कोंडावीडु फोर्ट (Kondaveedu Fort): कोंडावीडु गांव में मौजूद इस किले का निर्माण रेड्डी राजवंश के शासक प्रोलाया वेमा रेड्डी ने करवाया था. बाद में विजयनगर, गोलकुंडा के सुल्तानों, फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों और अंग्रेजों ने इस पर कब्जा किया. 19वीं सदी की शुरुआत में इसे छोड़ दिया गया.
उप्पलपाडु बर्ड सैंगक्चूएरी (Uppalpadu Bird Sanctuary): यह बर्ड सैंगक्चुएरी अमरावती से लगभग एक घंटे की दूरी पर उप्पलापाडु गांव में मौजूद है. यह जगह अपने पानी के टैंकों और तार-जाल वाले पेड़ों (वन विभाग द्वारा स्थापित) के लिए जानी जाती है. इनका इस्तेमाल प्रवासी पक्षी घोंसले बनाने के लिए करते हैं.
अमरावती हेरीटेज सेंटर एंड म्यूजियम (Amravati Heritage and Museum): यह सेंटर अमरावती गांव में गुंटूर-अमरावती रोड पर मौजूद है. इस 2-मंजिला म्यूजियम का उद्घाटन 2006 में कालचक्र महा सम्मेलन के दौरान दलाई लामा ने किया था. अगर आप इस शहर की समृद्ध बौद्ध विरासत को देखना चाहते हैं तो यहां जरूर जाएं.
ध्यान बुद्ध स्टैच्यू (Dhyana Buddha Statue): अमरावती गांव में 4.5 एकड़ के परिसर में फैले कृष्णा नदी के तट पर मौजूद यह 125 फीट ऊंची प्रतिमा 2015 में बनकर तैयार हुई. इस स्टैच्यू की ऊंचाई तट को बेहद खूबसूरत बना देती है.
उंडावल्ली गुफाएं (Undavalli Caves): राज्य की नई राजधानी अमरावती से लगभग 20 मिनट की दूरी पर उंडावल्ली गांव में स्थित, ये गुफाएं अनंत पद्मनाभ और भगवान नरसिम्हा को समर्पित थीं और बौद्ध भिक्षुओं द्वारा विश्राम गृह के रूप में उपयोग की जाती थीं.