सीवेज जाम हो जाने से अक्सर लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अगर स्थिति बुरी हो तो इसे साफ़ करने में कई घंटों का समय लग जाता है. लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक ऐसा उपकरण बनाया है, जिससे यह काम आसानी से हो जाएगा. सीएसआईआर-केन्द्रीय मेक्नाशियल इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीएमईआरआई), दुर्गापुर ने एक स्वदेशी मैकेनाइज्ड स्कैवेंजिंग सिस्टम बनाया है जो अन्य मशीनों की तुलना में बहुत किफायती है.
मेट्रो शहरों के लिए होगा उपयोगी
इसे सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के परिसर में लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया. यह उपकरण दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा. टियर-2 और टियर-3 शहरों के लिए मशीन के दो और संस्करण बनाए गए हैं. उन्होंने दिल्ली के तीन नगर निगमों, दिल्ली जल बोर्ड और सुलभ इंटरनेशनल के प्रतिनिधियों से इस उपकरण को उपयोग में लाने का अनुरोध किया ताकि इससे समाज का फायदा हो सके.
प्रो. हरीश हिरानी ने दी जानकारी
सीएमईआरआई, दुर्गापुर के निदेशक प्रो. (डॉ.) हरीश हिरानी ने प्लास्टिक और अन्य नष्ट न हो सकने वाले जैव अपशिष्टों (नौन-बायोडिग्रेडेबल), घरेलू फेंकने वाली वस्तुओं, मलबे, पेड़ की जड़ों की घुसपैठ आदि के कारण होने वाली रुकावट से निपटने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित मशीनीकृत मैला ढोने की प्रणाली के बारे में लोगों की जानकारी दी. उन्होंने इस सिस्टम की नई खासियत जैसे, 'Utilisation of the slurry water for the jetting operation', 'Self-propelled Post cleaning inspection system', 'Disinfection of jetting pipe', 'Built-in security features', आदि के बारे में विस्तार से बताया.
अन्य मशीनों की तुलना में किफायती
इसे भारत के बाजार में मौजूद अन्य सिस्टम्स के साथ तुलना कर के बनाया गया है. इसमें ऐसी कई विशेषताएं जोड़ी गई हैं जो इसे भारत में अपनी तरह का पहला बनाती हैं. यह सिस्टम बहुत ही किफायती है और इससे स्वच्छ भारत मिशन को बढ़ावा मिलेगा. यह प्रणाली कर्मचारियों को सीवरेज रख-रखाव सिस्टम्स में लेटेस्ट टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट की जानकारी देगी. इसके साथ-साथ यह उनकी एफिशिएंसी, परफॉर्मेंस को बढ़ाने और शरीर में प्रवेश करने वाले रोगजनकों के खिलाफ उनकी रक्षा करने में मदद करेगी.