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Success Story: दो ग्रेजुएट्स ने बनाई Solar Powered Boat, जो कर सकती है समंदर की सफाई

Success Story: उम्मीद है कि जल्द ही भारत में समुद्र, नदी-नालों या झीलों में आपको कचरा नहीं दिखाई देगा और यह कारनामा कर रहा है Clearbot नामक स्टार्टअप.

Clearbot’s solar-powered self-driving boat Clearbot’s solar-powered self-driving boat

हांगकांग स्थित समुद्री तकनीक स्टार्ट-अप Clearbot भारत में प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए सौर ऊर्जा से खुद ब खुद चलने वाली नौकाओं की नई जनरेशन लॉन्च करने के लिए तैयार है. क्लीयरबोट के सेल्फ-ड्राइविंग इलेक्ट्रिक नावों के लेटेस्ट बेड़े में से हर एक में समुद्र से लगभग 500 किलोग्राम प्लास्टिक कचरा और अन्य कचरा उठाने की क्षमता होगी. इन नावों की मार्च में तैनात किए जाने की उम्मीद है. 

आपको बता दें कि Clearbot स्टार्टअप को  हांगकांग विश्वविद्यालय के स्नातकों, उत्कर्ष गोयल और सिद्धांत गुप्ता ने शुरू किया है. उनका उद्देश्य मरीन सर्विसेज यानी समुद्री उद्योग को इलेक्ट्रिफाई करने का है. वे ऐसी नौकाओं का निर्माण करना चाहते हैं जो स्वचालित हों और समुद्रों को सस्टेनेबल बनाएं. 

ऐसे हुई स्टार्टअप की शुरुआत 
साल 2019 में स्थापित, क्लियरबॉट की शुरुआत एक स्टूडेंट प्रोजेक्ट के तौर पर हुई थी. उन्होंने इंडोनेशियाई सर्फ़रों को जलमार्गों को कुशलतापूर्वक साफ़ करने में मदद की. क्योंकि स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही थीं. इस प्रोजेक्ट ने सिद्धांत और उत्कर्ष को वैश्विक स्तर पर समुद्री सेवा उद्योग में सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग को समझने के लिए प्रेरित किया. 

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गोयल ने कहा कि पिछले साल क्लियरबॉट ने हांगकांग और भारत में 13 नावें तैनात की हैं, जिनमें से हर एक प्रतिदिन 250 किलोग्राम तक प्लास्टिक कचरा इकट्ठा कर सकती है. सेल्फ-नेविगेटिंग इलेक्ट्रिक जहाज पानी की सतह से वेस्ट इकट्ठा करते हैं और इसे स्टोर और रिसायक्लिंग के लिए निर्दिष्ट क्षेत्रों में जमा करते हैं

भारत में हो रहा है काम 
2021 में साइंस एडवांसेज रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, दुनिया के महासागरों में सभी प्लास्टिक का लगभग 13 प्रतिशत हिस्सा भारत में है. क्लियरबॉट ने सितंबर में पूर्वोत्तर भारतीय शहर शिलांग में एक पायलट प्रोजेक्ट किया था, जिसमें तीन दिनों के भीतर एक झील से 600 किलोग्राम से 700 किलोग्राम कचरा इकट्ठा किया गया. इसका दक्षिण भारत के बेंगलुरु में भी एक प्रोजेक्ट है.

क्लियरबॉट ने भारत में व्यावसायिक उपयोग के लिए अपनी नई, बड़ी नौकाओं का प्रदर्शन शुरू कर दिया है और उन्हें अगले साल में तैनात करने की उम्मीद है. पर्यावरण समूह WWF के अनुसार, हर साल कम से कम 11 मिलियन टन प्लास्टिक दुनिया के महासागरों में प्रवेश करता है, जो हर मिनट एक ट्रक के बराबर होता है, और यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और मनुष्यों के लिए बड़ा खतरा पैदा करता है. लेकिन क्लियरबॉट बिल्कुल भी कार्बन उत्सर्जन नहीं करता है, क्योंकि यह अपने इलेक्ट्रिक नावों के बेड़े को बिजली देने के लिए डीजल के बजाय सौर ऊर्जा का उपयोग करता है. 

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि Clearbot की तकनीक भारत से बहुत बड़ी समस्या को हल कर सकती है. उम्मीद है कि जल्द ही भारत के समुद्रों और दूसरे जल स्त्रोतों को साफ किया जा सकेगा.