अक्सर अपने बचपन में हम सबने सुना है कि गाड़ियां हवा में चलेंगी और लोग आसानी से एक जगह से दूसरी जगह जा सकेंगे. हालांकि, यह बात सिवाय अफवाह के कुछ भी नहीं रही. लेकिन अब यह सच होने जा रहा है. सत्य चक्रवर्ती, IIT-मद्रास में एयरोस्पेस डिवीजन के एक प्रोफेसर, और ई-प्लेन कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य तकनीकी अधिकारी, अगले दो साल में अनमैन्ड (मानव रहित) ड्रोन, एक दो-सीटर इलेक्ट्रिक प्लेन और फेरी कार्गो लॉन्च कर सकते हैं.
ऐसा करके चक्रवर्ती दुनिया भर में एयर-टैक्सी स्टार्टअप्स जैसे स्लोवेनिया के पिपिस्ट्रेल, यूके के वर्टिकल एयरोस्पेस और स्काईफॉल, जर्मनी के वोलोकॉप्टर, स्वीडन के जेटसन एयरो, यूएस-आधारित एएसकेए और जॉबी एविएशन और चीन के ईहैंग की लिस्ट में शामिल हो जाएंगे.
IIT मद्रास से मिला इनक्यूबेशन
यूबीफ्लाई टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के तहत ई-प्लेन कंपनी को साल 2019 में चक्रवर्ती और उनके छात्र, प्रांजल मेहता ने लॉन्च किया था. अब यह चेन्नई स्थित डीपटेक स्टार्टअप, केरल स्टार्टअप मिशन का एक हिस्सा है और IIT-M में इनक्यूबेट किया गया है. साथ ही, 70 लोग इसमें काम कर रहे हैं. यह स्टार्टअप मेट्रोपोलिस के अंदर यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए एक इलेक्ट्रिक-फ्लाइंग टैक्सी विकसित कर रहा है.
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिकल वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (ईवीटीओएल) व्हीकल पार्किंग डेक की छतों, मॉल में निश्चित जगहों और अन्य दूसरे स्थानों पर उतर सकता है. (ईवीटीओएल के लिए लैंडिंग स्टेशन को नए हेलीपैड के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा. जैसे-जैसे विमानों और लैंडिंग साइट्स की संख्या बढ़ेगी और नेटवर्क बड़ा होगा, तो लागत के कम होने की संभावना है. उनका कहना है कि बाजार तैयार है, और ऐसे काफी लोग हैं जो यात्रा समय में 10 गुना कटौती के लिए ज्यादा पैसे देने को तैयार होंगे.
कंपनी ने डिजाइन किए तीन प्लेन
ई-प्लेन ने तीन यूएवी या मानवरहित एयर व्हीकल मॉडल-ई6, ई50 और ई200 डिजाइन किए हैं. e6 को 6 किलो वजन वाले पैकेजों को शिप करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसका उपयोग लंबी दूरी की निगरानी के लिए किया जा सकता है. e50 भारत का पहला ड्रोन है जो VTOL क्षमताओं से लैस है, और इसे 50 किलोग्राम पेलोड तक ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
ऑल-इलेक्ट्रिक फ्लाइंग टैक्सी, या e200, प्रमुख प्रोडक्ट है- यात्रियों और कार्गो को 10 गुना तेजी से ले जाने के लिए. चक्रवर्ती ने कहा कि ई-प्लेन, 2025 में कमर्शियल रूप से ई200 लॉन्च कर सकता है. उन्होंने कहा कि ड्रोन और ई-प्लेन उड़ाने के लिए भारतीय सर्टिफिकेशन हासिल करना आसान नहीं है.
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