पिछले कुछ सालों नें सड़क कनेक्टिविटी सुधरने और ट्रांसपोर्ट सुविधाएं बढ़ने से पूरे देश में टूरिज्म बहुत ज्यादा बढ़ा है. खासकर कि दिल्ली NCR के आसपास पहाड़ों पर. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश तो मानो दिल्लीवासियों के लिए दूसरा घर हो गए हैं जहां लगभग हर वीकेंड पर बड़ी तादाद में सैलानी पहुंचते हैं. इस कारण पहाड़ों पर भीड़ होने लगी है लेकिन फिर भी कुछ ऐसी जगहें हैं जो अभी भी अछूती हैं और ऑफबीट ट्रिप डेस्टिनेशन की लिस्ट में आती हैं.
हिमाचल प्रदेश में तीर्थन घाटी के बीच में स्थित, गुशैणी नामक सुरम्य गांव भी इस लिस्ट का हिस्सा है जो प्रकृति की गोद का स्पृश आपको देता है. लोगों की भीड़ से दूर, गुशैणी अभी भी लगभग अछूता है. अपनी प्राचीन सुंदरता और शांत वातावरण के कारण यह एकांत और प्राकृतिक आकर्षण तलाश रहे यात्रियों को आकर्षित करता है.
प्रकृति का स्वर्ग है यह गांव
गुशैणी का लैंडस्केप इतना सुंदर है कि आप इसमें खो जाएंगे. यहां ओक और देवदार के घने जंगल, घुमावदार पहाड़ियां और घाटी से धीरे-धीरे बहने वाली तीर्थन नदी की मधुर कलकल ध्वनियां आपका मन मोह लेंगी. यह गांव ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (GHNP) का प्रवेश द्वार भी है, जो एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और अपनी समृद्ध जैव विविधता और प्राचीन जंगल के लिए जाना जाता है. प्रकृति प्रेमी गुशैणी में ट्रेक और प्रकृति की सैर के लिए आते हैं.
गुशैणी में इन एक्टिविटीज का लें आनंद
ट्रैकिंग: गुशैणी ट्रेकर्स के लिए एक स्वर्ग है, जहां सभी स्किल लेवल्स के हिसाब से ट्रैकिंग की जा सकती है. ऊंची चोटियों से घिरे एक शांत घास के मैदान, रोला की ट्रैकिंग टूरिस्ट्स के बीच फेमस है. एक दूसरा रास्ता जीएचएनपी की ओर जाता है, जो हिमालयी भूरे भालू, हिम तेंदुए और विभिन्न पक्षी प्रजातियों सहित विविध वनस्पतियों और जीवों को देखने का अवसर प्रदान करता है.
मछली पकड़ना: तीर्थन नदी अपने क्रिस्टल-क्लियर पानी और ट्राउट मछली की प्रचुरता के लिए प्रसिद्ध है. मछली पकड़ने के शौकीन लोग यहां मछली पकड़ने की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, शांत वातावरण और हिमालय की तलहटी के बीच ट्राउट पकड़ने के रोमांच का आनंद ले सकते हैं.
झरनों और गांवों की खोज: आसपास के आकर्षणों में राजसी सेरोलसर झील शामिल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और घने जंगलों से होकर जाने वाले ट्रैकिंग मार्ग के लिए प्रतिष्ठित है. जालोरी दर्रा, हिमालय के मनोरम दृश्य पेश करता है. शोजा और बंजार जैसे आकर्षक गांव पारंपरिक हिमाचली संस्कृति और वास्तुकला का प्रदर्शन करते हैं, जहां आप स्थानीय लोगों की जिंदगी को देख-समझ सकते हैं.
वन्यजीव: गुशैणी पक्षी देखने वालों के लिए एक स्वर्ग है, खासकर प्रवासी मौसम के दौरान जब कई पक्षी प्रजातियां इस क्षेत्र में आती हैं. GHNP विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का घर है. हिमालयी जीवों को देखने के इच्छुक वन्यजीव उत्साही लोगों के लिए यह उनका ड्रीम डेस्टिनेशन हो सकता है.
सांस्कृतिक सुंदरता और स्थानीय व्यंजन: गुशैणी अपने आतिथ्य, पारंपरिक त्योहारों और स्वादिष्ट स्थानीय व्यंजनों के माध्यम से हिमाचली संस्कृति की झलक पेश करता है. पर्यटक प्रामाणिक हिमाचली व्यंजनों जैसे सिद्दू (एक प्रकार की भरवां रोटी), धाम (एक पारंपरिक दावत), और स्थानीय रूप से नदी से प्राप्त ताजा ट्राउट मछली की डिशेज का स्वाद ले सकते हैं.
यहां रुक सकते हैं
गुशैणी में रुकने के लिए आरामदायक गेस्टहाउस और होमस्टे से लेकर नदी किनारे कैंपसाइट तक शामिल हैं. कई होमस्टे से तो आसपास के पहाड़ों और नदी का शानदार व्यू दिखता है जो आपका दिन बना देगा.
कैसे पहुंच सकते हैं गुशैणी
दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से गुशैणी पहुंचा जा सकता है. यहां का निकटतम प्रमुख शहर औट है, जहां से गुशैणी थोड़ी ही दूरी पर है. यात्रियों के लिए सुविधा सुनिश्चित करते हुए गुशैणी तक पहुंचने के लिए औट से बसें और टैक्सियां उपलब्ध हैं.
हिमाचल प्रदेश में गुशैणी अपनी बेदाग सुंदरता, शांत परिदृश्य और प्रकृति के बीच रोमांच के अवसरों के साथ यात्रियों को आकर्षित करता है. चाहे आप प्राचीन जंगलों के बीच ट्रैकिंग करना चाहते हों, साफ पहाड़ी नदियों में मछली पकड़ना चाहते हों, या बस हिमालय की गोद में आराम करना चाहते हों, गुशैणी में आपको सिर्फ सुकून मिलेगा.