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Story of Soybean Car: हेनरी फोर्ड ने सबसे पहले बनाई थी सोयाबीन से कार, दूसरों की तुलना में लगभग 1,000 पाउंड हल्की थी ये, जानिए कैसे बनी थी?

Soybean Car: अपने समय की किसी भी दूसरी कार से अलग, सोयाबीन कार पारंपरिक स्टील से नहीं बनी थी. इसके बजाय, इसमें एक हल्के प्लास्टिक बॉडी को ट्यूबलर स्टील फ्रेम पर लगाया गया था. इस कार का वजन मात्र 2,000 पाउंड था, उस समय की कारों की तुलना में ये लगभग 1,000 पाउंड हल्की

Soyabean car Soyabean car
हाइलाइट्स
  • 1941 में सोयाबीन कार हुई लॉन्च 

  • प्रोजेक्ट के पीछे थे कई दूरदर्शी लोग

1940 के शुरुआती दशक में, जब दुनिया मेटल की कमी और दूसरे विश्व युद्ध के संकट से जूझ रही थी, एक व्यक्ति भविष्य की ऐसी दुनिया का सपना देख रहा था, जहां कृषि और उद्योग एक साथ काम करें. वह व्यक्ति थे हेनरी फोर्ड, जिन्होंने असेंबली लाइन के जरिए ऑटोमोबाइल प्रोडक्शन में क्रांति ला दी. हालांकि, इस दौरान वे किसी इंजन पर काम नहीं कर रहे थे, बल्कि वे सोयाबीन से बनी एक कार तैयार कर रहे थे. जी हां सोयाबीन.  

1941 में सोयाबीन कार हुई लॉन्च 
13 अगस्त, 1941 को, फोर्ड ने मिशिगन में आयोजित डियरबॉर्न डेज फेस्टिवल में अपनी इस क्रांतिकारी खोज को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया. अपने समय की किसी भी दूसरी कार से अलग, सोयाबीन कार पारंपरिक स्टील से नहीं बनी थी. इसके बजाय, इसमें एक हल्के प्लास्टिक बॉडी को ट्यूबलर स्टील फ्रेम पर लगाया गया था. इस कार का वजन मात्र 2,000 पाउंड था, उस समय की कारों की तुलना में ये लगभग 1,000 पाउंड हल्की.

इसके डिजाइन और स्ट्रक्चर ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और जिज्ञासा पैदा की. बताया जाता है कि कार के प्लास्टिक पैनल एक अलग केमिकल फॉर्मूला से बने थे, जिसमें सोयाबीन, गेहूं, हेम्प (भांग), फ्लैक्स, रामिए और फिनोलिक रेजिन के साथ फॉर्मल्डिहाइड का मिश्रण था. हालांकि, आज तक इन पैनलों की सटीक संरचना एक रहस्य बनी हुई है, क्योंकि इस फॉर्मूला का कोई रिकॉर्ड नहीं है.

प्रोजेक्ट के पीछे के दूरदर्शी लोग
हालांकि सोयाबीन कार का विचार हेनरी फोर्ड का था, लेकिन इस प्रोजेक्ट को साकार करने में उस समय के कुछ सबसे प्रतिभाशाली लोगों ने योगदान दिया था. शुरुआत में, फोर्ड ने स्टाइलिंग विभाग के ई.टी. (बॉब) ग्रेगोरी को इस कार को डिजाइन करने की जिम्मेदारी दी. लेकिन जब फोर्ड इस डिजाइन से संतुष्ट नहीं हुए, तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट को ग्रीनफील्ड विलेज के सोयाबीन लैब में ट्रांसफर कर दिया.

यहां, लोवेल ई. ओवरली, जो एक कुशल टूल और डाई डिजाइनर थे, ने इस प्रोजेक्ट की बागडोर संभाली. लोवेल ई. ओवरली ने रॉबर्ट ए. बॉयर के मार्गदर्शन में काम किया, जो प्लास्टिक चीजें बनाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे. इन दोनों ने फोर्ड के दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदल दिया और ऐसी कार तैयार की, जो कृषि और उद्योग के सबसे बड़ा इनोवेशन में से एक बनी. 

सोयाबीन कार बनाने के पीछे कारण
सोयाबीन कार को बनाने के लिए फोर्ड की प्रेरणा तीन मुख्य कारणों से पैदा हुई:

1. कृषि और इंडस्ट्री का मेल: फोर्ड लंबे समय से चाहते थे कि इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन में कृषि से जुड़े प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाए. उन्होंने ऐसे भविष्य की कल्पना की, जहां किसान और मैनुफेक्चरर मिलकर काम करें और इनोवेशन करें.

2. सुरक्षा के प्रति चिंता: फोर्ड का मानना था कि प्लास्टिक पैनल स्टील बॉडी वाली कारों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं. उनका दावा था कि ये पैनल काफी प्रेशर सहन कर सकते हैं और दुर्घटना के दौरान कार को कुचलने से बचा सकते हैं.

3. मेटल की कमी: 1940 के दशक में, युद्ध के दौरान मेटल की मांग बढ़ गई थी. इससे इसमें काफी कमी आई. फोर्ड ने सोयाबीन कार को इस समस्या के संभावित समाधान के रूप में देखा. 

इतिहास में एक बड़ा चमत्कार 
सोयाबीन कार को डियरबॉर्न डेज में लोगों के सामने दिखाया गया और बाद में इसे मिशिगन मेले में सार्वजनिक रूप से दर्शकों के सामने ले जाया गया. लोगों ने इसके डिजाइन को काफी सराहा. 

सोयाबीन कार क्यों नहीं सफल हो पाई?
हालांकि, लोगों के पसंद करने के बावजूद सोयाबीन कार कभी बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन में नहीं आ सकी. दूसरे विश्व युद्ध के फैलने के कारण ऑटोमोबाइल निर्माण रोक दिया गया, और कारखानों ने युद्ध से जुड़े हथियार बनाने पर फोकस किया. जब युद्ध शुरू हुआ, तो बताया जाता है कि एक दूसरी सोयाबीन कार बनने के प्रोसेस में थी, लेकिन प्रोजेक्ट को छोड़ दिया गया क्योंकि युद्ध के बाद की प्राथमिकताएं अलग हो गई थीं. 
युद्ध खत्म होने तक, प्लास्टिक कार का विचार गुमनामी में चला गया. सोयाबीन कार उस समय की एक झलक बनकर रह गई. 

सोयाबीन कार का क्या हुआ?
सोयाबीन कार का क्या हुआ यह अब तक रहस्य है. लोवेल ई. ओवरली के अनुसार, इस कार को आखिर में डिजाइन में शामिल ई.टी. ग्रेगोरी ने नष्ट कर दिया था. आज इस कार के कोई अवशेष मौजूद नहीं हैं, केवल तस्वीरें और कहानियां ही इसकी कहानी बताने के लिए रह गई हैं.

हालांकि सोयाबीन कार कभी बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन में नहीं आई. लेकिन इस कार का हल्का डिजाइन और कृषि सामग्रियों का उपयोग उस समय से दशकों आगे था. आज, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री फोर्ड द्वारा सोयाबीन कार में इस्तेमाल हुई कई थ्योरी को अपना रहा है.