देश दुनिया में फ्रॉड (Online Fraud) के अलग-अलग तरीके इजाद किए जा रहे हैं. लोगों की मेहनत की कमाई लूटने का एक नया तरीका इन दिनों खूब इस्तेमाल में लाया जा रहा है. ये तरीका है डिटिजल अरेस्ट (Digital Arrest) का. डिटिजल अरेस्ट साइबर क्राइम (Cyber Crime) का एक नया तरीका है. अनपढ़ तो छोड़िए इस स्कैम के शिकार डॉक्टर और इंजीनियर्स भी हो रहे हैं. इस तरह के फ्रॉड से लोगों को सतर्क करने के लिए हम एक सीरीज शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें हर दिन हम अलग-अलग तरह के फ्रॉड पर बात करेंगे और इससे बचने के तरीके भी जानेंगे.
आखिर क्या है डिजिटल अरेस्ट स्कैम
डिटिजल अरेस्ट (Digital Arrest) में स्कैमर्स पुलिस, सीबीआई या ईडी अधिकारी बनकर आपको वीडियो कॉल पर धमकाते हैं. वे कहते हैं कि आपका नाम किसी सीरियस केस जैसे स्मगलिंग, मनी लॉड्रिंग, ह्यूमन ट्रैफिकिंग में शामिल है. कुछ मामलों में तो स्कैमर्स ये दावा तक करते हैं कि उन्हें ड्रग्स या नकली पासपोर्ट मिले हैं. वीडियो कॉल के जरिए ही स्कैमर्स लोगों को बरगलाते हैं कि ये केस दूसरे शहर में रजिस्टर है, इसलिए आपको डांच पूरी होने तक वीडियो कॉल पर ही रहना होगा. इसमें साइबर क्रिमिनल अक्सर एआई-जनरेटेड वॉयस या वीडियो तकनीक का इस्तेमाल करते हैं.
अगर आप कॉल डिस्कनेक्ट करेंगे तो पुलिस आपको जेल में डाल देगी. ये स्कैमर्स इतना दबाव बनाते हैं कि आपको सोचने समझने का समय ही नहीं मिलता और आप धोखा खा जाते हैं. स्कैमर्स वीडियो कॉल में पुलिस स्टेशन का सेटअप रखते हैं ताकि किसी को शक न हो. ये पुलिस और ईडी की नकली वर्दी भी पहने हुए होते हैं.
फिर ये स्कैमर्स जांच की एक्टिंग करते हैं और कुछ देर बाद मामले को रफा दफा करने के लिए पैसों की मांग करते हैं. बात न मानने पर ये स्कैमर्स गिरफ्तारी की धमकी देते हैं. लोगों को उनकी मांग पूरी होने तक वीडियो कॉल पर रहना पड़ता है. दिलचस्प बात यह है कि साइबर अपराधी लोगों के दिमाग पर कब्जा कर लेते हैं और उन्हें घंटों और कभी-कभी तो महीनों तक डिजिटल अरेस्ट रखते हैं. जालसाज़ अक्सर पीड़ित का विश्वास जीतने के लिए फर्जी विभागीय आईडी साझा करते हैं. इन सब से बचने के लिए कई लोग झांसे में आकर पैसा दे देते हैं और लाखों की ठगी का शिकार हो जाते हैं.
इस फ्रॉड को समझने के लिए हमने जाने माने साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल से बातचीत की.
सवाल: कानून में डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज है?
जवाब: नहीं.
कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई जिक्र नहीं है. अगर आपके साथ इस तरह की कोई घटना हो तो सबसे पहले साइबर सेल या पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत करें.
क्या आप डिजिटल अरेस्ट से खुद को बचा सकते हैं?
जवाब: हां
थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता के जरिए आप खुद को स्कैमर्स के चंगुल से बचा सकते हैं. किसी भी अनजान फोन कॉल को एंटरटेन न करें. साइबर फ्रॉड आपकी जानकारी को आपके ही खिलाफ इस्तेमाल करते हैं. अगर आपने कुछ आपत्तिजनक या गलत नहीं किया है तो डरे नहीं.
डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने से कैसे बचें?
अज्ञात नंबरों या खुद को ईडी या पुलिस अधिकारी बताकर फोन कॉल करने वालों से सावधान रहें.
कभी भी किसी के साथ व्यक्तिगत जानकारी या बैंक डिटेल साझा न करें.
गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई की धमकी मिलने पर कभी भी घबराएं नहीं.
किसी भी अननोन सोर्स के जरिए आए हुए मैसेज या कॉल को रिसीव न करें.
अगर फ्रॉड का शिकार हो जाएं तो क्या करें?
सबसे पहले तो धबराएं नहीं, ऐसे संदिग्ध कॉल या मैसेज को तुरंत रिपोर्ट करें.
आप साइबर क्राइम पोर्टल (http://www.cybercrime.gov.in) पर इसकी शिकायत ऑनलाइन कर सकते हैं.
आप हेल्पलाइन नंबर 1930 के जरिए भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
सरकार ने फ्रॉड रोकने के लिए क्या किया है?
साइबर अपराध समन्वय केंद्र I4C ने जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म साइबरदोस्त पर इस तरह के फ्रॉड से सर्त रहने की सलाह दी है. सरकार ने साइबर और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट में चक्षु पोर्टल लॉन्च किया है. आप ऐसी घटना की रिपोर्ट इसपर कर सकते हैं.