
आज भी बहुत से घर ऐसे हैं जहां बेटियों को बाहर जाने से पहले भी हजार बार सोचना पड़ता है तो वहीं बहुत सी ऐसी बेटियां हैं जो चारदीवारी से निकलकर दुनिया घूम रही हैं और इस सोच को बदल रही हैं. इन्ही बेटियों में से एक हैं मीनाक्षी दास, जिन्होंने 64 देशों की यात्रा बाइक से की है और ऐसा करके उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा है.
16 साल की उम्र से चला रही हैं बाइक
टेलेग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मीनाक्षी 16 साल की थीं, और तब से ही वह काइनेटिक होंडा चला रही हैं. ट्रेवलिंग की बात करें तो वह शुरुआत में अपने पति के साथ बाइक पर अरुणाचल प्रदेश और मेघालय की ट्रिप पर गई थीं. उस यात्रा के दौरान उन्होंने तय किया कि वह एक दिन सोलो ट्रेवलिंग करेंगे. फिटनेस ट्रेनर के तौर पर काम करने और सालों तक बचत करने के बाद, उन्होंने 2019 में अपनी पहली बाइक, यामाहा आर15 वी3 खरीदी. कुछ महीने बाद, वह दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल सड़क, उमलिंग ला दर्रे (लद्दाख में) से गुजरने वाली दुनिया की दूसरी महिला बन गईं.
वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का फैसला
साल 2022 में, मीनाक्षी ने नेपाल की सोलो ट्रेवल की. उन्हें इस यात्रा में बहुत मजा आया लेकिन उन्होंने देखा कि महिलाओं के अकेले ट्रेवल करने को लेकर लोग अभी भी बहुत खुश नहीं हैं. इस धारणा को बदलने के लिए उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का फैसला किया. शुरुआत में, उन्होंने लंदन जाने का फैसला किया, लेकिन पहले भी कई लोग ऐसा कर चुके थे. फिर उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाने का लक्ष्य तय किया.
उनकी कैल्कुलेशन के मुताबिक, इस यात्रा की कुल लागत 54 लाख रुपये थी. उन्होंने सपॉन्सर्स तलाशना शुरू किया. मीनाक्षी ने पर्यटन और खेल मंत्रालयों के साथ-साथ केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से संपर्क किया. लेकिन उन्हें मदद नहीं मिली. लेकिन मीनाक्षी ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी जमीन गिरवी रख दी और शेष राशि के लिए, मीनाक्षी ने क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया. अपने खाते में 20 लाख रुपये के साथ वह दिसंबर 2023 में यात्रा पर निकल पड़ीं.
ट्रेवल के दौरान सामने आईं कई चुनौतियां
उनकी यात्रा इतनी आसान नहीं थी. उन्हें कई जगह परेशानियों का सामना करना पड़ा. जैसे यमन और ओमान के बीच तनाव के कारण उन्हें रूट बदलना पड़ा. जिस एनजीओ ने उनकी फेरी को स्पॉन्सर करने का वादा किया था वह पीछे हट गया. मीनाक्षी ने खुद 2.8 लाख रुपये खर्च किए और कतर पहुंचीं. जॉर्डन में एंट्री से पहले वह बहरीन और सऊदी अरब से होकर गुज़री. यहां उन्होंने रेतीला तुफान देखा. वह इराक जाना चाहती थीं लेकिन इराक में बम विस्फोट हो गया.
मीनाक्षी ने जॉर्डन में 13 दिन बिताए, जहां प्रियंका नाम की एक मलयाली महिला ने उन्हें घर की तरह रखा. उस महिला ने मीनाक्षी को विदा करते समय 500 डॉलर भी दिए जिससे मीनाक्षी की काफी मदद हुई. हालांकि, परेशानियां कम नहीं थीं. जॉर्जिया से तुर्की जाते समय उन्हें वीज़ा देने से इनकार कर दिया गया और ईरान लौटने को कहा गया. लेकिन दूसरे दिन, तुर्की सीमा पर अलग कर्मचारी आए और उन्हें वीज़ा मिल गया.
बिना रुके सात घंटे में 850 किमी की यात्रा
मीनाक्षी की यूरोप यात्रा भी मुश्किल थी. मीनाक्षी जहां भी जाती थीं, वीजा की दिक्कतें उनका साथ देती थीं. उनका शेंगेन वीज़ा भी उनकी यात्रा खत्म होने से पहले ही समाप्त होने लगा था और तब मीनाक्षी को एथेंस दूतावास तक पहुंचने के लिए बिना रुके सात घंटे में 850 किमी की यात्रा करनी पड़ी. वह अपने शेंगेन वीजा के आखिरी दिन फ्रांस से यूके में दाखिल हुईं. उन्होंने 10 दिनों में आठ देशों को कवर किया.
वह 22 दिसंबर 2024 को 50 से ज्यादा देशों की यात्रा करके घर लौंटी. घर वापस आना उनके लिए सुखद अनुभव था. उन्हें अपनी उपलब्धि की खुशी है और साथ ही, गम भी कि इसके लिए उन्हें लंबे समय तक घर से दूर होना पड़ा. लेकिन कोई भी बात उन्हें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती. अभी भी वह अपनी अगली ट्रिप की तैयारी में हैं. लेकिन इस बार वह अपने पति के साथ ट्रिप पर जाएंगी.