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विरासत का विज्ञान! वेंचुरी इफेक्ट; तेज हवा में प्रेशर कम, 953 खिड़कियों से आती है हाई प्रेशर एयर, इसलिए हवामहल ठंडा

आज नेशनल साइंस डे के मौके पर स्टेम एक्सपर्ट और इनोवेटर ने शहर के 4 मॉन्यूमेंट्स के पीछे की साइंस के बारे में बताया. आज आप जानेंगे कि हवामहल इतना ठंडा क्यों रहता है.

जयपुर के मॉन्यूमेंट्स के पीछे की साइंस जयपुर के मॉन्यूमेंट्स के पीछे की साइंस
हाइलाइट्स
  • हर के 4 मॉन्यूमेंट्स के पीछे की साइंस

  • चांद बावड़ी में इनवर्टेड पिरामिड स्ट्रक्चर

गुलाबी शहर की विरासत केवल देखने भर तक सीमित नहीं है. इनकी हर दरो-दीवार की अपनी कहानी है. हर कहानी में सीख है. इनका आर्ट, इनकी हिस्ट्री और आर्किटेक्चर नई पीढ़ी को एजुकेट कर रहे हैं. अक्सर हम जब शहर के मॉन्यूमेंट्स देखने जाते हैं, तो उनकी हिस्ट्री जानते हैं कि यह कब बना, क्यों बना और किसने बनाया? लेकिन क्या हम इन मॉन्यूमेंट्स को बनाने के पीछे की साइंस जानने की कोशिश करते हैं?

आज नेशनल साइंस डे के मौके पर स्टेम एक्सपर्ट और इनोवेटर ने शहर के 4 मॉन्यूमेंट्स के पीछे की साइंस के बारे में बताया. आज आप जानेंगे कि हवामहल इतना ठंडा क्यों रहता है. इसके झरोखे से आप सबको देख सकते हैं, लेकिन आपको कोई नहीं देख सकता. वहीं शहर की सबसे ऊंची मीनार ईसरलाट में 'सेंटर ऑफ मास' हमें परफेक्ट बैलेंस बनाना सिखाता है. देश के कई स्कूलों के स्टूडेंट्स को अभिनव इन मॉन्यूमेंट्स पर ले जाकर साइंस से जुड़े एक्सपेरिमेंट्स करवा चुके हैं.

हवामहल में 'नेचुरल ब्लाइंडर'
226 साल पहले बने इस महल में 953 खिड़कियां हैं. इनका खास डिजाइन हवा की दिशा बदल देता है. फिजिक्स के 'वेंचुरी इफेक्ट' और 'बरनौली प्रिंसिपल' के अनुसार तेज गति वाली हवा में प्रेशर कम होता है, जिससे आस पास की हाई प्रेशर की हवा अंदर आती है और महल को ठंडा रखती है. जालियां 'नेचुरल ब्लाइंडर' का काम करती हैं.

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Hawamahal

ईसरलाट में 'सेंटर ऑफ मास' फॉर्मूला
1749 में बनी ईसरलाट की ऊंचाई 140 फीट है. इसकी मजबूती का सबसे बड़ा कारण 'सेंटर ऑफ मास' है. इसका मतलब, टावर का पूरा वजन बीच में संतुलित है. इसी वजह से यह टावर तेज हवा और भूकंप जैसे झटकों को सहन कर सकता है. इसके साथ ही यहां सीढ़ियों की जगह रैम्प बनाए गए हैं. रैम्प से चढ़ना आसान होता है क्योंकि इसमें कम 'मैकेनिकल एनर्जी' लगती है.

जलमहल में बलुआ पत्थर, चूना मोर्टार
326 साल से खड़ा जलमहल बलुआ पत्थर और चूना मोर्टार से बना है. 5 मंजिला इमारत में 4 मंजिल पानी के अंदर हैं. पत्थर चूने को जोड़ने के लिए गुड़, चावल, उड़द की दाल के पानी के साथ वॉटर प्रूफिंग के लिए वेक्स, ऑइल और पेड़ की गोंद मिक्स की थी ताकि यह पानी से रिएक्ट ना करे. यह महल रिफ्लेक्शन का भी अच्छा उदाहरण है.

जलमहल

चांद बावड़ी में इनवर्टेड पिरामिड स्ट्रक्चर
चांद बावड़ी लगभग 13 मंजिल गहरी है. पिरामिड मजबूत स्ट्रक्चर के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इसे इनवर्टेड पिरामिड में बनाया है, कारण- गहराई बढ़ने पर पानी का प्रेशर बढ़ता है. इनवर्टेड पिरामिड की बनावट से पानी का प्रेशर सही तरीके से बंट जाता है, इससे दीवारों पर कम दबाव पड़ता है और बावड़ी मजबूत बनी रहती है.