भारत में टूरिज्म एक तेजी से बढ़ता हुआ सेक्टर है. जिस कारण कई महानगर और यहां तक कि हिल स्टेशन इन दिनों प्रदूषण और भीड़ से जूझ रहे हैं. जिस कारण यहां का प्राकृतिक पर्यावरण प्रभावित हो रहा है. लेकिन आज के समय में अपनी हेल्थ के लिए यह जरूरी है कि हम कभी-कभी प्रदूषण मुक्त जगह पर जाते रहें. हालांकि, आजकल शांत और साफ-सुथरी जगह मिलना मुश्किल है.
अगर आप ऐसी किसी जगह की तलाश में हैं तो माथेरान आपके लिए बेस्ट है. माथेरान महाराष्ट्र में मुंबई से लगभग 90 किमी दूर स्थित है. यह एशिया का एकमात्र कार-मुक्त हिल स्टेशन है!
माथेरान में किसी भी वाहन की अनुमति नहीं है, जो इसे भारत में सबसे अधिक पर्यावरण अनुकूल स्थलों में से एक बनाता है. एक कार-फ्री जोन? इसका मतलब कोई हॉर्न की आवाज नहीं? कोई प्रदूषण नहीं? जी हां! माथेरान को 2003 में कार-फ्री जोन घोषित किया गया था. यहां दस्तूरी प्वाइंट से आगे किसी भी वाहन की अनुमति नहीं है.
सिर्फ एंबुलेंस जा सकती है अंदर
माथेरान में एकमात्र रजिस्टर्ड कार नगर पालिका की एक एम्बुलेंस है. इस जगह को एक्सप्लोर करने का सबसे अच्छा तरीका वॉक, घोड़े पर या हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शा है. माथेरान को भारतीय पर्यावरण और वानिकी मंत्रालय ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है.
आज की दुनिया में ऐसी जगह की कल्पना करना मुश्किल है जहां कोई वाहन रजिस्टर न हो; लेकिन माथेरान में यह नियम लंबे समय से चला आ रहा है. मोटर वाहनों पर प्रतिबंध लगाकर, इस क्षेत्र की इकोलॉजी को खनन और खदान उद्योग से बचाया गया है. यहां तक कि माथेरान की सड़कें भी पक्की नहीं हैं और लाल लेटराइट मिट्टी से बनी हैं।
अंग्रेजों ने खोजा था यह हिल स्टेशन
माथेरान भारत के सबसे छोटे हिल स्टेशनों में से एक है और इसकी खोज 1850 में थाना (अब ठाणे) के तत्कालीन जिला कलेक्टर ह्यूग पोयंट्ज़ मैलेट ने की थी. और फिर अंग्रेजों ने समुद्र तल से 800 मीटर ऊपर स्थित माथेरान को समर रीट्रीट यानी कि गर्मियों में समय बिताने के लिए विकसित किया.
1880 के दशक तक, इन हिल स्टेशन पर यूरोपियन एलिट्स ने अपने घर बनाए. हालांकि, इसके बाद के दशकों में, कई भारतीय व्यवसायियों ने इस अनोखे हिल स्टेशन में बंगले बनाने के लिए ज़मीन खरीदी. इनमें ज्यादातर पारसी थे, जो मुंबई और गुजरात के कुछ हिस्सों में बसे हुए थे.
यह पारसी ही थे जिन्होंने हिल स्टेशन के बाद के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई. उस जमाने के कुछ औपनिवेशिक बंगले पारसी मनोर जैसे होटलों और रिसॉर्ट्स में बदल दिया गया है, जिसे वर्तमान में सैफ्रन स्टेज़ मैनेज कर रहा है. क्रेगी बर्न बंगला, को 2008 में मुंबई स्थित संरक्षण वास्तुकार विकास दिलावरी ने बहाल किया था और इसे अब रोपर्स बंगला के नाम से जाना जाता है. माथेरान में आज भी पुरानी ब्रिटिश शैली की वास्तुकला संरक्षित है.
टॉय ट्रेन की करें सवारी
आज रफ्तार के जमाने में भी माथेरान में परिवहन के एकमात्र साधन हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शा, घोड़े, टट्टू और नैरो-गेज हेरिटेज ट्रेन हैं जिन्हें लोकप्रिय रूप से टॉय ट्रेन कहा जाता है. मोटर वाहनों के न होने के कारण, हिल स्टेशनों पर किराने का सारा सामान, दवाएं और अन्य आपूर्ति घोड़ों पर की जाती है.
माथेरान लगभग 40 'प्वाइंट्' का भी घर है. यहां सबसे लोकप्रिय पैनोरमा पॉइंट है जहां से आप आसपास के क्षेत्र और नेरल शहर का 360 डिग्री दृश्य देख सकते हैं. दूसरा प्रसिद्ध लुईसा प्वाइंट है जहां से प्रबल किला देखा जा सकता है. कुछ लोकप्रिय प्वाइंट्स में वन ट्री हिल पॉइंट, हार्ट पॉइंट, मंकी पॉइंट, रामबाग पॉइंट और पोरपाइन पॉइंट शामिल हैं. चार्लोट झील और आसपास के झरने भी पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं.