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छात्रों ने मिलकर बनाई 'स्मार्ट चम्मच', अब बिना चखे ही पता कर सकेंगे खाने में नमक कम है या ज्यादा

यह कहानी है उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के छह दोस्तों- अदनान फारूक, तबिश मुश्ताक, सीरत, तबस्सुम मंसूर, ज़ैनब-उन-निस्सा और अमान की. जिन्होंने साथ में मिलकर एक 'स्मार्ट चम्मच' बनाया है. जिससे आप किसी भी डिश या ड्रिंक में नमक की मात्रा का पता लगा सकते हैं. 

Students working on their innovation Students working on their innovation
हाइलाइट्स
  • छह दोस्तों ने मिलकर किया आविष्कार

  • हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए बनाई अनोखी चम्मच

अगर आप हाइपरटेंशन के मरीज हैं तो अक्सर खाना बनाते समय नमक चेक करने में आपको परेशानी होती होगी. कई बार नमक ज्यादा तो कभी कम लगता होगा. लेकिन अब कुछ युवाओं ने अपने तकनीकी दिमाग से इस परेशानी का हल ढूंढ लिया है.  

यह कहानी है उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के छह दोस्तों- अदनान फारूक, तबिश मुश्ताक, सीरत, तबस्सुम मंसूर, ज़ैनब-उन-निस्सा और अमान की. जिन्होंने साथ में मिलकर एक 'स्मार्ट चम्मच' बनाया है. जिससे आप किसी भी डिश या ड्रिंक में नमक की मात्रा का पता लगा सकते हैं. 

क्या है ‘स्मार्ट चम्मच’

गुड न्यूज़ टुडे से बात करते हुए इन छात्रों ने बताया कि उनका ‘स्मार्ट चम्मच’ (स्मार्ट स्पून), हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों के लिए एक विश्वसनीय और किफायती डिवाइस है. यह चालकता (कंडक्टिविटी) और प्रतिरोध (रेजिस्टेंस) के मूल सिद्धांत पर काम करता है.

अपने दोस्तों के साथ इस आविष्कार पर काम करने वाली बांदीपोरा की एक छात्रा ज़ैनब उल निसा ने कहा कि  वे कुछ ऐसा आविष्कार करना चाहते थे जो लोगों के लिए मददगार साबित हो. उन्होंने बताया, "मेरी मां हाई बीपी की मरीज हैं और अलग-अलग डिशेज में नमक का स्वाद नहीं बता पाती हैं. रमजान के दौरान खाने में उनके लिए नमक की मात्रा का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए, हमने एक स्मार्ट चम्मच का आविष्कार करने का फैसला किया."

उनकी दोस्त और साथी-आविष्कारक इशरत का कहना है कि उनका यह स्मार्ट चम्मच कई लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. 

कैसे करता है काम: 

इन युवाओं ने बताया कि इस चम्मच में एक डिस्प्ले है जिसमें हरे और लाल रंग की बत्ती है. यह किसी विशेष डिश में मौजूद नमक की मात्रा को दर्शाता है. 

जब नमक की मात्रा ज्यादा होती है, तो लाइट हरे रंग से लाल हो जाती है. और जब नमक कम हो जाता है, तो यह फिर से लाल से हरे रंग में बदल जाती है. इन छात्रों ने जहांगीर अहमद की देखरेख में यह काम किया है. बेशक यह बहुत ही गर्व की बात है कि देश के बच्चे समस्याओं का समाधान अपन स्तर पर खोज रहे हैं. 

उम्मीद है कि उनका यह अविष्कार भविष्य में न सिर्फ हाइपरटेंशन के मरीजों बल्कि अन्य लोगों के लिए भी हितकर रहेगा. 

(बांदीपोरा से अशरफ वानी की रिपोर्ट)