भारत देश अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है. यह कई प्रकार की पारंपरिक चित्रकला शैलियों का भी घर है. हर एक शैली की अपनी अलग विशेषता और तकनीक है और सब अपने-अपने अलग अंदाज के लिए प्रसिद्ध है. चित्रकला देश के इतिहास, संस्कृति और धर्म को दर्शाता है. अगर आपको पेंटिग करने या इकट्ठा करने का शौक है तो आपको पारंपरिक चित्रकलाओं के लिए प्रसिद्ध इन जगहों की ट्रिप जरूर करनी चाहिए.
मधुबनी पेंटिंग, मिथिला, बिहार
मधुबनी चित्रकला को मिथिला चित्रकला के नाम से भी जाना जाता है. भारत के बिहार राज्य, विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र में जन्मी यह एक लोकप्रिय चित्रकला शैली है. मिथिला पेंटिंग अपने आप में खास है. इसके अनोखे रंग, बारीक डिजाइन जो पक्षियों, जानवरों, फूलों और प्रकृति से जुड़े होते हैं, इसको न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध बनाते है.
प्राचीन काल में मिथिला पेंटिंग प्राकृतिक रंगों से हाथ से कागज, कपड़े और दीवारों पर बनाई जाती थी जिसमें हल्दी, पराग या चूना और नील का इस्तेमाल किया जाता था. हालांकि, अब आर्टिफीसियल रंगों का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है. मधुबनी चित्रकला अक्सर कहानियों को दर्शाती है, जिसमें हिंदू देवी-देवताओं की पौराणिक कथाएं, मिथिला की पारंपरिक शादियां, त्योहारों और ग्रामीण जीवन आदि शामिल हैं.
मंजूषा पेंटिंग, भागलपुर, बिहार
मंजूषा चित्रकला को भागलपुर चित्रकला के नाम से भी जाना जाता है. बिहार के भागलपुर शहर में जन्मी यह चित्रकला काल्पनिक चित्रों को दर्शाती है. इसमें सांप, पक्षी, और क्षेत्र के पारंपरिक विरासत को बारीकी से रंगों के द्वारा बनाया जाता है. त्योहारों में स्थानीय कलाकार प्रदर्शनी लगा कर पर्यटकों को आकर्षित करते है और आज भी इसकी परम्परा को जीवित रखे हुए है.
पट्टचित्र, रघुराजपुर, ओडिशा
रघुराजपुर, ओडिशा के पुरी जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है, जो अपनी पारंपरिक पट्टचित्र कला के लिए प्रसिद्ध है. यह कला 5वीं शताब्दी से भी ज्यादा पुरानी है. यह भगवान जगन्नाथ, राधा-कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं के चित्रों को दर्शाती है. इस कला को कपड़े के ऊपर रंगों की मदद से बनाया जाता है.
मिनिएचर पेंटिंग, जयपुर, राजस्थान
जयपुर को "गुलाबी शहर" के नाम से भी जाना जाता है. अपने शानदार किलों, महलों के अलावा जयपुर अपनी कलाओं के लिए भी प्रसिद्ध है. जयपुर की मिनिएचर पेंटिंग दुनिया भर में लोकप्रिय है. इसको कागज पर बनाया जाता है, जिसमें अक्सर अदालत के दृश्य, प्रकृति और हिंदू देवी देवताओं के चित्र बनाए जाते हैं. मेवाड़, मारवाड़ और किशनगढ़ जैसी शैलियां राजस्थानी मिनिएचर पेंटिंग में आती है.
कांगड़ा चित्रकला, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
कांगड़ा चित्रकला को पहाड़ी चित्रकला के नाम से भी जाना जाता है. यह अपनी प्राकृतिक तरीके, बारीकी, और खूबसूरत रंगों के लिए मशहूर है. यह पेंटिग अक्सर प्रेम कहानियों, ज्यादातर राधा और कृष्ण की रास लीला को दर्शाती हैं.
तंजावुर चित्रकला, तंजावुर, तमिल नाडु
तंजावुर पेंटिंग को तंजौर चित्रकला के नाम से भी जाना जाता है. यह दक्षिण भारत की एक शास्त्रीय चित्रकला शैली है जो अपने रंगों, बारीक डिजाईन, और सोने के वर्क के उपयोग के लिए प्रसिद्ध है. इसमें गहरे और चमकीले रंगों का प्रयोग होता है. जो चीज़ इसको सबसे अलग बनती है वो है सोने के वर्क का उपयोग, सोने के वर्क को चित्र में आभूषण और कपड़े बनाने के लिए करते है. इस पेंटिंग में हिंदू देवी-देवताओं, पौराणिक दृश्यों, त्योहारों और दैनिक जीवन के दृश्यों को बनाया जाता है. इस पेंटिंग को अक्सर घरों, मंदिरों, और म्यूजियम आदि में सजावट के लिए भी बनाते है.
वरली चित्रकला, नॉर्थ सह्याद्री रेंज, महाराष्ट्र
वरली चित्रकला महाराष्ट्र के नॉर्थ सह्याद्री रेंज में रहने वाले वरली आदिवासी समुदाय की एक अनोखी और प्राचीन चित्रकला शैली है, जो अपनी सादगी, खूबसूरत रंग और प्राकृतिक रचनाओं के लिए प्रसिद्ध है.
यह पेंटिंग लाल रंग या मिट्टी के लिप्पन के उपर सफ़ेद रंग का इस्तेमाल करके बनाई जाती है.
फाड़ पेंटिंग, भीलवाड़ा, राजस्थान
राजस्थान का भीलवाड़ा 'फाड़' पेंटिंग के लिए मशहूर है. यह बड़े आकार के कपड़े पर बनाई जाती है, जिसमें देवी-देवताओं, लोक नायकों और पौराणिक कथाओं के चित्र होते हैं. फाड़ चित्रकला को 'भोपा' समुदाय के लोग बनाते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी इस कला को जीवित रखते हैं.
गोंड पेंटिंग, दिंडोरी, मध्य प्रदेश
गोंड पेंटिंग भारत की सबसे पुरानी आदिवासी कलाओं में से एक है. यह मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदाय, गोंड लोगों द्वारा बनाई गई है. दिंडोरी की गोंड पेंटिंग अपने सबसे अलग तरीके और रंगों के लिए जानी जाती है. यहां के कलाकार काले रंग का ज्यादा उपयोग करते हैं और चित्रों में सफेद, लाल, पीले और हरे रंग का प्रयोग करते हैं जिससे पेंटिंग बेहद खूबसूरत दिखाई देती है. गोंड पेंटिंग आमतौर पर मिट्टी के बर्तन, लकड़ी के फर्नीचर, दीवारों और कपड़ों पर बनाई जाती हैं.