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Trip to Dwarka: श्रीकृष्ण के साथ-साथ शिव ज्योतिर्लिंग का भी घर है द्वारका नगरी, बहुत फेमस हैं यहां के द्वीप और बीच

Trip to Dwarka: द्वारका को श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में जाना जाता है. लेकिन यह कान्हाजी के साथ-साथ भगवान शिव की भी नगरी है. द्वारका प्राचीन मंदिरों और सुंदर समुद्र तटों की भूमि है, जो अपने आकर्षण से टूरिस्ट्स् को मंत्रमुग्ध कर देती है. यह पवित्र शहर हिंदू पौराणिक कथाओं में चार धामों में से एक है.

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हाइलाइट्स
  • नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का पौराणिक महत्व

  • द्वारकाधीश मंदिर जाए बिना अधूरी है यात्रा

गुजरात का द्वारका शहर सिर्फ द्वारकाधीश श्रीकृष्ण के लिए नहीं बल्कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है. भारत के चार धामों में से एक द्वारका भगवान शिव को समर्पित पवित्र ज्योतिर्लिंग का भी घर है. इस नगरी में श्रीकृष्ण भी विराजते हैं और यहां महादेव की भी कृपा है. अरब सागर के नीचे डूबी द्वारका को भारत के सात सबसे प्राचीन शहरों में से एक माना जाता है. 

क्या है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का पौराणिक महत्व
नागेश्वर अभयारण्य में प्रतिष्ठित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है, जिसका गहरा महत्व है. यह मंदिर द्वारका और गोमती के मध्य स्थित है. यह बेट द्वारका के द्वीप के पास बसा हुआ है. कहते हैं भगवान कृष्ण ने यहां पर शिवजी को रुद्राभिषेक करके प्रसन्न किया था. और शंकराचार्य ने यहां पर अपने कलिका पीठ की स्थापना की थी. 

कहते हैं कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव भक्तों की किसी भी प्रकार के विषों से रक्षा करता है. पवित्र रुद्रा संहिता में भी इस जगह का वर्णन है. इसमें इसे दारुकावन नागेश्वरम के रूप में दर्शाया गया है. 

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दारुका की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, दारुका भगवान शिव का भक्त था, लेकिन उनकी शक्ति से गुमराह हो गया और अहंकारी हो गया. वह ऋषि-मुनियों तथा अन्य प्राणियों को कष्ट देने लगा. तब भगवान शिव एक ज्योतिर्लिंग के रूप में उस स्थान पर प्रकट हुए जिसे अब नागेश्वर के नाम से जाना जाता है. इस ज्योतिर्लिंग को "दारुकावन नागेश्वर" या दारुका वन के नागेश्वर के रूप में जाना जाता था. भगवान शिव ने राक्षस दारुका का वध किया, जिससे दुनिया को उसके अत्याचार से मुक्ति मिली. माना जाता है कि इस कार्य के दौरान भगवान शिव से जो दिव्य ऊर्जा निकली, उससे नागेश्वर में ज्योतिर्लिंग का निर्माण हुआ. 

द्वारकाधीश मंदिर जाए बिना अधूरी है यात्रा
द्वारका का सबसे प्रमुख मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर है. यह ऐतिहासिक हिंदू मंदिर जगत मंदिर या 'दुनिया का मंदिर' के रूप में भी जाना जाता है. 2500 साल पुराने इस मंदिर में सुभद्रा, बलराम और रेवती, वासुदेव, रुक्मिणी और अन्य को समर्पित मंदिर भी हैं. द्वारकापीठ या द्वारका मठ, 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख मठों (या सीखने की प्राचीन सीटों) में से एक यहां स्थित है. इस मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय जनमाष्टमी और नवरात्रि के दौरान होता है. 

गोमती संगम घाट
द्वारिकाधीश मंदिर के स्वर्ग द्वार से 56 सीढ़ियां चढ़कर प्रतिष्ठित गोमती नदी के किनारे स्थित गोमती घाट तक पहुंचा जा सकता है. गोमती गंगा की एक सहायक नदी है जिसे हिंदू ऋषि वशिष्ठ की बेटी माना जाता है. वह स्थान जहां यह नदी समुद्र से मिलती है, जिसे गोमती संगम के नाम से जाना जाता है. इसे सबसे पवित्र माना जाता है. गोमती संगम घाट समुद्र नारायण मंदिर का स्थान भी है, जो देवी गोमती को समर्पित है, और अपने पंचनद तीर्थ या पांच मीठे पानी के कुओं के लिए जाना जाता है. 

बेट द्वारका
तट से कुछ दूर स्थित, इस द्वीप द्वारका की तीर्थयात्रा पर अवश्य जाना चाहिए. बेट द्वारका कभी भगवान कृष्ण और उनके परिवार का निवास स्थान था. इस सुरम्य द्वीप में अब सुंदर सफेद रेत के समुद्र तटों, मूंगा चट्टानों और जल क्रीड़ा सुविधाओं के साथ-साथ कृष्ण को समर्पित कई मंदिर हैं.  रोमांच के शौकीनों के लिए यहां के बीच सर्फिंग के लिए बेहतरीन हैं.

इसके अलावा भी यहां पर और बहुत से मंदिर और बीच हैं जहां आप घूम सकते हैं. द्वारका जाने के लिए आप बस, ट्रेन या फ्लाइट की टिकट बुक कर सकते हैं.