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Trip to Ujjain: महाशिवरात्रि से पहले यहां मनाई जाती है शिव नवरात्रि, इस खास पर्व के लिए करें महाकाल की नगरी का ट्रिप प्लान

मध्य प्रदेश का उज्जैन शहर धर्म और टूरिज्म, दोनों की नजर से बहुत अहमियत रखता है. अगर आप उज्जैन घूमना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि और कुंभ के मेले से अच्छा कोई और समय नहीं हो सकता है.

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महाशिवरात्रि के आसपास बहुत से लोग भगवान शिव की नगरी की ट्रिप प्लान करते हैं. लेकिन हम आपको बता दें कि हमारे देश में कई ऐसे शहर हैं जो शिवजी को समर्पित हैं और ये सभी भोलेनाथ की नगरी हैं. लेकिन सबसे खास महाशिवरात्रि मनाई जाती है महाकाल की नगरी में. जी हां, महाशिवरात्रि के आसपास ट्रिप पर जाना हो तो उज्जैन से बढ़कर कोई और शहर नहीं है. वैसे तो आप साल के किसी भी महीने में महाकाल के दर्शन के लिए जा सकते हैं. आपको यहां हर पल चहल-पहल दिखेगी. लेकिन शिवरात्रि पर महाकाल के दर्शन की बात ही कुछ और है. 

बड़ी संख्या में मंदिरों और धार्मिक स्थलों का घर, उज्जैन मध्य प्रदेश राज्य का एक बहुत ही महत्वपूर्ण गंतव्य है, जो अपने धार्मिक महत्व से पर्यटकों को आकर्षित करता है. यह भारत के सात पवित्र शहरों में से एक है, जहां हर 12 साल में प्रसिद्ध हिंदू त्योहार 'कुंभ मेला' आयोजित किया जाता है. शानदार मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों के दृश्य का आनंद लेने के लिए विदेशी सहित बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं. 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन
अगर आप उज्जैन की ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो आपको बता दें कि आप अपने किसी भी वीकेंड पर यहां पहुंच सकते हैं. उजैन, उज्जयिनी, अवंती और अवंतिकापुरी के नाम से लोकप्रिय यह राजसी शहर क्षिप्रा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है.  इसमें देश के सबसे खूबसूरत मंदिर और धार्मिक स्थल और अन्य ऐतिहासिक इमारतें हैं. हालांकि, सबसे ज्यादा यह शहर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के लिए प्रसिद्ध है जिनके दर्शन करने विदेशों तक से लोग आते हैं.

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महाकालेश्वर के अलावा उज्जैन शहर के चारों ओर कुछ मूर्तियां और मठ फैले हुए हैं जो चौथी शताब्दी में यहां पनपे बौद्ध धर्म का प्रमाण देते हैं. यह शहर हमेशा मध्य प्रदेश के सबसे कलात्मक और धार्मिक स्थानों में से एक रहा है. साथ ही, उज्जैन भारत का ग्रीनविच भी है. उज्जैन में भारत की पहली वेधशाला है जिसे जंतर मंतर कहा जाता है, जिसे महाराजा जय सिंह ने बनवाया था और यह एकमात्र ऐसी वेधशाला है, जो अभी भी कार्यात्मक है. इसी शहर में दुनिया की पहली वैदिक घड़ी भी लगाई जा रही है. आपको बता दें कि प्रसिद्ध महाकाल मंदिर को 'पृथ्वी की नाभि' भी कहा जाता है. 

इन जगहों पर भी जाएं
उज्जैन में महाकाल के अलावा और भी कई धार्मिक जगहों पर आप जा सकते हैं. यहां पर काल भैरव मंदिर भी है जो महाकालेश्वर के पास ही है. आपको यहां भी एक बार जरूर जाना चाहिए. इसके अलावा, पर्यटकों को भारत के 52 अलग-अलग स्थानों पर स्थित शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए. अगर आप भगवान कृष्ण के अनुयायी हैं, तो आपको इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) द्वारा स्थापित श्री श्री राधा मोहन मंदिर भी जाना चाहिए. 

उज्जैन को भर्तृहरि की गुफाओं के लिए भी जाना जाता है. यहां आकर आपको बहुत शांति का अनुभव होगा. हिंदू एस्ट्रोलॉजी के मुताबिक, मंगल का जन्मस्थान मंगल नाथ मंदिर भी उज्जैन में ही है. क्षिप्रा नदी का राम घाट भी बहुत मशहूर है. यहां पर बड़े गणेशजी का मंदिर भी है. 

महाशिवरात्रि पर रहती है धूम 
उज्जैन में महाशिवरात्रि की अलग ही धूम रहती है. क्योंकि यहां पर महाशिवरात्रि सिर्फ एक नहीं बल्कि नौ दिन तक मनाई जाती है. जी हां, महाशिवरात्रि से पहले यहां पर शिव नवरात्रि मनाते हैं. महाशिवरात्रि से नौ दिन पहले यह उत्सव शुरू होता है और महाशिवरात्रि के दिन समापन होता है. इस शिव नवरात्रि के दौरान, नौ दिन तक महाकाल का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है. 

पहले दिन महाकाल का चंदन से श्रृंगार होता है तो दूसरे दिन उनका शेषनाग श्रृंगार किया जाता है. तीसरे दिन घटाटोप श्रृंगार तो चौथे दिन छबीना रूप में सजाया जाता है. पांचवे दिन होलकर के रूप में महाकाल सजते हैं और छठे दिन मनमहेश के रूप में नजर आते हैं. सातवें दिन उमा महेश का रूप धारण करते हैं और आठवें दिन शिवतांडव श्रृंगार होता है. नौवें दिन महाकाल सप्तधान श्रृंगार करते हैं. 

पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट की शॉपिंग 
उज्जैन हमेशा से संस्कृति और परंपरा का प्रतीक रहा है और यह हस्तशिल्प उत्पादों की खरीदारी के लिए अच्छी जगह है. यहां के स्थानीय बाजारों से कोई भी सुंदर आभूषण, उपहार, पेपर-मैशे उत्पाद, बांस के सामान और पारंपरिक कपड़े खरीद सकता है. उज्जैन में खरीदारी के कुछ लोकप्रिय स्थल हैं ट्रेजर बाज़ार, डिवाइन वैली, पाकीज़ा, महाकालेश्वर मार्ग, फ्री गंज, जवाहर मार्ग और गोपाल मंदिर मार्ग आदि. 

इन व्यंजनों का लें स्वाद 
आपने राजस्थान में दाल बाटी चूरमा और बिहार में लिट्टी चोखा का स्वाद चखा होगा, लेकिन उज्जैन के प्रसिद्ध दाल-बाफला के स्वाद के बिना आपकी फूड जर्नी अधूरी है. दाल-बाफला बनाने के लिए आटे की लोइयों में आमतौर पर कुछ भी नहीं भरा जाता है. इसके बजाय, उन्हें हल्दी और जड़ी-बूटियों से बने शोरबा में उबाला जाता है. 

इसके अलावा आप आलू बड़ा, पोहा जलेबी, गुलाब जामुन, रबड़ी, देहानिया चिवड़ा, और दाल कचौड़ी का स्वाद भी ले सकते हैं. सर्दियों में यहां पर एक और स्पेशल डिश मिलती है जिसे भुट्टे का कीस कहा जाता है.