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आपकी भी तो नहीं हो रही है जासूसी? ऐसे करें Laptop या Computer में मौजूद Bossware को चेक

उन कर्मचारियों पर सर्विलांस का ज्यादा खतरा होता है जो कंपनी के दिए हुए डिवाइस इस्तेमाल करते हैं, जैसे फोन या लैपटॉप. हालांकि, अगर कंपनी का सॉफ्टवेयर पर्सनल डिवाइस पर है, या अगर पर्सनल डिवाइस कंपनी के नेटवर्क से जुड़े हैं, तो वे भी सर्विलांस के इस दायरे में आ सकते हैं.

Working Woman (Representative Image/Unsplash) Working Woman (Representative Image/Unsplash)
हाइलाइट्स
  • आप कर सकते हैं अपना डिवाइस चेक 

  • ब्राउजर एक्सटेंशन और नेटवर्क कनेक्शन का रखें ध्यान

काम करने से तरीकों में बदलाव आ रहा है. रिमोट वर्क से आज घर और ऑफिस के बीच की सीमाएं तेजी से धुंधली होती जा रही हैं. लेकिन इसके कई फायदों के साथ नुकसान भी शामिल हैं. इन्हीं नुकसानों में से एक है जासूसी. कर्मचारियों के लिए एक ये एक नई चिंता सामने आई है, उनकी जासूसी. टेक्नोलॉजी जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नए तरीके खोज लिए हैं. और वो भी उन्हें बिना बताए. 

कोविड-19 महामारी के कारण रिमोट वर्क में तेजी आई है. लेकिन इसी के साथ एम्प्लॉयर की सर्विलांस टेक्नोलॉजी का उपयोग भी बढ़ गया है. "बॉसवेयर" नाम का एक टूल कंपनी अपने कर्मचारियों पर निगरानी रखने के लिए कर रहे हैं. 

कर्मचारियों की निगरानी कैसे होती है?

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इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन में लेजिस्लेटिव एक्टिविज्म के एसोसिएट डायरेक्टर हेले त्सुकायामा ने इसे लेकर वॉशिंगटन पोस्ट से बात की. उनके मुताबिक, इसके पीछे सबसे बड़ी चिंता की वजह पारदर्शिता की कमी है. यहां तक ​​कि यह पता लगाना कि आपके कंप्यूटर पर क्या है या इस तरह का टूल आपके डिवाइस में लगा है, यह पता लगाना मुश्किल है. 

उन कर्मचारियों पर सर्विलांस का ज्यादा खतरा होता है जो कंपनी के दिए हुए डिवाइस इस्तेमाल करते हैं, जैसे फोन या लैपटॉप. हालांकि, अगर कंपनी का सॉफ्टवेयर पर्सनल डिवाइस पर है, या अगर पर्सनल डिवाइस कंपनी के नेटवर्क से जुड़े हैं, तो वे भी सर्विलांस के इस दायरे में आ सकते हैं.

आप कर सकते हैं अपना डिवाइस चेक 

यह जांचने के लिए कि क्या आपके एम्प्लॉयर ऐसे सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रहे हैं, आपको अपनी डिवाइस सेटिंग देखनी होगी. iPhones पर, इसे "जनरल", फिर "VPN," फिर "डिवाइस मैनेजमेंट" में जाकर देखा जा सकता है. मैक यूजर्स इसके लिए, अपने "प्रोफाइल" सेक्शन में "प्राइवेसी और सिक्योरिटी” में जा सकते हैं. विंडोज पीसी पर, "अकाउंट्स" पर जाएं और फिर "एक्सेस वर्क या स्कूल" पर जाकर इसे चेक कर सकते हैं. 

अपने डिवाइस में हो रही किसी भी ऐसी एक्टिविटी को मॉनिटर करें जो अटपटी लग रही है. या फिर ऐप्स या सॉफ्टवेयर की तलाश करें, जो मॉनिटरिंग या सर्विलांस का संकेत दे रहे हैं. 

कैसे बच सकते हैं इससे?

एम्प्लॉयर ऐसे सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल कर सकते हैं जो उन्हें डिवाइस को दूर से कंट्रोल करने, कैमरे या माइक्रोफोन जैसी सुविधाओं तक पहुंचने की अनुमति देता है. इसके अलावा अगर आपके एम्प्लॉयर के पास आपके डिवाइस पर एडमिनिस्ट्रेटिव अकाउंट है, तो आपको नए ऐप्स डाउनलोड करने के लिए लॉगिन क्रेडेंशियल दर्ज करने की जरूरत हो सकती है. 

ब्राउजर एक्सटेंशन और नेटवर्क कनेक्शन

कंपनियां साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए ब्राउजर एक्सटेंशन का उपयोग कर सकती हैं. ये एक्सटेंशन यूजर्स के व्यवहार की निगरानी कर सकते हैं. चेक प्वाइंट सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज के इंजीनियरिंग प्रमुख मार्क ओस्ट्रोव्स्की बताते हैं कि जहां ये एक्सटेंशन आपको सेफ्टी देते हैं, वहीं वे  यूजर्स के व्यवहार पर भी नजर रखते हैं, जैसे कि अपने काम के अलावा किस चीज में ज्यादा समय बिताया है. इनका उपयोग ऑडिट में यह ट्रैक करने के लिए किया जा सकता है कि कर्मचारी अपना समय ऑनलाइन कैसे बिता रहे हैं."

पर्सनल डिवाइस को किसी कंपनी के वाई-फाई या प्राइवेट नेटवर्क से कनेक्ट करने से प्राइवेसी से समझौता हो सकता है. एम्प्लॉयर विजिट की गई वेबसाइटों, सोशल मीडिया एक्टिविटी और यहां तक ​​कि इन नेटवर्क पर भेजे गए पर्सनल मैसेज तक पहुंच सकते हैं. 

किन बातों का रखें ध्यान? 

1. अलग डिवाइस का उपयोग करें: अगर संभव हो, तो काम और पर्सनल एक्टिविटी के लिए अलग डिवाइस का उपयोग करें. जब तक बहुत जरूरी न हो, पर्सनल डिवाइस पर कंपनी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने से बचें. 

2. अपनी टेक्नोलॉजी की निगरानी करें: अलग सॉफ्टवेयर या एक्टिविटी के लिए नियमित रूप से अपनी डिवाइस सेटिंग्स और वर्क मैनेजमेंट की जांच करें. यह समझना जरूरी है कि आपके डिवाइस पर क्या इंस्टॉल है.

3. कंपनी नेटवर्क से सावधान रहें: कंपनी नेटवर्क का उपयोग करते समय, सावधान रहें कि आपकी गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है. इन नेटवर्कों पर पर्सनल ब्राउजिंग और कम्युनिकेशन सीमित करें.  

4. सूचित रहें: सर्विलांस और डेटा उपयोग को लेकर आपकी कंपनी पॉलिसी क्या है, इसको लेकर अपडेट रहें. इन पॉलिसी को समझने से आप अपनी प्राइवेसी को बचा सकते हैं.