

चीन की कंपनी बीवाईडी (BYD) कंपनी ने एक नया चार्जिंग सिस्टम विकसित किया है जो इलेक्ट्रिक गाड़ियों के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है. इस चार्जिंग सिस्टम को सुपर ई-प्लेटफार्म (Super E-Platform) नाम दिया गया है. यह महज पांच मिनट में इलेक्ट्रिक गाड़ी को फुल चार्ज कर सकता है. इससे 400 किलोमीटर की यात्रा संभव है. यह टेस्ला (Tesla) के चार्जिंग सिस्टम से दोगुनी रफ्तार से चार्ज करता है.
क्यों खास है यह चार्जिंग सिस्टम
बीवाईडी का यह सुपर इ-प्लेटफार्म 1000 किलोवॉट की पीक चार्जिंग स्पीड में सक्षम है. यह टेस्ला के सुपरचार्जर से दोगुनी स्पीड है. टेस्ला के सुपरचार्जर में 500 किलोवॉट तक की चार्जिंग स्पीड मिलती है. कंपनी का मानना है कि जितना वक्त पेट्रोल भराने में लगता है, उतने ही समय में आपकी कार करीब करीब फुल चार्ज हो जाएगी.
फिलहाल खास गाड़ियां कर पाएंगी इस्तेमाल
कंपनी ने घोषणा की है कि वह पूरे चीन में 400 से ज्यादा अल्ट्रा फास्ट चार्जिंग यूनिट बनाएगी. यह नया चार्जिंग आर्किटेक्चर शुरुआत में दो खास तरह की नई लॉन्च कारों के लिए होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों का विस्तार तभी हो सकता है जब पर्याप्त चार्जिंग की व्यवस्था हो और चार्जिंग कम वक्त में हो.
ईवी क्षेत्र में बढ़ रहा चीन का प्रभुत्व
चीन इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री, चार्जिंग स्टेशन्स, बैटरी विकास और रिसर्च के मामले में दुनिया भर के सभी देशों से काफी आगे निकलता जा रहा है. साल 2024 में चीन में 1.09 करोड़ ईवी गाड़ियों की बिक्री हुई. यूरोप में 32 लाख, अमेरिका में 12 लाख और भारत में 19.5 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई.
चीन में 99.2 लाख चार्जिंग स्टेशन्स हैं जबकि यूरोप में यह संख्या सिर्फ 3.4 लाख है. अमेरिका में एक लाख ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं जबकि भारत में महज़ 12,146 चार्जिंग स्टेशन मौजूद हैं. अगर दुनिया में बैटरी हिस्सेदारी की बात की जाए तो चीन की 66 फीसदी, यूरोप की 15% और अमेरिका की 10% हिस्सेदारी है. रिसर्च में भी चीन सबसे आगे है.
फिन ड्रीम्स बैटरी की है खास भूमिका
बीवाईडी की सहायक कंपनी फिन ड्रीम्स बैटरी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ईवी बैटरी निर्माता कंपनी है. यह कंपनी दुनिया के 50 देशों और 200 से ज्यादा शहरों में अपनी मौजूदगी रखती है. कंपनी का यह नया चार्जिंग सिस्टम इलेक्ट्रिक गाड़ियों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे लोगों का झुकाव और तेजी से इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ओर बढ़ने की उम्मीद है.