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Vishing Fraud: धोखाधड़ी का नया तरीका है विशिंग... हैकर्स आपको लूटने के लिए कर रहे वॉयस कॉल का इस्तेमाल, जानें कैसे बचें

Voice Call Fraud: विशिंग का मतलब है वॉयस या VoIP फिशिंग. ये साइबर अटैक का एक नया तरीका है. इसमें हैकर्स धोखा देने के लिए आवाज और टेलीफोनी टेक्नोलॉजी में हेरफेर करते हैं.

Vishing Vishing
हाइलाइट्स
  • ओटीपी शेयर न करें

  • ओटीपी की मदद से हो रहा है फ्रॉड 

जैसे-जैसे सभी चीजें डिजिटल होती जा रही हैं, वैसे-वैसे इससे जुड़े फ्रॉड भी बढ़ते जा रहे हैं. ओटीपी से लेकर क्यूआर कोड तक के माध्यम से ये हैकर्स लोगों को निशाना बना रहे हैं. अब ऐसे ही एक नया हैकिंग मेथड (Hacking Method) सामने आया है. इसमें हैकर्स लोगों को लूटने के लिए वॉयस कॉल (Voice Call) का सहारा ले रहे हैं. केवल एक वॉयस कॉल आपका पूरा बैंक अकाउंट खाली कर सकती है. 

ओटीपी की मदद से हो रहा है फ्रॉड 

दरअसल, साइबर सुरक्षा फर्म CloudSEK की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, साइबर क्रिमिनल ओटीपी ग्रैबर सर्विसेज के साथ 'विशिंग' (Vishing) तकनीकों (वॉयस फिशिंग) का सहारा ले रहे हैं. साइबर अपराधी इन तकनीकों का उपयोग करके यूजर को उनके वन-टाइम पासवर्ड बताने के लिए कह रहे हैं. और इसी ओटीपी से हैकर्स आपका अकाउंट हैक कर लेते हैं. 

क्या है विशिंग? 

विशिंग का मतलब है वॉयस या VoIP फिशिंग. ये साइबर अटैक का एक नया तरीका है. इसमें हैकर्स धोखा देने के लिए आवाज और टेलीफोनी टेक्नोलॉजी में हेरफेर करते हैं. फ्रॉड़स्टर बैंक/आयकर/गैस एजेंसी जैसे विश्वसनीय स्रोतों से कॉल करने का बहाना करके अपने झांसे लेते हैं. 

इसके बाद वे आपसे आपकी बैंक अकाउंट डिटेल्स मांगते हैं. वे आपके डेबिट/क्रेडिट कार्ड, एक्सपायरी डेट आदि के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर लेते हैं. इसके बाद वे कुछ उस राशि को जमा करने के लिए मोबाइल पर भेजे गए ओटीपी को शेयर करने के लिए करते हैं. जैसे ही व्यक्ति ओटीपी शेयर करता है, तुरंत उसके अकाउंट से पैसे कट जाते हैं. 

कैसे रखें खुद को सुरक्षित? 

-कभी भी अपना ओटीपी, पिन, सीवीवी, डेबिट/क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसी के साथ शेयर न करें. 

-पैसे लेने के लिए भी कोई ओटीपी/यूपीआई पिन शेयर न करें. 

-बैंक अकाउंट, क्रेडिट/डेबिट कार्ड डिटेल्स या सेंसिटिव जानकारी की पुष्टि करने या साझा करने के लिए पूछे जाने वाले किसी भी कॉल का जवाब न दें.

-पुरस्कार/ लॉटरी/ गिफ्ट देने वाली कंपनी को अपनी डिटेल्स न दें. 

-संस्थान/संगठनों/बैंकों आदि की अधिकृत वेबसाइटों पर उपलब्ध कस्टमर केयर नंबर का ही इस्तेमाल करें. 

-ऐसी किसी भी घटना के हो जाने के बाद तुरंत 1930 पर कॉल करके इन्फॉर्म करें. और आगे के नुकसान को कम करने के लिए अपने अकाउंट का पासवर्ड बदल लें, या कार्ड को ब्लॉक या फ्रीज कर दें.