दुनिया भर में इस समय सबसे ज़्यादा चिंता पर्यावरण को लेकर है. सड़कों पर चलने वाली मोटर कारों से बहुत प्रदूषण होता है. इसलिए लखनऊ के चार छात्रों ने पहली बार ऐसी गाड़ियों का मॉडल तैयार किया है जिनसे बिल्कुल प्रदूषण नहीं होगा. पहली बार DFS यानी डस्ट फिल्ट्रेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर कार बनायी गयी है.
एंटी कोरोना ड्रोन बनाने वाले विख्यात रोबोटिक साइंटिस्ट मिलिंद राज की देखरेख में तीन गाड़ियों को तैयार किया गया है. जल्दी ही इनको पेटेंट कराने की तैयारी है.
डस्ट फ़िल्ट्रेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर बनी पहली कार
लखनऊ के 9 से 12 साल तक के चार बच्चों ने डस्ट फ़िल्ट्रेशन सिस्टम का प्रयोग कर गाड़ियां तैयार की हैं. अलग-अलग डिज़ाइन की तीन कारों को इन बच्चों ने मिल कर तैयार किया है. ये गाड़ियां 5-जी-रेडी हैं और पर्यावरण को प्रदूषित भी नहीं करती हैं. चार छात्रों ने विख्यात रोबोटिक साइंटिस्ट मिलिंद राज के साथ इन गाड़ियों के प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था.
विराज अमित मेहरोत्रा (11 वर्ष), आर्यव अमित मेहरोत्रा (9 वर्ष), गर्वित सिंह (12 वर्ष) और श्रेयांश मेहरोत्रा (14 वर्ष) ने एक साल की मेहनत के बाद इस प्रयोग को सफल बनाया. मिलिंद के नेतृत्व में इन छात्रों ने 'फोरएवर' (forever) नाम की एक टीम बनायी और इन गाड़ियों पर काम शुरू किया. अब 3 अलग डिज़ाइन की गाड़ियां बन कर तैयार हैं. रोबॉटिक्स में मिलिंद ने पहले भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं. लेकिन यह पहली बार है जब उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर काम किया.
दुनिया में पहली बार बनी ऐसी कार
मिलिंद राज कहते हैं कि दुनिया में कहीं भी डीएफएस यानि डस्ट फ़िल्ट्रेशन सिस्टम वाली गाड़ियां अब तक नहीं बनायी गयी हैं. जबकि यही भविष्य में लोगों की ज़रूरत होगी. इसलिए यह रीसर्च और काम महत्वपूर्ण है. एक ऐसी तकनीक है जो फेफड़ों से संबंधित बीमारियों को DFS यानी डस्ट फिल्ट्रेशन सिस्टम कम करने और हमें सांस लेने के लिए स्वस्थ हवा देने में मददगार साबित हो सकती है.
छात्रों ने कार की तीन अलग-अलग डिज़ाइन बनायी है. इसे दुनिया की पहली स्मार्ट कार के रूप में इसको देखा जा सकता है और साथ ही सबसे सस्ती कार के रूप में भी. मिलिंद बताते है कि अगर बाज़ार में लाया जाए तो एक कार की क़ीमत क़रीब 95, 000 रुपए होगी.
पुरानी चीजों के इस्तेमाल से बनी है गाड़ियां
डीएफएस एक बहुत उन्नत टेक्नोलॉजी है जिसको इस कार में लगाया गया है. इससे ये प्रदूषण नहीं करती और बाहर की हवा भी स्वच्छ रहती है. इन गाड़ियों की एक और ख़ास बात है कि ये रियूज़बल चीजों से बनी हैं. इन विशेष कारों को बनाने के लिए पुरानी रॉड, स्टील के फ़्रेम जैसी चीजों का इस्तेमाल किया गया है.
अभी तीन कार अलग-अलग डिजाइन की बनायी गयी हैं. वे सिंगल, डबल और ट्रिपल हैं. ये इलेक्ट्रिक वाहन हैं और अनुमान लगाया गया है कि एक बार चार्ज होने पर कार लगभग 110 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है. क्लासिक एवं आधुनिक डिजाइन के साथ इन गाड़ियों में 1000 वाट इलेक्ट्रिक ड्राइव सिस्टम के बी.एल.डी.सी.एम. लगाया गया है.
मिलिंद राज के बनाए एंटी कोरोना ड्रोन ने कोविड काल में सुर्ख़ियां बटोरी थीं जब उनसे वैक्सीन का छिड़काव किया गया था. रोबाटिक्स के विशेषज्ञ मिलिंद राज इस टेक्नोलॉजी को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं. इस तकनीक को पेटेंट करवाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है.