फूलों की घाटी, जिसे "Valley of Flowers" के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड राज्य में स्थित एक अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य है. जहां ऊंचे पहाड़, घने जंगल, बहती हुई नदियां और झरने इस राष्ट्रीय उद्यान के प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. यह 87.5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और 500 से ज्यादा अलग-अलग तरह के फूलों का घर है. साल 2005 से यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है.
आपको बता दें कि 1 जून 2024 से पर्यटकों के लिए वैली ऑफ फ्लावर्स के दरवाजे खोल दिए गए हैं. यह उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व में स्थित है. इस समय ज्यादातर राज्य लू से तप रहे हैं लेकिन फूलों की घाटी का तापमान फिलहाल 6 से 16 डिग्री के बीच है.
ब्रिटिशर्स ने की थी इसकी खोज
1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ ने इस क्षेत्र की खोज की और यहां 600 से ज्यादा प्रजातियों के फूलों की विविधता देखकर दंग रह गए. स्मिथ ने इस क्षेत्र को "वैली ऑफ फ्लावर्स" नाम दिया और इसकी सुंदरता के बारे में दुनिया को बताया. 1982 में, फूलों की घाटी को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. 1988 में यूनेस्को (UNESCO) ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी. 1990 के दशक से अब तक, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बन गया है.
इस पार्क में प्रबंधन के लिए कई पहल की गई हैं जैसे - कूड़ा-कर्कट जलाने पर बैन, पार्क में प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध और घोड़ों व खच्चरों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. पार्क में पर्यटकों की संख्या को सीमित करने के लिए परमिट प्रणाली शुरू की गई, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बचाया जा सके.
यहां देखने को मिलेंगे दुर्लभ फूल
यह जगह धरती पर मौजूद किसी स्वर्ग से कम नहीं है और एक बार तो यहां की ट्रिप बनती है. खासकर गर्मी के मौसम में जब हर तरफ आसमान से आग बरस रही हो तब यहां का तापमान आपको राहत देगा. आप यहां अपने परिवार, दोस्तों, और पार्टनर के साथ आकर सुकून के कुछ पल बिता सकते हैं.
किस मौसम में जा सकते हैं
वैली ऑफ फ्लावर्स घूमने का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर के बीच का होता है, क्योंकि इस समय ज्यादातर फूल खिल रहे होते हैं और यहां का दृश्य इतना मनोरम होता है कि आपके मन पर छप जाता है.
क्या-क्या कर सकते हैं
कैसे पहुंचे?
यह जगह उत्तराखंड के चमोली में है और यहां की यात्रा के लिए निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो लगभग 292 किलोमीटर दूर है. आप दिल्ली, मुंबई, चेन्नई सहित विभिन्न शहरों से देहरादून पहुंच सकते हैं. (हालांकि यहां बहुत कम सीधी उड़ानें हैं)। हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद, पर्यटक गोविंदघाट तक पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या बस ले सकते हैं, जो ट्रेक का आधार बिंदु है. इस ड्राइव में लगभग 10-12 घंटे लगते हैं.
अगर आप ट्रेन से यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो लगभग 273 किलोमीटर दूर है. गोविंदघाट पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशन पर कई टैक्सी और बस सुविधाएं उपलब्ध हैं. देहरादून, ऋषिकेश और उत्तराखंड के अन्य शहरों से नियमित सीधी बसें उपलब्ध हैं.
गोविंदघाट पहुंचने के बाद, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान तक की यात्रा लगभग 17 किमी की दूरी तय करती है. इसे दो खंडों में विभाजित किया गया है - पहला खंड घांघरिया तक 14 किमी की यात्रा का है जो बेस कैंप के रूप में काम करता है, और दूसरा घांघरिया से शुरू होता है और फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए 3 किमी की दूरी तय करता है.
यात्रा की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी