खंडहरों के शहर के नाम से मशहूर हम्पी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है. कर्नाटक राज्य में पहाड़ियों और घाटियों के बीच स्थित यह जगह घूमने के शौकीनों के लिए बेस्ट है. 500 प्राचीन स्मारकों, सुंदर मंदिरों, हलचल भरे बाजारों, गढ़ों, इमारतों और विजयनगर साम्राज्य के मनोरम अवशेषों से घिरा, हम्पी किसी के लिए भी धरती पर स्वर्ग से कम नहीं है. हम्पी एक खुला संग्रहालय (Open Museum) है. यहां की हर चीज में इतिहास की झलक है और इसलिए हम्पी को World Heritage Site घोषित किया गया.
अगर आप किसी ऑफबीट जगह जाना चाहते हैं तो हम्पी की ट्रिप कर सकते हैं. हम्पी घूमने के लिए आप 5-6 दिन की ट्रिप प्लान कर सकते हैं जिसमें तीन दिन आप सिर्फ हम्पी को एक्सप्लोर करने के लिए रखें और बाकी ट्रेवलिंग के हिसाब से प्लान करें. आपको बता दें कि हम्पी में होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और जिदंगी में एक बार यहां की होली जरूर खेलें.
इतिहास के साथ पौराणिक महत्व भी
हम्पी का एक दिलचस्प इतिहास है क्योंकि यह एक समय प्राचीन हिंदू साम्राज्य, विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी. यह साम्राज्य 13वीं सदी के मध्य में उभरा. इस दौरान, विजयनगर के शासकों ने हम्पी को अलंकृत मंदिरों, महलों, बाजारों, सड़कों और स्मारकों से सजाया. लेकिन 1565 में हम्पी पर डेक्कन सल्तनत ने हमला किया. इस लड़ाई को अब तालीकोटा की लड़ाई के रूप में जाना जाता है और इसमें विजयनगर साम्राज्य हार गया था. जिस वजह से हम्पी को लगातार छह महीने तक लूटा गया था. इससे विजयनगर राज्य का धीरे-धीरे पतन हो गया. काफी वर्षों बाद पुरातत्वविदों ने इस शहर को संरक्षित किया.
हम्पी के कई मंदिर, प्रवेश द्वार और स्मारक अभी भी खड़े हैं, और यूनेस्को ने इन्हें विश्व धरोहर स्थल माना है. हम्पी के प्रचुर प्राचीन मंदिर मूल रूप से हम्पी को एक खुला संग्रहालय बनाते हैं जो हम्पी के इतिहास की कहानी बताता है. हम्पी एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भी है, जो पूरे भारत से हिंदुओं और जैनियों को आकर्षित करता है. तीर्थयात्री इसलिए आते हैं क्योंकि माना जाता है कि हम्पी वह स्थान है जिसे 'किष्किंधा' (रामायण में वर्णित) के नाम से जाना जाता है, जहां भगवान हनुमान का जन्म हुआ था.
इन मंदिरों के करें दर्शन
हम्पी में पहले दिन आप भगवान शिव को समर्पित विरुपक्ष मंदिर के दर्शन कर सकते हैं. यह मंदिर सातवीं सदी से कार्यरत है. इस मंदिर के अलावा आप कृष्ण मंदिर, हम्पी बाजार, लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर, विट्ठल मंदिर और पत्थर के रथ आदि देख सकते हैं. आप यहां रिवरसाइड ट्रैक मार्ग पर भी घूमने जा सकते हैं.
हम्पी के आसपास का परिदृश्य पहाड़ों, चट्टानों और मंदिरों से सुसज्जित है. ऐसे में यहां सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत ही खूबसूरत होता है. अगर आप सूर्यास्त देखना चाहते हैं को हेमकुट हिल जा सकते हैं. यह हम्पी के बाहरी इलाके में है और इस पर चढ़ना आसान है.
यहां देखें पुराने महल
हम्पी में मंदिरों के अलावा आप यहां का आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम, हाथियों के अस्तबल आदि देख सकते हैं. ये प्राचीन अस्तबल वे स्थान हैं जहां विजयनगर साम्राज्य के शाही हाथियों को रखा जाता होगा. आप लोटस महल जा सकते हैं. यह उस क्षेत्र का एक हिस्सा था जहां विजयनगर साम्राज्य के शाही परिवार रहते थे. यह एक सुंदर, अलंकृत इमारत है जिसे शाही महिलाओं के लिए घुलने-मिलने और एक साथ घूमने के लिए डिजाइन किया गया था.
हम्पी का शाही महल यहां के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है. यहां, विजयनगर साम्राज्य के राजा रहते थे. उस जमाने में इस महल में 45 इमारतें थीं, जिनमें दरबार हॉल, भूमिगत कक्ष और मंदिर शामिल हैं. साथ ही, हेमकुट हिल के अलावा आप मंटागा हिल से भी सूर्यास्त के बेहतरीन दृश्य देख सकते हैं.
जरूर जाएं अंजनेय हिल
अंजनेय हिल टॉप हम्पी के पास एक धार्मिक स्थल है, जिसे वानर-देवता हनुमान का जन्मस्थान माना जाता है. अंजनेय हिल बिल्कुल वैसा ही है - एक खड़ी पहाड़ी. टॉप पर पहुंचने के लिए आपको 575 पत्थर की सीढ़ियां चढ़नी होंगी. ऊपर जाने पर आपको बहुत सारे बंदर भी दिखाई देंगे. जब आप टॉप पर स्थित मंदिर तक पहुंच जाएंगे, तो यहां से आप दूर तक फैली तुंगभद्रा नदी को देख सकते हैं.
अगर आपके पास समय हो तो सनापुर झील भी जा सकते है. यह हम्पी से तुंगभद्रा नदी के विपरीत दिशा में है. यह झील मैन-मेड है, लेकिन बहुत खूबसूरत है.
हम्पी का हिप्पी आईलैंड
विराप्पुर गद्दे या हम्पी द्वीप, तुंगभद्रा नदी के विपरीत दिशा में हम्पी के ठीक सामने है. यह नदी हम्पी के ऐतिहासिक हिस्से को हिप्पी द्वीप से अलग करती है. यह एक और फेमस जगह है जहां आप घूम सकते हैं. हम्पी का हिप्पी द्वीप नदी के दूसरी तरफ है, लेकिन यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहां पर कई हॉस्टल और गेस्ट हाउस हैं. यहां आपको मड कॉटेज में रहने का भी मौका मिलेगा और आप यहां एक अलग जीवन का अनुभव ले सकते हैं.
मशहूर है हम्पी की होली
मथुरा-वृंदावन की तरह हम्पी की होली भी बहुत मशहूर है. यहां पर दो दिन होली मनाते हैं. तुंगभद्रा नदीं के किनारे घाटों पर गुलाल-अबीर उड़ाया जाता है ताकि आसमान में सिर्फ रंग ही रंग हों. यहां होली का त्योहार होलिका दहन के साथ ही शुरू होता है. होलिका दहन के समय यहां नाच-गाना होता है और दूसरे दिन सुबह से ही लोग रंग खेलना शुरू करते हैं. यह परंपरा 15वीं शताब्दी से चली आ रही है. राजा देवराय के समय के एक इटेलियन यात्री, निकोलो डी कोंटी ने अपने यात्रा वृतांत में इस त्योहार के बारे में लिखा है. इसलिए आप होली के समय भी हम्पी की ट्रिप प्लान कर सकते हैं.