पिछले कुछ सालों में तकनीक ने हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी को बहुत बदल दिया है. आपस में लोगों के कम्युनिकेशन, पढ़ाई, नौकरी से लेकर बैंकिंग के तरीकों तक, सब कुछ बदल गया है. पहले बैंक से किसी भी तरह के लेन-देन के लिए हमें बैंक जाना पड़ता था लेकिन अब सब कुछ घर बैठे किया जा सकता है.
हालांकि, आज लगभग सभी बैंकों ने इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा दी हुई है. लेकिन अब डिजिटल बैंकिंग की तरफ लोगों का ज्यादा रुझान है. खासकर कि कोरोनाकाल में इंटरनेट और डिजिटल बैंकिंग पर लोगों का ज्यादा फोकस गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2020 में 48 बिलियन डिजिटल ट्रांज़ैक्शन हुए हैं.
क्या अंतर है इंटरनेट और डिजिटल बैंकिंग में:
इंटरनेट बैंकिंग यूजर इंटरनेट का उपयोग करके बैंकिंग कार्यों और अन्य सेवाओं का लाभ उठाते हैं. यह एक व्यापक शब्द है जिसमें मोबाइल बैंकिंग भी शामिल है. इसमें आप वेबसाइट या अपने बैंक के एप के माध्यम से अकाउंट में लॉग इन करते हैं. लॉग इन के बाद आप कई तरह की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं जैसे अपना बैलेंस चेक कर सकते हैं, अपने बिलों का भुगतान कर सकते हैं, ऋण या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं.
लेकिन इंटरनेट बैंकिंग में बहुत सी लिमिट हैं जैसे मोबाइल-फर्स्ट न होना, कमजोर यूजर इंटरफेस, मुश्किल नेविगेशन आदि. क्योंकि इसे रोजमर्रा के चलते-फिरते छोटे-टिकट लेनदेन के लिए नहीं बनाया गया है.
वहीं अगर डिजिटल बैंकिंग की बात करें तो यह पारंपरिक और ऑनलाइन बैंकिंग के दायरे से परे है. डिजिटल बैंकिंग होने से आपको किसी फिजिकल बैंक ब्रांच में जाने की आवश्यकता नहीं है. इसके अलावा, डिजिटल बैंकिंग यूजर्स को बैंक की सभी सुविधाएं देती है लेकिन घर बैठे.
डिजिटल बैंकिंग से आप चंद सेकंड के भीतर पैसे भेज सकते हैं, वीडियो कॉल के माध्यम से खाता खोल सकते हैं, उच्च ब्याज दर, और आपकी सभीबैंकिंग जरूरतों के लिए एक एप्लीकेशन आदि. डिजिटल बैंकिंग का अच्छा उदाहरण है एयरटेल डिजिटल बैंक.
इंटरनेट बैंकिंग से बेहतर है डिजिटल बैंकिंग:
पिछले दो-तीन सालों में लोगों की दिलचस्पी डिजिटल बैंकिंग की तरफ बढ़ी है. इसके कई कारण हैं: