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आसमानी फ़रिश्ते: पहाड़ों पर लोगों की जान बचा रहे हैं ड्रोन, टेस्टिंग के बाद शुरू हुआ ऑपरेशन, समय पर पहुंचा रहे दवाइयां

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में तकनीक के जरिए लोगों की मदद की जा रही है. लोगों को ड्रोन के जरिए स्वास्थ्य सुविधाएं जैसे जरूरी दवाइयां आदि पहुंचाई जा रही हैं.

Drones helping people Drones helping people
हाइलाइट्स
  • कई तरह के ड्रोन से मदद पहुंचाई जा रही है लोगों तक

  • टेस्टिंग के बाद शुरू हुआ ऑपरेशन

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को ड्रोन से दवाएं भेजने के लिए ऑपरेशन मददगार चलाया जा रहा है. और इसमें एक ड्रोन नहीं बल्कि कई तरह के ड्रोन से मदद पहुंचाई जा रही है. 

हम आपको बता रहे हैं अर्जुन ड्रोन के बारे में, जो पहाड़ी इलाकों में दवाएं पहुंचाने का काम कर रहा है. अर्जुन ड्रोन 45 मिनट में 70 किलोमीटर का एरियल डिस्टेंस कवर कर सकता है. और तो और बियोंड बॉर्डर लाइन तक जाकर ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है.

जवानों के लिए है मददगार: 
अर्जुन ड्रोन की खासियत की बात करें तो यह 1 घंटे 30 मिनट में देहरादून से उत्तरकाशी जाकर दवाओं या 5 किलो तक कोई भी सामान पहुंचाकर वापस आ सकता है. बॉर्डर पर मौजूद हमारे वीर जवानों के लिए दवाई और खून पहुंचाने का काम बड़े आराम से कर सकता है.

अर्जुन ड्रोन का वज़न 10 किलो है और ये 5 किलो तक का माल लिफ्ट कर सकता है.
ड्रोन के साथ चलता-फिरता मास्टर कंट्रोल रूम तैयार किया गया है, जिसका पूरा सिस्टम एक वैन यानी नभ नेत्र में फिट किया गया है. 

स्काई एयर ड्रोन से डिलीवरी:
इसके बाद दूसरा ड्रोन है- स्काई एयर ड्रोन, जिसका डिजाइन किसी प्लेन की तरह ही है लेकिन ये दो तरह से काम करता है. स्काई एयर ड्रोन 6000 फ़ीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है. स्काई एयर की लोड कैपेसिटी भी 5 किलो तक है. स्काई एयर ड्रोन 45 मिनट में 75 किलोमीटर जाकर तय लोकेशन पर दवाओं की डिलीवरी करने सक्षम है. 

जो रास्ता सड़क से 5 से 7 घंटे लगता है इन ड्रोन की मदद से सिर्फ 45 मिनट में पहुंच जाता है. ऑपरेशन मददगार में 45 मिनट के बाद स्काई एयर ड्रोन वापस आ जाता है और ठीक उसी जगह लैंड भी हो जाता है.

2013 में उत्तराखंड त्रासदी में अगर ऐसे ड्रोन होते तो कई लोगों की जान भी बचाई जा सकती थी. लेकिन आज उत्तराखंड में ऐसे ड्रोन विकसित करने के लिए ITDA का रिसर्च सेंटर हाईटेक ड्रोन बनाकर आपदा में उसका इस्तेमाल कर रहा है.