झारखंड के देवघर में बसे वैद्यनाथ धाम को बाबाधाम के नाम से भी जाना जाता है. यह भारत में भगवान शिव के 12 महाज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है जहां वे स्वयं प्रकट हुए थे. वैद्यनाथ के प्राचीन मंदिर परिसर में मुख्य ज्योतिर्लिंग मंदिर के साथ 22 और सुंदर मंदिर हैं. यहां पर आप अपने दोस्तों और परिवारजनों के साथ ट्रिप प्लान कर सकते हैं. देवघर में बाबाधाम के साथ-साथ और भी कई जगहें हैं जहां आप घूम सकते हैं.
वैद्यनाथ मंदिर के पीछे का इतिहास
वैद्यनाथ का उल्लेख समकालीन इतिहास की पुस्तकों के साथ-साथ शिवपुराण, मत्स्यपुराण और रामायण जैसे कई हिंदू ग्रंथों में मिलता है। मयूरकाशी नदी के पास स्थित, यह मंदिर देश-दुनिया में प्रसिद्ध है. इस मुख्य मंदिर के बगल में देवी पार्वती का एक सुंदर शक्तिपीठ मंदिर स्थित है. वैद्यनाथ धाम, शिव और शक्ति के पवित्र बंधन का एक प्रमाण है, जिसे दुनिया की नींव माना जाता है.
वैद्यनाथ की उत्पत्ति के बारे में देवघर शहर में कई कहानियां प्रचलित हैं. सबसे लोकप्रिय कहानी यह है कि त्रेता युग में, लंका राजा रावण ने भगवान शिव की निरंतर प्रार्थना की. रावण नगर की सुरक्षा के लिए महादेव को लंका में ही रहने के लिए मनाना चाहता था. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, शिव ने उन्हें अपना 'आत्मलिंगम' लंका ले जाने की अनुमति दी.
लेकिन भगवान ने एक शर्त रखी कि यात्रा के दौरान लिंगम टूटना नहीं चाहिए या किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दिया जाना चाहिए. देवताओं को डर था कि भगवान शिव की सुरक्षा में रावण दुनिया में तबाही मचा देगा. जल देवता वरुण ने रावण के पेट में प्रवेश किया, और उसे शौच की तीव्र इच्छा महसूस हुई, इसलिए उसने शिवलिंग को एक ब्राह्मण (जो भगवान गणेश का अवतार था) को सौंप दिया.
ब्राह्मण ने लिंगम को देवघर में रख दिया और इस प्रकार यह इस स्थान पर स्थापित हो गया. इससे क्रोधित होकर रावण ने हिंसा का सहारा लिया और लिंगम को उठाने की कोशिश की जिससे यह टूट गया. फिर उसे ग्लानि महसूस हुई और उसने एक-एक करके अपने 10 सिर भगवान शिव को चढ़ाने शुरू कर दिए. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनकी सभी चोटें ठीक कर दीं. इस प्रकार, उन्हें "वैद्य" (डॉक्टर) नाम मिला, और इस स्थान को वैद्यनाथ के नाम से जाना जाने लगा.
ऐसे बना शक्तिपीठ
कालांतर में देवी सती ने अपने पिता दक्ष के भगवान शिव का अपमान करने के बाद अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. उनकी मृत्यु का सम्मान करने के लिए, भगवान विष्णु ने उनके शरीर को 52 भागों में विभाजित कर दिया, जो पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर गिरे और मंदिरों में बदल गए. इन स्थानों को शक्तिपीठ कहा जाता है, और वैद्यनाथ शक्तिपीठ वह स्थान है जहां सती माता का हृदय पृथ्वी पर गिरा था.
वैद्यनाथ मंदिर शिवभक्तों के दिलों में बहुत महत्व रखता है और हर साल भक्तों की भीड़ उमड़ती है. वैद्यनाथ की एक अनूठी विशेषता यह है कि इसे ज्योतिर्लिंगम के साथ-साथ शक्तिपीठम (शिव की पत्नी, देवी शक्ति का मंदिर) के रूप में भी पूजा जाता है. शिव पुराण के अनुसार, पवित्र मंदिर शिव और शक्ति की दिव्य एकता का प्रतीक है.
इस प्रकार, यह हिंदू विवाह के लिए बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जब कोई जोड़ा मंदिर में शादी करता है या दर्शन के लिए जाता है, तो उनकी आत्माएं अनंत काल के लिए एक साथ बंध जाती हैं. इसलिए, दुनिया भर से हजारों हिंदू जोड़े आशीर्वाद के लिए वैद्यनाथ आते हैं.
यहां जाए बिना अधूरी है बाबधाम की यात्रा
देवघर-दुमका राज्य राजमार्ग पर झारखंड के दुमका जिले में स्थित, बासुकीनाथ हिंदुओं का एक लोकप्रिय पूजा स्थल है. बासुकीनाथ का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण निस्संदेह बासुकीनाथ मंदिर है. बासुकीनाथ में पूजा किए बिना देवघर की तीर्थयात्रा अधूरी मानी जाती है. यह व्यापक मान्यता है कि बासुकीनाथ मंदिर बाबा भोले नाथ का दरबार है.
बासुकीनाथ मंदिर में शिव और पार्वती के मंदिर एक दूसरे के ठीक सामने स्थित हैं. इन दोनों मंदिरों के द्वार शाम को खुलते हैं और माना जाता है कि इसी समय भगवान शिव और माता पार्वती एक दूसरे से मिलते हैं. इस प्रकार, भक्तों को मंदिर के सामने के द्वार से दूर जाने के लिए कहा जाता है. इसके अलावा यहां पर नौलखा मंदिर और मां शीतला का मंदिर प्रसिद्ध है.
न जाना भूलें नंदन पहाड़
नंदन पहाड़ देवघर के किनारे एक छोटी सी पहाड़ी है और प्रसिद्ध नंदी मंदिर के लिए जाना जाता है. यहां बच्चों के लिए एक विशाल मनोरंजन पार्क भी है जिसमें एक भूत घर, बूट हाउस, मिरर हाउस और एक रेस्तरां है. देवघर से सिर्फ 10 किमी दूर तपोवन गुफाएं और पहाड़ी नामक स्थान पर तपोनाथ महादेव नामक शिव का मंदिर है और यहां कई गुफाएं भी मौजूद हैं. गुफाओं में से एक में एक शिव लिंग स्थापित है और कहा जाता है कि ऋषि वाल्मिकी यहां तपस्या के लिए आए थे. इसके अलावा, आप त्रिकुटा पर्वत पर भी घूमने जा सकते हैं.
यहां पर आप पुराना देवघर किला, प्राकृतिक बासुकीनाथ वन्यजीव अभयारण्य, पागल बाबा आश्रम और सत्संग आश्रम आदि देख सकते हैं. ये सभी अध्यात्मिक जगहों पर आप घूम सकते हैं. इसलिए ट्रिप थोड़ा लंबा प्लान कर सकते हैं. यहां अक्टूबर से मार्च तक आप आ सकते हैं.