

'हम दूसरे देश में एक आइलैंड पर रुके हुए थे. शाम का समय था. कुछ दूर एक बोट पर दो मछुआरे थे. सोने की तैयारी कर रहे थे. हमने इशारे से उनसे पूछा, हमें प्याज चाहिए, क्या इस आइलैंड पर मिलेगा? उनको समझ नहीं आया कि हमने क्या मांगा है? वो अपनी बोट से हमारे पास आए. अपनी बोट से हमें आइलैंड पर ले गए. वहां लोगों से बात करके उन्होंने हमें ढेर सारी प्याज दी. हमने उसे पैसे देने चाहे लेकिन उसने लेने से मना कर दिया'.
ये अनुभव एक भारतीय कपल का है जो समुद्र में एक छोटी-सी बोट पर रहते हैं. कैप्टन गौरव गौतम अपनी पत्नी वैदेही के साथ एक छोटी-सी नाव से पूरी दुनिया घूम रहे हैं. कैप्टन गौरव गौतम ने नाव से दुनिया घूमने के लिए घर, गाड़ी समेत सब कुछ बेच दिया.
गौरव गौतम अपनी फैमिली के साथ समन्दर में 42 फुट की एक बोट पर रहते हैं. ये पहली भारतीय फैमिली है जो समन्दर में फुल टाइम सेलिंग कर रही है. आइए कैप्टन गौरव गौतम के इस अनोखे सफर के बारे में जानते हैं.
बोट से दुनिया घूमने का आइडिया
कैप्टन गौरव गौतम एक रिटायर्ड नेवी ऑफिसर हैं. कैप्टन गौरव गौतम ने इंडियन नेवी में 30 साल काम किया. उनकी पत्नी वैदेही मीडिया इंडस्ट्री में काम करती थीं. अब दोनों लोग नौकरी छोड़कर बोट से दुनिया घूम रहे हैं. गुड न्यूज टुडे से बातचीत में गौरव गौतम ने बताया कि हमारा घूमने का तरीका अलग है. हम बोट से घूमते हैं. 2015 में मैं नेवी की एक शिप के साथ यूरोप गया था. वहां पर देखा कि बहुत सारे लोग परमानेंट छोटी-सी बोट में रहते हैं. वहां से इस तरह से ट्रैवल करने का आइडिया आया.
कैप्टन गौरव गौतम बताते हैं कि ये कॉनसेप्ट हमारे यहां नहीं है. लोग ऐसा नहीं करते हैं. जैसे-जैसे पॉपुलेशन बढ़ रही है. घर में रहना महंगा हो रहा है. आने वाले समय में घर किराए पर लेने के मुकाबले में बोट में रहना सस्ता होगा. गौरव गौतम ने कहा, लोग सोचते हैं कि सेलिंग तो अमीर आदमी का काम है लेकिन ऐसा नहीं है. एस छोटी नाव से लोकल सेलिंग भी कर सकते हैं और बड़ी नाव खरीदकर दुनिया भी घूम सकते हैं.
36 साल पुरानी नाव
इस भारतीय परिवार ने धरती छोड़कर समुद्र में अपना आशियाना बना लिया. कैप्टन गौरव अपने परिवार के साथ 42 फीट की नाव में रहते हैं. उनकी बेटी काया बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती है. छुट्टियों में काया इस बोट पर अपने माता-पिता के साथ रहती है. कैप्टन गौतम कहते हैं, आज के समय में जब बच्चे पूरे समय मोबाइल में घुसे रहते हैं, हम उसको कुछ अलग सिखा रहे हैं. हम इससे खुश हैं.
कैप्टन गौरव गौतम और वैदेही एक छोटी-सी नाव में रहते हैं. इस बोट के अंदर दो छोटे कमरे हैं. बोट में छोटा-सा डाइनिंग एरिया, किचन, बाथरूम, टॉयलेट फ्रिज और फ्रीजर जैसी तमाम चीजें हैं. अपनी बोट के बारे में बात करते हुए कैप्टन गौतम कहते हैं, हमारी छोटी-सा नाव हवा से चलती है. सारे इक्विपमेंट सोलर पैनल से काम करते हैं. हमारी बोट में फ्रिज, फ्रीजर, गैस समेत कई सारी सुविधाएं है. इसमें पावर बैटरी से आती है और बैटरी सोलर पैनल से चार्ज होती है. हम खाना खुद बनाते हैं और पानी भी खुद बना रहे हैं.
रीवा नाम ही क्यों?
कैप्टन गौरव गौतम की बोट का नाम रीवा है. इस बोट की भी एक दिलचस्प कहानी है. गौरव गौतम बताते हैं, समुद्र में घूमने का सपना कोविड की वजह से पूरा हुआ क्योंकि उस दौरान नाव की कीमत कम हो गई और हमें ये बोट लेने का मौका मिला. ये बोट 36 साल पुरानी है, छोटी-सी नाव 1988 में बनी थी. इसके पुराने मालिक अमेरिका से थे. उनकी उम्र काफी ज्यादा हो गई थी. उनको इसका रखरखाव करने में दिक्कत हो रही थी. इस तरह से हमें ये बोट मिली.
'हम काफी लकी थे कि हमें ऐसी बोट मिल गई जो पहले से किसी का घर थी’. बातचीत में गौरव गौतम इस बात का जिक्र करते हैं. बोट के नाम के बारे में गौरव बताते हैं, हम कुछ ऐसा नाम रखना चाहते थे जो भारतीयता से जुड़ा हुआ हो. रीवा दुर्गा का एक नाम है, भारत में रीवा एक नदी भी है. कुछ भाषाओं में रीवा को नदी का किनारा भी बोलते हैं. हमारी बेटी का मिडिल नेम भी रीवा है. यही वजह है कि हमने अपनी बोट का नाम रीवा रखा. हमने उसका फोन्ट भी देवनागरी में रखा.
परिवार का रिएक्शन
कैप्टन गौरव गौतम हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं. धरती से समुद्र में शिफ्ट होने के आइडिया को लेकर गौरव गौतम को परिवार को मनाने में काफी दिक्कत आई. कैप्टन गौरव ने बताया कि पहाड़ी लोगों को वैसे भी पानी से ज्यादा मतलब नहीं होता है. काया और वैदेही को मनाना नहीं पड़ा. मेरे केस में किस्मत अच्छी थी कि पत्नी एक बार में पूछने पर मान गई.
कैप्टन गौतम बताते हैं कि मम्मी-पापा को मनाने में काफी समय लगा. परिवार वालों को हमारी चिंता हो रही थी कि नौकरी छोड़कर उल्टी दिशा में क्यों जा रहे हो लेकिन अब उनको समझ आ गया है. हम रोज घर में उनसे बात करते हैं. अब आजादी है तो साल में दो बार घर भी हो आते हैं.
अथाह समन्दर की चुनौती
समुद्र में रहना है तो मेंटली यंग रहने की जरूरत है. सिचुएशन के हिसाब से ढलना आना चाहिए. समन्दर में जिंदगी बसर करने की चुनौतियों को लेकर गौरव बताते हैं कि हम पोर्ट ब्लेयर आए थे. हमने सोचा था कि कस्टम इमिग्रेशन करने के बाद आइलैंड घूमने निकल पड़ेंगे. जैसे ही यहां पहुंचे कोस्ट गार्ड और लोकल अथॉरिटी की ओर से कहा गया कि मौसम बहुत खराब है, अंदर ही रहो. अब जब मौसम सही होगा तो घूमने निकल पड़ेंगे.
नाव से इस तरह से घूमते हुए कैप्टन गौरव गौतम और वैदेही चिटवानी को दो साल से ज्यादा का समय हो गया है. इस बारे में गौरव गौतम कहते हैं, अब इस तरह से रहने की आदत हो गई है. धरती पर रहते थे तो रात में 9 बजे तक खाना होता था. यहां 6-7 बजे तक खाना खा लेते हैं क्योंकि फिर अंधेरा हो जाता है. गौरव जी हंसते हुए बताते हैं कि समुद्र में रहने से फिजीकली फिट हो गया हूं. जब मैं आया था तब मेरा वजन 95 किलो था. अब मेरा वेट 83 किलो हो गया है. हम तीनों लोग खुश हैं.
समुद्र में वीजा-इमिग्रेशन
फ्लाइट से जब दूसरे देश जाते हैं तो वीजा समेत कई चीजें करनी पड़ती हैं. समुद्र में अपनी बोट से दूसरे देश जाने की प्रोसेस के बारे में कैप्टन गौरव गौतम ने बात की. उन्होंने बताया कि हम बोट से जाते हैं तो हमें तीन चीजें करनी होती हैं, इमिग्रेशन, कस्टम और हार्बर. इमिग्रेशन मेरे और वैदेही के लिए होता है. कस्टम बोट का होता है. यानी कि हमें बोट की एंट्री करानी होती है. बोट की चेकिंग भी होती है.
कैप्टन गौरव गौतम ने बताया कि इमिग्रेशन, कस्टम और हार्बर. किसी भी देश में एंट्री करते समय और वहां से निकलते समय हमें ये तीन चीजें करनी होती हैं. वीजा का रेगुलेशन सेम होता है. हम वहीं का वीजा लेते हैं जो ऑनलाइन होता है क्योंकि ऑफलाइन पॉसिबल नहीं है. मैं सेलिंग और बोट का काम संभालता हूं और डाक्यूमेंट का काम वैदेही संभालती है.
जिंदगी हुई स्लो
समन्दर ने कैप्टन गौरव गौतम की जिंदगी को बदल दिया है. अब वो खुलकर जी रहे हैं. समुद्र में रहने के फायदों को लेकर कैप्टन बताते हैं, मैं पहले से काफी खुश हूं. हम तीनों इमोशनली और मेंटली अच्छी जगह पर हैं. शहरों में रहते हैं तो हर चीज में जल्दबाजी होती है लेकिन यहां आकर हम खुद को स्लो डाउन करते हैं. लंबे समय से नाव में रह रह गौरव गौतम बताते हैं कि समन्दर में वही लोग रह पाएंगे जिनको पानी से लगाव है. साथ में जिनको एडवेंचर का शौक होता है, उनको भी ये करने में मजा आएगा. अगर चार दीवारी में रहना पसंद है तो फिर यहां मुश्किल होगी.
बोट पर इस भारतीय परिवार ने एक घर बसाया हुआ है. खाने बनाने के लिए किचन है. 400 लीटर फ्रेश वाटर नाव में रखते हैं. इसके अलावा खारे पानी को फ्रेश वाटर की मशीन भी रखे हुए है. इसको लेकर गौरव गौतम ने बताया कि सबसे पहले हरी सब्जियां खत्म होती हैं. हम उनको ज्यादा देर नहीं रख सकते हैं. आसपास के आइलैंड में खाने-पीने का सामा मिल जाता है. कैप्टन गौरव कहते हैं, अगर आपको अंडमान में कटहल चाहिए तब मुश्किल होगा. जहां पर हैं, वहां की चीजों को इस्तेमाल करिए.
आगे का प्लान
वैसो ते दुनिया घूमनी है लेकिन जल्दी नहीं है. धीरे-धीरे सब करना है. कैप्टन गौरव गौतम ने 42 फुट की बोट से दुनिया घूमने के प्लान के बारे में बताया. गौरव जी ने कहा, वैसे तो हमारा दुनिया घूमने का प्लान है. इस साल हम कंबोडिया और वियतनाम ईस्ट की तरफ जाने का सोच रहे हैं. हम ज्यादा लंबा प्लान नहीं कर पाते हैं क्योंकि हमारा प्लान वीजा और मौसम पर डिपेंड करता है.
इस तरह से घूमने को लेकर कैप्टन गौरव ने कहा कि जान-पहचान के लोग तो हेल्प करते ही हैं लेकिन बहुत सारे अनजान लोग मिले हैं जिन्होंने बिना कुछ वापस मांगे हमारी मदद की है. गौरव गौतम ने एक किस्से का जिक्र करते हुए कहा, एक बार हमारी नाव से कहीं जा रहे थे, सैंड में एक जगह फंस गए. कुछ लोगों से मदद मांगी. उन्होंने अपनी बोट से हमारी बोट बांधी सुरक्षित जगह पहुंचाया और बाय बोलकर निकल गए. कैप्टन गौरव बताते हैं कि समुद्र में घूमते हुए कई सारी दिक्कतें आती हैं लेकिन साथ में रहते हुए हम उनका सबका सामना आसानी से कर लेते हैं.