नासिक से लगभग 30 किमी दूर, धार्मिक शहर त्र्यंबकेश्वर भगवान शिव के सबसे प्रसिद्ध और अद्वितीय ज्योतिर्लिंगों में से एक का घर है. शहर का आधिकारिक नाम त्र्यंबक है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे मंदिर के नाम पर त्र्यंबकेश्वर कहते हैं. मंदिर परिसर में एक तालाब गोदावरी नदी का स्रोत है. यहां का शांतिपूर्ण वातावरण त्र्यंबकेश्वर को प्रकृति प्रेमियों और आध्यात्म की तलाश करने वालों के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन बनाता है.
त्रिदेव के होंगे दर्शन
त्र्यंबकेश्वर मंदिर को जो चीज़ अलग करती है वह है शिव ज्योतिर्लिंग जिसके तीन मुख हैं; वे भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव का प्रतीक हैं. मंदिर पूरी तरह से काले पत्थरों से बना है और इसके शिखर पर एक सुनहरा त्रिशूल लगा हुआ है. मंदिर के बरामदे को नक्काशीदार खंभों और मेहराबों से सजाया गया है, वहीं दीवारों पर फूलों के डिजाइन और विभिन्न देवी-देवताओं की आकृतियों को जटिल रूप से उकेरा गया है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पेशवा बालाजी बाजीराव ने करवाया था.
त्र्यंबकेश्वर में सिंहस्थ कुंभ मेला 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है. कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं जो अपने पापों को धोने के लिए गोदावरी में डुबकी लगाते हैं। त्र्यंबकेश्वर में शिवरात्रि का वार्षिक उत्सव भी उत्साह के साथ मनाया जाता है. आप अक्टूबर से मार्च के बीच यहां की ट्रिप प्लान कर सकते हैं. मंदिर के अलावा यहां और भी कई जगहें हैं, जो आपको आकर्षित करेंगी.
पहाड़ और झरनों को देख मन होगा खुश
त्र्यंबकेश्वर पहाड़ों और खूबसूरत जंगलों से घिरा है. आप यहां पर कई झरने भी देख सकते हैं. आप यहां दुर्गावाड़ी झरना देख सकते हैं और फोटोग्राफी कर सकते हैं. इसके अलावा, यहां पर अंजनेरी हिल्स भी प्रसिद्ध हैं. इस पहाड़ का संबंध हनुमानजी से बताया जाता है इसलिए इसका नाम अंजनेरी है. सह्याद्री रेंज में बसा हरिहर किला भी अनोखी विरासत है जो आर्किटेक्चर की समझ रखने वालों को तो जरूर देखना चाहिए. इसके अलावा आप यहां अंगूर के बागान देख सकते हैं.
त्र्यंबकेश्वर से कुछ दूरी पर ही सप्तश्रुंगी पहाड़ है, मान्यता है इसी पर्वत से हनुमान जी संजीवनी लेकर गए थे. कुछ दूर पर दूधसागर फॉल्स भी हैं जिन्हें 'Sea of Milk' कहा जाता है. इसके अलावा यहां पर आप पांडवलेनी गुफा, कॉइन म्यूजियम, आर्टिलरी म्यूजियम और सीता गुफा जैसी जगहें देख सकते हैं.