भारतीय वायु सेना की ताकत बढ़ाने के बाद राफेल अब भारतीय नेवी की शक्ति में भी इजाफा करने वाला है. आज यानी शुक्रवार को भारत अपने विक्रमादित्य विमानवाहक पोत और स्वदेशी विमानवाहक पोत 1 पर इस्तेमाल किए जाने के लिए राफेल-एम(मरीन) जेट का परीक्षण करने वाला है. इस विमान को गोवा में तट आधारित परीक्षण के बाद आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा. यह विमान परीक्षण के लिए गुरुवार को पोत पर पहुंचा. नौसेना मार्च में इसी तरह F18 का परीक्षण कर सकती है.
F18 हॉर्नेट लड़ाकू विमान की तुलना में ज्यादा अनुकूल
राफेल जेट का समुद्री संस्करण वर्तमान में भारतीय वायु सेना में इस्तेमाल में लाए जा रहे राफेल से बहुत ज्यादा अलग नहीं है. इस विमान में एक प्रबलित अंडर-कैरिज और नोज व्हील, एक बड़ा अरेस्टर हुक और एक सीढ़ी मौजूद हैं. ऐसे कई कारण हैं जो राफेल को अमेरिका के F18 हॉर्नेट लड़ाकू विमान की तुलना में विमान वाहक पर उपयोग के लिए ज्यादा अनुकूल बनाते हैं. इसके आकार के आधार पर देखा जाए तो विक्रमादित्य के डेक पर F18 की 10 या 11 विमान रखे जा सकते हैं, वहीं उतनी ही जगह पर राफेल एम के 14 विमान रखे जा सकते हैं. राफेल एम विक्रमादित्य पर मौजूदा स्थिति में साथ काम कर सकता है.
राफेल एम कई मायनों में सक्षम
वर्तमान में विक्रमादित्य के पास पुराने मिग-29 के दो स्क्वाड्रन हैं. आइएनएस विक्रांत 15 अगस्त तक चालू हो सकता है और यदि राफेल एम सारे टेस्ट पास कर जाता है तो भारत तुरंत तैनाती के लिए चार या पांच विमानों को पट्टे पर लेने की मांग कर सकता है. परीक्षण के लिए भेजा गया राफेल एम भारत के कुछ नए खासियतों के साथ लड़ाकू विमान का लेटेस्ट वर्जन है. यह परमाणु क्षमताओं से सक्षम है और मेटेओर एयर टू एयर मिसाइल, SCALP एयर से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल और हैमर प्रिसिजन गाइडेड गोला बारूद तक ले जा सकती है.