भारत के सबसे प्रतिष्ठित मंदिर स्थलों में से एक, केदारनाथ शहर शक्तिशाली गढ़वाल हिमालय में बसा है. प्रतिष्ठित केदारनाथ मंदिर के आसपास बसा यह शहर चोराबाड़ी ग्लेशियर के पास 3,580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जो मंदाकिनी नदी का स्रोत है. भगवान शिव को समर्पित, इस प्राचीन मंदिर के अंदर एक शंक्वाकार चट्टान की संरचना को भगवान शिव के "सदाशिव" रूप में पूजा जाता है. भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर, चार धाम तीर्थयात्रा सर्किट का एक हिस्सा है, और भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. केदारनाथ मंदिर के पीछे, केदारनाथ शिखर, केदार गुंबद और अन्य हिमालयी चोटियां हैं.
इस क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम "केदार खंड" है और किंवदंती है कि पांडवों को कौरवों को हराने के बाद आत्मग्लानि हुई कि उन्होंने इतने सारे लोगों को मारा और इस पाप से मुक्ति के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद मांगा. लेकिन भगवान ने बार-बार उनकी परीक्षा ली. भगवान शिव बैल के रूप में केदारनाथ चले गए. पांडव भी उनके आशीर्वाद के लिए यहां पहुंचे. तब भगवान बैल के रूप में ही जमीन में समाने लगे लेकिन भीम ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की और ऐसे में सिर्फ उनका कूबड़ सतह पर रह गया. भगवान शिव ने बाद में पांडवों को दर्शन देकर आशीष दिया. बाद में, भगवान के कुबड़ को उनका रूप मानकर उनकी यहां पूजा होने लगी.
भगवान शिव के शेष भाग चार अन्य स्थानों पर प्रकट हुए और वहां उनके स्वरूपों के रूप में पूजा की जाती है. भगवान की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, पेट मद्महेश्वर में और उनकी जटाएं कल्पेश्वर में प्रकट हुईं. केदारनाथ और उपर्युक्त चार मंदिर श्रद्धेय पंच केदार तीर्थयात्रा सर्किट बनाते हैं.
केदारनाथ यात्रा का सबसे अच्छा समय
केदारनाथ की यात्रा के लिए मई से अक्टूबर तक का समय सबसे अच्छा है. सर्दियों के महीनों के दौरान, भारी बर्फबारी के कारण शहर बंद रहता है. आप यहां मंदिर में दर्शन करने के अलावा सोनप्रयाग, चोरबारी बमक ग्लेशियर, केदारनाथ पर्वत, केदार गुंबद, केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी, आदि शंकराचार्य समाधि, सुमेरू पर्वत, भैरवनाथ मंदिर, और गौरीकुंड जैसे जगहों पर भी घूम सकते हैं. बात एक्टिविटीज की करें तो यहां पर कई ट्रेक रूट्स हैं जहां ट्रेकिंग की जा सकती है. बहुत से लोग कैंपिंग के लिए यहां आते हैं. यहां पर आप रॉक क्लाइंबिंग भी कर सकते हैं.
कैसे पहुंच सकते है केदारनाथ
फ्लाइट से
केदारनाथ का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो 238 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जॉली ग्रांट हवाई अड्डा रेगुलर फ्लाइट्स के माध्यम से दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. जॉली ग्रांट हवाई अड्डे और गौरीकुंड के बीच अच्छी कनेक्टिविटी है. यहां से आपको गौरीकुंड के लिए टैक्सी मिल जाती हैं और वहां से आप केदारनाथ पहुंच सकते हैं.
ट्रेन से
केदारनाथ का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है. ऋषिकेश रेलवे स्टेशन NH58 पर केदारनाथ से 216 किलोमीटर पहले स्थित है. ऋषिकेश भारत के प्रमुख स्थलों के साथ रेलवे नेटवर्क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. ऋषिकेश के लिए ट्रेनें अक्सर चलती रहती हैं. ऋषिकेश से गौरीकुंड तक टैक्सी और बसें आसानी से उपलब्ध हैं.
रोड से
गौरीकुंड वह बिंदु है जहां से केदारनाथ की सड़क समाप्त होती है और 14 किमी का आसान ट्रेक शुरू होता है. गौरीकुंड की उत्तराखंड और भारत के उत्तरी राज्यों के प्रमुख स्थलों से सड़कमार्ग के जरिए अच्छी कनेक्टिविटी है. दिल्ली में ISBT कश्मीरी गेट से ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए बसें उपलब्ध हैं. गौरीकुंड के लिए बसें और टैक्सियां उत्तराखंड के प्रमुख स्थलों जैसे देहरादून, ऋषिकेष, हरिद्वार, टिहरी, उत्तरकाशी, श्रीनगर, चमोली आदि से आसानी से उपलब्ध हैं. गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग 109 पर स्थित है जो रुद्रप्रयाग को केदारनाथ से जोड़ता है.
ट्रिप के लिए कितना हो बजट
आप किस तरह से ट्रेवल कर रहे हैं और आपकी ट्रिप कितने दिन की है, इस सबके आधार पर आपका बजट 5000 रुपए से 40-50,000 रुपए तक भी जा सकता है. लेकिन कुछ ट्रेवल ब्लॉग्स के हिसाब से 15-20 हजार रुपए के बजट में आप तीन-चार दिन के लिए केदारनाथ की अच्छी ट्रिप कर सकते हैं. हालांकि, आप किस जगह से केदारनाथ के लिए ट्रेवल कर रहे हैं, इस पर भी आपका बजट निर्भर करता है. केदारनाथ यात्रा का बजट ट्रांसपोर्टेशन, स्टे, फूड, एंट्री फीस और दूसरे कई खर्चों से प्रभावित होता है. आप ट्रिप से पहले इन सब चीजों की लिस्ट बनाएं और एवरेज खर्च के आधार पर बजट तय करें.