राजस्थान के जैसलमेर में स्थित सोनार किला की ऐतिहासिक दीवार बारिश के कारण ढह गई है. जिले में सोमवार को भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बन गई. अच्छी खबर ये रही कि बारिश के दौरान सड़क पर कोई गाड़ी नहीं थी, इसलिए एक बड़ा हादसा टल गया. बताया जा रहा है कि किले के अंदर की तरफ पानी निकासी का मार्ग नहीं है. इस कारण पानी भरने से दीवार की नींव कमजोर हो गई और यह गिर गई.
विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में शामिल है किला
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की लिस्ट में जैसलमेर फोर्ट (Jaisalmer Fort) या सोनार किला (Sonar Quila)का नाम शामिल है. हर साल लाखों की संख्या में सैलानी इस किले को देखने के लिए आते हैं. हालांकि रख-रखाव के अभाव और पुराने होने की वजह से इस किले की दीवारें कमजोर हो गई हैं. यह पहली बार नहीं है जब इस किले की दीवार गिरी हो. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) पहले भी इस किले की मरम्मत का काम कर चुका है.
1156 ई. में बना था ये किला
जैसलमेर का ये किला राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना किला है, जिसे 1156 ई. में रावल जैसल ने बनवाया था. उन्हीं के नाम पर इसका नाम रखा गया है. किले की विशाल पीली बलुआ पत्थर की दीवारें दिन में गहरे भूरे शेर की तरह दिखाई देती हैं.
इस किले पर जब सूरज की किरणें पड़ती है, तो दीवारें सोने सी चमकने लगती हैं. जो सूरज ढलते ही शहद-सोने में बदल जाती हैं और पीले रेगिस्तान में मिल जाती हैं. इसकी वजह से इसे सोनार किला, गोल्डन फोर्ट या स्वर्ण दुर्ग (Swarna Durg) भी कहा जाता है.
यह किला 1,500 फीट लंबा और 750 फीट चौड़ा है. दुश्मनों से सुरक्षा के लिए किले का निर्माण दीवारों की तीन परतों के साथ किया गया था. सबसे बाहरी परत पत्थर से बनी थी. जैसलमेर किले में 99 गढ़ हैं, जिनमें से 92 का निर्माण 1633-1647 के बीच हुआ था. दशहरे के दौरान यहां एक बड़ा मेला लगता था और इसमें राजा भी शामिल होते थे.
सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहता है किला
घर, दुकान, होटल, मंदिरों के साथ यह किला थार रेगिस्तान के बीच एक छोटे शहर जैसा दिखता है. अब भी इसमें लगभग 3000 लोग रहते हैं और यह राज्य के सबसे प्रमुख आकर्षणों में से एक है. सैलानियों के लिए ये किला सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहता है और यहां की एंट्री फीस 50 रुपये है.
इस किले के प्रवेश द्वार पर गणेश पोल, रंग पोल, भूत पोल और हवा पोल हैं, जो शानदार मूर्तियों और आश्चर्यजनक डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं. किले के अंदर राज महल, जैन मंदिर, लक्ष्मीकांत मंदिर हैं.
जानिए इस किले का इतिहास
वैसे तो इस किले का निर्माण रावल जैसल ने कराया था. लेकिन अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने लगभग 8-9 सालों तक इस किले को घेरे रखा था और 1294 में जैसलमेर किले पर कब्जा करने में सफल रहा. लगभग दो साल तक किले पर कब्ज़ा रखने के बाद खिलजी की सेना ने ये किला छोड़ दिया. बाद में इसे फिर से बसाया गया. 14वीं सदी के अंत में ये किला जौहर का गवाह बना. एक समय में जैसलमेर की पूरी आबादी इस किले में रहती थी.
1541 में राव लूणकरण के शासनकाल के दौरान हुमायूं ने जैसलमेर किले पर हमला किया. रावल का मान टूट गया और उन्हें अपनी बेटी की शादी अकबर से करनी पड़ी. 1762 तक किले पर मुगल शासकों का नियंत्रण था, जब तक कि महारावल मूलराज ने इस पर कब्जा नहीं कर लिया.