तमाम जागरुकता अभियानों के बाद भी साइबर अपराधों के मामलों में कमी नहीं हो रही है. साइबर अपराधों की घटनाओं में करीब एक तिहाई से ज्यादा मामलों में फिशिंग यूआरएल के जरिए लोगों को चूना लगाया जा रहा है. क्या होता है फिशिंग यूआरएल और इसमें अपराधी किस तरह से ऑन लाइन फ्रॉड को अंजाम देते हैं आइए जानते हैं...
फिशिंग यूआरएल को समझिए
फिशिंग यूआरएल (URL Phishing) एक तरह का फ्रॉड लिंक होता है, जिसकी मदद से आपकी निजी जानकारी मांगी जाती है. फिशिंग यूआरएल पर क्लिक करते ही आप फेक वेब पर पहुंच जाते हैं. अगर आप इसमें अपनी जानकारी भर देते हैं तो यह हैकर के सर्वर में सेव हो जाती है. वह जब चाहे आपकी जानकारी का इस्तेमाल फ्रॉड करने के लिए कर सकता है.
ईमेल भेजकर होता है साइबर अपराध
इसके अलावा आपके ईमेल में कई बार अटैमचेंट भी भेजे जाते हैं, जिसे डाउनलोड करने को कहा जाता है. यह भी एक तरह का फिशिंग यूआरएल होता है. इस डाउनलोड को खोलते ही आपके सिस्टम या फोन में मालवेयर इंस्टॉल हो जाता है. और आपके फोन की हर जानकारी जैसे यूपीआई, डेबिट कार्ड नंबर, अकाउंट डीटेल, सब कुछ पर हैकर की नजर में रहती है. मौका मिलते ही हैकर्स आपके अकाउंट से पैसे गायब कर देते हैं और पता भी नहीं चलता.
फिशिंग यूआरएल के चर्चित फार्मूले
अक्सर इनाम जीतने के मैसेज के साथ फिशिंग यूआरएल का लिंक होता है.
फर्जी शॉपिंग साइट्सपर मिलने वाले लुभावने ऑफर्स के साथ.
आधार कार्ड, केवाईसी अपग्रेड, नौकरी पंजीकरण के साथ आने वाले मैसेज के साथ.
इन बातों का रखें ध्यान
किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसके स्पेलिंग पर जरूर गौर करें. ज्यादातर फ्रॉड फेमस वेबसाइट्स के नाम की स्पेलिंग में फेर बदल कर फ्रॉड करते हैं, क्योंकि लोग आसानी से इसपर भरोसा कर लेते हैं.
किसी भी मैसेज को बिना पढ़ें क्लिक न करें. अगर आपके पास किसी तरह का फ्रॉड कॉल आता है तो इसकी जानकारी साइबर सेल को दें.
फोन पर अहम जानकारी सेव करके न रखें. फ्रॉड करने वाले इसकी मदद से बड़ी रकम अकाउंट से गायब कर देते हैं.
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