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जानिए क्या है Last Chance Tourism... खत्म हो रहे ट्रेवल डेस्टिनेशन्स को देखने की रेस में हैं लोग

दुनिया में बहुत सी प्राकृतिक जगहें धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं या बहुत सी जगहों पर खत्म होने का खतरा है. ऐसे में, लोग जल्द से जल्द इन जगहों को देख लेना चाहते हैं और यहां की ट्रिप कर रहे हैं. इस ट्रेंड को सोशल मीडिया पर 'Last Chance Tourism' कहा जा रहा है.

Majuli Island (Photo: Intagram/@b_kakoti) Majuli Island (Photo: Intagram/@b_kakoti)

क्लाइमेट चेंज या जलवायू परिवर्तन का दुनिया पर प्रभाव किसी से छिपा नहीं है. आज बहुत सी जगहें पर्यावरण में हो रहे बदलावों के कारण खतरे में है. पिछले कुछ सालों से ग्लोबल वॉर्मिंग और एनवायरमेंट में गिरावट के कारण हमारी धरती की प्राकृतिक सुंदरता धीरे-धीरे खत्म हो रही है. इसी कारण आज दुनियाभर में 'लास्ट चांस टूरिज्म' (Last Chance Tourism) बढ़ रहा है. अब ट्रेवलिंग का मतलब सिर्फ भाग-दौड़ भरी जिंदगी से ब्रेक नहीं बल्कि उन जगहों को देखना भी है जो शायद आने वाले समय में होंगी ही नहीं. 

क्या है लास्ट चांस टूरिज्म 
लास्ट चांस टूरिज्म से मतलब ऐसी जगहों की ट्रेवल करने से है जो आने वाले कुछ सालों में लुप्त हो सकती हैं. सोशल मीडिया के कारण यह हाइप में है क्योंकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोग लगातार ऐसी जगहों के बारे में शेयर कर रहे हैं. और प्रकृति से प्यार करने वाले लोग इन जगहों को एक बार तो देखना चाहते हैं इसलिए इन जगहों पर ज्यादा से ज्यादा टूरिस्ट पहुंच रहे हैं. 

हालांकि, इन टूरिस्ट्स को यह समझ नहीं आ रहा है कि ऐसी जगहों पर बढ़ता टूरिज्म इन्हें और नुकसान पहुंचा सकता है. वर्ल्ड ट्रेवल और टूरिज्म काउंसिल की 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सभी ग्लोबल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में ट्रेवलिंग का 8 से 11 प्रतिशत योगदान है. इसका मतलब है कि लोग इन जगहों को और खतरों में डाल रहे हैं. इन जगहों में दुनिया के कई नेचुरल वंडर्स जैसे ग्लेशियर, कोरल रीफ और द्वीपसमुह शामिल हैं. 

फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन लास्ट चांस डेस्टिनेशन्स में इटली का वेनिस शहर, पेरू का माचू पिचू, ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ, जोर्डन और इजरायल का डेड सी, कनाडा का आर्कटिक, साउथ अमेरिका का अमेजन रेनफॉरेस्ट, अंटार्टिका और मालदीव्स आदि शामिल हैं. 'धरती के लंग्स' के नाम से जाने जाने वाले अमेजन रेनफॉरेस्ट के खत्म होने का खतरा वनों की अवैध कटाई के कारण है तो वहीं अंटार्टिका, मालदीव्स आदि पर क्लाइमेट चेंज की वजह से खतरा है. 

इन भारतीय डेस्टिनेशन्स पर है खतरा? 
भारत में भी कुछ ऐसी जगहें हैं जो अनसीजनल सायक्लोन, सुनामी, मिट्टी  के कटाव, प्रोजेक्ट डेवलपमेंट्स और ग्लोबल वार्मिंग के कारण खतरें में हैं. भारत में आईलैंड्स की बात करें तो द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1382 आईलैंड्स हैं. इनमें से कई आईलैंड आज खतरे में हैं. जैसे भारत का पहला आईलैंड जिला, माजुली, जो असम में है. साल 1950 से पहले इस आईलैंड का एरिया 1250 स्क्वायर किमी था, जो वर्तमान में 483 स्क्वायर किमी रह गया है.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Bishnu (@_____b_kakoti_____)

पश्चिम बंगाल के सुंदर मैनग्रूव फॉरेस्ट, सुंदरबन भी भारत के लुप्तप्राय स्थानों में से एक हैं. यह जंगल बहुत ही खूबसूरत जगह है लेकिन बढ़ती जनसंख्या, समुद्र के बढ़ते लेवल और वनों की कटाई के कारण जंगल लगातार घट रहा है. 

द हिंदु के मुताबिक, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इंदिरा पॉइंट पर बना लाइट हाउस साल 2004 की सुनामी के समय लगभग 4 मीटर पानी में डूब गया था. सुनामी के कारण इस द्वीप समूह पर और भी कई प्रभाव पड़े जैसे यहां के जंगलों का कवर कम हो गया. यहां पर समुद्र का लेवल लगभग पांच मिमी तक बढ़ रहा है. 

Travel+Leisure की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेघालय के बालपकरम जंगल, जम्मू-कश्मीर की वुलार झील, लद्दाख का हेमिस नेशनल पार्क और वेस्टर्न घाट्स आदि भी ऐसी जगहों में शामिल हो रहे हैं जो खतरे में हैं.