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Road Safety: क्या है Driver.iTM... कैसे करता है काम... ड्राइवर पर रखेगा ध्यान... ऐसे लगाएगा सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम 

Driver.iTM एक अत्याधुनिक ड्राइवर और फ्लीट सुरक्षा तकनीक है. यह एक AI संचालित और एज-गणना पर आधारित समाधान है, जो वाहन के अंदर और बाहर ड्राइविंग की हर गतिविधि को ट्रैक करता है. इसका मुख्य उद्देश्य सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को कम करना और चालक के व्यवहार को बेहतर बनाना है.

Truck (File Photo: PTI) Truck (File Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • हमारे देश में सड़क दुर्घटना है एक गंभीर समस्या

  • आए दिन सड़क हादसों में लोगों की होती है मौत 

हमारे देश में आज सड़क दुर्घटना एक गंभीर समस्या बन चुकी है. दुनिया भर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 11% भारत में होती हैं. साल 2021 में देश में 1.53 लाख से अधिक लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई थी. इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि सड़क सुरक्षा को लेकर देश में तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. इसके मद्देनजर, भारत सरकार ने अगले दो वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं को 50% तक कम करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकारी नीतियां और तकनीकी समाधानों का एकत्रित प्रयास किया जा रहा है.

इस दिशा में Driver.iTM जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जो सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. यह तकनीक न केवल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ड्राइवरों की आदतों में सुधार और फ्लीट संचालन को भी कुशल बनाती है. इसका उपयोग देश के प्रमुख परिवहन और लॉजिस्टिक्स कंपनियों की ओर से किया जा रहा है. इससे सड़क सुरक्षा के मानकों में सुधार हो रहा है और दुर्घटनाओं के जोखिम को कम किया जा रहा है. 

क्या है Driver.iTM
Driver.iTM एक अत्याधुनिक ड्राइवर और फ्लीट सुरक्षा तकनीक है. इसे नेट्राडाइन ने विकसित किया है. यह एक AI संचालित और एज-गणना (Edge Computing) पर आधारित समाधान है, जो वाहन के अंदर और बाहर ड्राइविंग की हर गतिविधि को ट्रैक करता है. इसका मुख्य उद्देश्य सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को कम करना और चालक के व्यवहार को बेहतर बनाना है.

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मुख्य रूप से दो पहलुओं पर किया गया है ध्यान केंद्रित 
1. सड़क और ड्राइवर के व्यवहार की निगरानी: Driver.iTM ड्राइवर के व्यवहार, थकान, उनींदापन और अन्य जोखिमपूर्ण स्थितियों को मॉनिटर करता है. यह न केवल वाहन के आसपास की सड़क स्थितियों को पहचानता है, जैसे सड़क संकेत, ट्रैफिक लाइट्स और मौसम की स्थिति बल्कि यह ड्राइवर के व्यवहार की भी निगरानी करता है. इसके जरिए ड्राइवर की गति, उसका ध्यान और उसकी थकान स्तर जैसे कारकों का मूल्यांकन किया जाता है, जिससे संभावित दुर्घटनाओं को पहले से पहचाना जा सकता है.

2. स्मार्ट डैशबोर्ड और रियल-टाइम रिपोर्टिंग: इस तकनीक का एक और महत्वपूर्ण पहलू इसका स्मार्ट डैशबोर्ड है, जो फ्लीट प्रबंधकों को ड्राइवर के व्यवहार और पूरे फ्लीट के प्रदर्शन की रियल-टाइम रिपोर्ट प्रदान करता है. यह डैशबोर्ड ड्राइवर की प्रत्येक गतिविधि को रिकॉर्ड करता है और उसे त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध कराता है. इससे फ्लीट मालिकों को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि उनके चालक सुरक्षा नियमों का पालन कर रहे हैं. यदि किसी चालक को प्रशिक्षण की आवश्यकता है तो उसे समय पर कोचिंग मिल सके.

...तो मिल सकता है ड्राइवरों को पुरस्कार
इसका एक और महत्वपूर्ण फीचर GreenZone नामक ड्राइवर स्कोरिंग सिस्टम है. यह प्रणाली ड्राइवर के प्रदर्शन के आधार पर उसे एक स्कोर देती है, जो उस ड्राइवर की ड्राइविंग आदतों का मूल्यांकन करती है. इससे फ्लीट मालिकों को यह समझने में मदद मिलती है कि कौन से ड्राइवर अच्छे हैं और कौन से ड्राइवर सुधार की आवश्यकता रखते हैं. इस प्रणाली से ड्राइवरों को उनके प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कार भी मिल सकते हैं, जो उन्हें बेहतर ड्राइविंग के लिए प्रेरित करता है.

भारत में सड़क सुरक्षा में योगदान
भारत में सड़क सुरक्षा को लेकर तकनीकी का सहारा लिया जा रहा है. Driver.iTM का उद्देश्य भारत के परिवहन क्षेत्र में सड़क सुरक्षा को बढ़ाना और दुर्घटनाओं को कम करना है. यह तकनीक न केवल दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करती है, बल्कि यह ड्राइवरों के कार्यों पर नजर रखते हुए फ्लीट मालिकों को उनके वाहन संचालन की वास्तविक समय की रिपोर्ट प्रदान करती है, जिससे वे अधिक सूचित निर्णय ले सकते हैं.

कई प्रमुख कंपनियां अपना रहीं यह तकनीक
Driver.iTM तकनीक भारत में कई प्रमुख कंपनियों की ओर से अपनाई जा रही है. इसमें प्रोफेशनल ऑटोमोटिव्स जैसी कंपनी शामिल है, जो 900 से अधिक ट्रकों का संचालन करती है. इस कंपनी ने अपनी पूरी फ्लीट में इस तकनीक को अपनाया है, ताकि वह अपने सुरक्षा मानकों और परिचालन दक्षता को बेहतर बना सके. प्रोफेशनल ऑटोमोटिव्स के सीओ लावण्या अग्रवाल का कहना है, हम लगातार अपने परिवहन सेवाओं के गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए नए उपायों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

इसकी तकनीकी क्षमता हमें यह विश्वास दिलाती है कि हम अपने ड्राइवरों की सुरक्षा और भलाई को सुनिश्चित करते हुए अपनी फ्लीट की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह ड्राइवर के व्यवहार पर सीधे निगरानी रखता है, जिससे जोखिमपूर्ण ड्राइविंग आदतों को पहले से पहचाना जा सकता है और ड्राइवरों को समय पर प्रशिक्षित किया जा सकता है. इसके द्वारा मिलने वाली रियल-टाइम रिपोर्टिंग और डेटा-आधारित अंतर्दृष्टियां फ्लीट मालिकों को अपने संचालन में सुधार करने में मदद करती हैं.

कैसे काम करती है Driver.iTM तकनीक
सड़क और वातावरण की निगरानी: Driver.iTM तकनीक सड़क के संकेतों, ट्रैफिक लाइट्स, मौसम की स्थिति और आसपास के अन्य वाहनों को पहचानती है. यह डेटा ड्राइवर को अपने मार्ग के बारे में सतर्क रहने में मदद करता है, जिससे दुर्घटनाओं के जोखिम को कम किया जा सकता है.

ड्राइवर की निगरानी: ये ड्राइवर के व्यवहार की भी निगरानी करता है. इसमें ड्राइवर के थकान स्तर, उसका ध्यान और उसके द्वारा की गई गलतियों को ट्रैक किया जाता है. यदि कोई ड्राइवर थका हुआ या विचलित दिखाई देता है तो उसे सचेत करने के लिए तुरंत नोटिफिकेशन भेजे जाते हैं.

स्मार्ट डैशबोर्ड: फ्लीट प्रबंधक के लिए एक स्मार्ट डैशबोर्ड उपलब्ध है, जो उन्हें रियल-टाइम में ड्राइवर के प्रदर्शन को मॉनिटर करने की सुविधा देता है. यह डैशबोर्ड ड्राइवर के प्रत्येक कार्य का विश्लेषण करता है और उसे सुरक्षित ड्राइविंग मानकों के अनुसार अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है.

Green Zone स्कोरिंग प्रणाली: इसके द्वारा उपलब्ध कराई गई Green Zone प्रणाली ड्राइवर के प्रदर्शन का मूल्यांकन करती है और उसे स्कोर प्रदान करती है. यह स्कोर ड्राइवर की गति, ध्यान और सुरक्षा के प्रति उसकी जागरूकता को दर्शाता है. यदि कोई ड्राइवर उच्च स्कोर प्राप्त करता है तो उसे पुरस्कार और अन्य प्रोत्साहन मिल सकते हैं, जो उसे और अधिक सतर्क बनाए रखते हैं.

भारत में इसका प्रभाव
भारत में सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए तकनीकों का उपयोग अब तेजी से बढ़ रहा है. Driver.iTM  तकनीक न केवल दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करती है, बल्कि यह कंपनियों को अपने संचालन में भी सुधार करने का अवसर देती है. इसका उपयोग विशेष रूप से लॉजिस्टिक्स और परिवहन कंपनियों में किया जा रहा है, जिनकी बड़ी फ्लीट होती है और जिनकी गाड़ियों का संचालन पूरे देश में होता है. इस तकनीक का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह न केवल सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करती है, बल्कि यह ड्राइवरों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखती है. जैसे ही कोई ड्राइवर थका हुआ महसूस करता है या उसे कोई स्वास्थ्य समस्या हो रही होती है, ये उसे चेतावनी देता है और उसे आराम करने का सुझाव देता है. 

भारत में सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है. यह न केवल सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करता है, बल्कि ड्राइवरों को सुरक्षित रूप से गाड़ी चलाने के लिए प्रशिक्षित भी करता है. इसके अलावा फ्लीट मालिकों को अपनी फ्लीट की सुरक्षा और दक्षता को बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे परिवहन उद्योग में सुरक्षा के मानक बढ़ रहे हैं. यह तकनीक भारत में सड़क सुरक्षा के लक्ष्य को हासिल करने में एक अहम भूमिका निभा रही है. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में सड़क दुर्घटनाओं में और अधिक कमी आएगी, जिससे सड़कें सुरक्षित बन सकेंगी और लोग सुरक्षित रूप से यात्रा कर सकेंगे.