कारोबार शामिल है. यह फोनपे को भारतीय कंपनी बनाने के कदम को पूरा करता है.
घटेगी फ्लिपकार्ट की वेलुएशन
फोनपे का फ्लिपकार्ट से अलग होने के बाद कॉमर्स कंपनी की वैल्यूएशन में कमी आएगी. हाल में फ्लिपकार्ट की वैल्यूएशन 37.6 बिलियन डॉलर है. जो फोनपे के अलग होने के बाद 33 बिलियन डॉलर हो जाएगा.
2019 में शुरू हुई अलगाव की प्रक्रिया
फ्लिपकार्ट और फोनपे के अलगाव की प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई थी. इस अलगाव का उद्देश्य फोनपे को स्वतंत्र रूप से फंड जुटाने और बाहरी निवेशकों को बोर्ड पर लाने के लिए रास्ता बनाना था. इसके तहत फोनपे ने 2020 में 700 मिलियन की पूंजी जुटाई थी, जिसकी कीमत 5.5 बिलियन डॉलर थी. वहीं अब फ्लिपकार्ट से अलग होने के बाद फोनपे फंडिंग के लिए टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट के साथ बातचीत जारी रखे हुए है.