अगर आप अपनी जॉब-घर की भागदौड़ से छोटा-सा ब्रेक लेना चाहते हैं और किसी ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहां आपके मन को सुकून मिले तो कान्हा जी की नगरी से अच्छा कुछ नहीं हो सकता है. जी हां, आप मथुरा-वृंदावन की ट्रिप साल में कभी भी प्लान कर सकते हैं क्योंकि आप यहां कभी भी जाइए, आपको सिर्फ सुकून ही मिलेगा. हालांकि, कुछ मौकों पर जैसे होली, जनमाष्टमी पर यहां खूब भीड़ होती है लेकिन राधाकृष्ण का जाप आपके अंतर्मन को तरोताजा कर देता है.
खासकर अगर आप दिल्ली-NCR से हैं तो आप आराम से अपनी गाड़ी, बस या ट्रेन से मथुरा पहुंच सकते हैं और वहां से वृंदावन जा सकते हैं. अगर आप कहीं और से आ रहे हैं तो अपने शहर से सहुलियत के हिसाब से आगरा या दिल्ली के एयरपोर्ट पर लैंड कर सकते हैं या फिर ट्रेन से आ सकते हैं. मथुरा-वृंदावन में आपको अपने बजट के हिसाब से अच्छे होटल व लाउंज आदि आसानी से मिल जाएंगे.
मथुरा में करें श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन
सबसे पहले आप मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करें. ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण ठीक उसी स्थान पर हुआ है जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. इसमें केशवदेव मंदिर, गर्भ गृह मंदिर और भागवत भवन के साथ-साथ एक खड़ा तालाब, जिसे पोत्रा कुंड कहा जाता है, शामिल हैं.
कर सकते हैं गोवर्धन की परिक्रमा
मथुरा के पास बसे गोवर्धन शहर की परिक्रमा करने का मतलब है उसी गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करना, जिसे कभी श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर उठाया था. परिक्रमा के दौरान आप राधा कुंड और श्याम कुंड में डुबकी लगाएं. कुसुम सरोवर झील और गिरिराज मंदिर यहां बहुत प्रसिद्ध हैं.
गोवर्धन के अलावा आप पास के शहर बरसाना भी जा सकते हैं, जो राधारानी की नगरी है. मथुरा से केवल एक घंटे की दूरी पर, इस शहर तक बस द्वारा पहुंचा जा सकता है। बरसाना चार पवित्र चोटियों से घिरा हुआ है और इसके टॉप पर लाडलीजी मंदिर है. मथुरा में आप द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन भी जरूर करें, जहां श्रीकृष्ण की श्याम वर्ण की मूर्ति लगी हुई है. यहां पर जनमाष्टमी के मौके पर भव्य उत्सव आयोजित होता है. मथुरा कंस राक्षस का राज्य था जो श्रीकृष्ण के मामा थे. यहां आप कंस किला भी जा सकते हैं.
वृंदावन का परिक्रमा बिना अधूरी है ट्रिप
अगर आप वृंदावन की रूह को जानना चाहते हैं तो कान्हा की इस नगरी की परिक्रमा जरूर करें. सुबह जल्दी अपनी परिक्रमा शुरू करें और इसके दौरान आप यहां के मंदिरों, गली-कूचों और सरोवरों का आनंद ले सकेंगे. वृंदावन सात गोस्वामी मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है जिन्हें श्रीकृष्ण के शिष्य कहा जाता है.
वृन्दावन की पुराने मंदिर वास्तुकला को देखने के लिए इन गोस्वामी मंदिरों- राधा दामोदर मंदिर, राधा गोकुलानंद मंदिर, राधा गोपीनाथ मंदिर, राधा श्यामसुंदर मंदिर, राधा रमण मंदिर, राधा गोविंददेव मंदिर और राधा मदनमोहन मंदिर जरूर जाएं. इसके बाद, आप इस्कॉन मंदिर के दर्शन करें. आपको बता दें कि वृंदावन के इस्कॉन मंदिर का निर्माण इस्कॉन आंदोलन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद ने 1975 में कराया था. आप यहां दोपहर के लिए मंदिर बंद होने से ठीक पहले 12 बजे राजभोग आरती देख सकते हैं.
बांके बिहारी के दर्शन हैं जरूरी
ब्रजभूमि की यात्रा वृन्दावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में कान्हा जी के दर्शनों के बिना अधूरी है. ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण की बाल रूप की मूर्ति के दर्शन करने भर से आपको सौभाग्य मिलता है. यही कारण है कि मंदिर के ठीक सामने केशी घाट की सड़कें मंदिर खुलने से पहले ही तीर्थयात्रियों से भरी रहती हैं. आपको बता दें कि बांके बिहारी मंदिर में होली और जन्माष्टमी का उत्सव, दोनों ही अद्वितीय होते हैं. बांके बिहारी मंदिंर के बाद आपको निधिवन घूमना चाहिए. लेकिन यहां रात को नहीं जा सकते हैं.
वृंदावन में रंग महल, भूतों का मंदिर जैसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जिन्हें देखना जरूरी है. कुछ साल पहले बना प्रेम मंदिर भी बहुत ही खूबसूरत है. जगद्गुरु कृपालु परिषत ने इस मंदिर को बनवाया है. यह मंदिर इटालियन संगमरमर से बना नागर वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है. यहां सूर्यास्त के बाद, शाम 7.30 बजे म्यूजिकल फाउंटेन शो होता है.
प्रसिद्ध हैं यहां के व्यंजन
अब बात करते हैं खान-पान की, तो आपको बता दें कि मथुरा-वृंदावन में महंगे होटलों में खाने की बजाय यहां के स्ट्रीट फूड का आनंद लें. मथुरा के होली गेट के पास से ही स्ट्रीट फूड से स्टॉल्स, छोटी दुकानें शुरू हो जाती हैं. आप यहां ओमा पहलवान कचौड़ी वाले से शुरुआत करें, जो शहर की सबसे पुरानी दुकानों में से एक है, जो तीखी कचौड़ी और कुरकुरी जलेबी परोसती है. बेदई और डुबकी वाले आलू (मथुरा के स्ट्रीट फूड की बात करें तो शंकर मिठाई वाला) भी ट्राई कर सकते हैं. जाने से पहले, बृजवासी स्वीट्स से मथुरा के पेड़े ले जाना न भूलें.
वहीं, वृंदावन में केशी घाट और यमुना के किनारे स्थित लोई बाज़ार में खाने के शौकीन लोग पहुंचते हैं. यहां समोसे-कचौड़ी, रबड़ी, कुल्हड़ चाय, लस्सी और आलू चाट का आनंद लें. यहां घेवर भी मजेदार मिलता है. साथ ही, वृंदावन से धागे वाली मिश्री लाना न भूलें.