दुनियाभर में एप्पल के प्रोडक्ट्स का क्रेज बढ़ता जा रहा है. ज्यादातर लोग इसे स्टेटस सिंबल मानने लगे हैं. ठीक ऐसा ही अमेरिका में हो रहा है. लेकिन कंपनी की मोनोपोली या एकाधिकारवाद को रोकने के लिए अमेरिका के न्याय विभाग (DOJ) ने कानूनी कार्रवाई की है. स्मार्टफोन बाजार में एकाधिकारवादी (monopolistic) प्रथाओं का आरोप लगाते हुए एप्पल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है. 16 राज्य और जिला अटॉर्नी जनरल के साथ, न्याय विभाग का दावा है कि ऐप और गैर-एप्पल स्मार्टवॉच सहित थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स पर ऐप्पल के कड़े प्रतिबंध बाजार और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं. एप्पल की वजह से कई लोग या दूसरी कंपनियों को नुकसान पहुंच रहा है.
"व्हाक-ए-मोल" गेम से की तुलना
न्याय विभाग के एंटीट्रस्ट डिवीजन के असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल जोनाथन कैंटर ने एप्पल की रणनीति की तुलना "व्हाक-ए-मोल" गेम से की है, जिसमें कंपनी पर उपभोक्ताओं से ज्यादा कीमतें वसूलने और टेक्नोलॉजी में दूसरे लोगों के रास्ते को बाधित करने का आरोप लगाया गया है. अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने इस बात पर जोर दिया है कि एप्पल इनोवेशन से आगे नहीं बढ़ता यही बल्कि दमघोंटू प्रतिस्पर्धा से उपजा है.
हालांकि, इसके जवाब में ऐप्पल का तर्क है कि मुकदमा स्वतंत्र रूप से इनोवेशन करने और बाजार में नए प्रोडक्ट्स लाने की उनकी क्षमता को खतरे में डाल रहा है. एप्पल का दावा है कि इसके बाद सरकार एप्पल के हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सर्विस में सरकारी हस्तक्षेप कर सकती है. इस मुकदमे की घोषणा के बाद कंपनी के शेयरों में 4% से अधिक की गिरावट आई है. इससे कंपनी को करीब 113 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचा है.
मुख्य आरोप क्या है?
लॉ सूट में शर्मन एक्ट की धारा 2 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. इसमें दावा किया गया है कि एप्पल पूरे मार्किट पर कब्जा कर रहा है. न्याय विभाग का तर्क है कि एप्पल अपने प्रोडक्ट्स को लेकर पक्षपात करता है, जिसकी वजह से किसी दूसरे प्रोडक्ट को मार्किट में जगह नहीं मिल पाती है.
शिकायत में ऐसे उदाहरणों का हवाला दिया गया है जहां एप्पल ने कथित तौर पर मोबाइल क्लाउड स्ट्रीमिंग सर्विस को दबा दिया है, क्रॉस-प्लेटफॉर्म मैसेजिंग ऐप्स को बाधित किया है, और ऐप डेवलपर्स की एप्पल की पेशकशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले उत्पाद बनाने की क्षमता में बाधा डाली है. विशेष रूप से, दिसंबर 2023 में बीपर मिनी ऐप को बंद किया गया था. इसमें एंड्रॉइड यूजर्स आसानी से iMessage तक पहुंच जाते थे. लेकिन इसके लॉन्च के कुछ समय बाद इस ऐप को बंद कर दिया गया था.
हालांकि, एप्पल का कहना है कि इस तरह के मुकदमे से कंपनी की अपने सिद्धांतों के अनुसार टेक्नोलॉजी डिजाइन करने की क्षमता खतरे में आ सकती है. फिर भी, अगर न्याय विभाग राहत चाहता है, तो इसमें एप्पल अपनी कुछ संपत्तियों को बेच या अपनी कुछ चीजों को बदल सकता है.
एप्पल का कानूनी इतिहास
बता दें, यह मुकदमा एप्पल के लिए कोई नया नहीं है. इससे पहले भी न्याय विभाग ने एम्प्लाइज की सैलरी न देने के आरोपों पर 2010 में और 2016 एप्पल को घेरा था. इसके अलावा, 2020 में एप्पल के खिलाफ एपिक गेम्स के मुकदमे ने ऐप स्टोर के एकाधिकार के बारे में चिंताएं बढ़ा दी थीं, जिससे अमेरिकी और यूरोपीय दोनों रेगुलेटर ने जांच शुरू कर दी थी.
Apple ने अक्सर अपने बचाव में कहा है कि इस तरह के लॉ सूट से कहीं न कहीं उनके इनोवेशन करने और टेक्नोलॉजी में बदलाव करने में बाधा आ सकती है.