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Valley of Flowers Trip: फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब जाना होगा और भी आसान, बनेगी नई सड़क

फूलों की घाटी अपनी खूबसूरती और वनस्पतियों की वजह से फेमस है. नई सड़क से अधिकारियों का अनुमान है कि यह दूरी कम हो जाएगी, जिससे पर्यटकों के लिए आना और जाना सुविधाजनक हो जाएगा. 

Valley of Flowers Valley of Flowers
हाइलाइट्स
  • छोटा हो जाएगा रास्ता 

  • चुनौतियां होंगी कम 

वैली ऑफ फ्लावर्स (Valley of Flowers) जाना अब और भी आसान हो गया है. केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के चमोली जिले के पुलना को भ्यूंडार गांव से जोड़ने वाली 7.2 किमी लंबी सड़क के निर्माण को मंजूरी दे दी है. इसकी मदद से फूलों की घाटी तक पहुंचना पहले से आसान हो जाएगा. बता दें, फूलों की घाटी गढ़वाल हिमालय में स्थित है और ये जगह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में आती है. अधिकारियों के मुताबिक, ये सड़क घाटी के वर्तमान ट्रैकिंग रूट को लगभग 7 किमी कम कर देगी.

छोटा हो जाएगा रास्ता 

वर्तमान में, फूलों की घाटी, जो अपनी खूबसूरती और वनस्पतियों की वजह से फेमस है जाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. ट्रेक के शुरुआती बिंदु, घांघरिया से 12 किमी की कठिन यात्रा शुरू होती है. नई सड़क के उद्घाटन के साथ, अधिकारियों का अनुमान है कि यह दूरी कम हो जाएगी, जिससे पर्यटकों के लिए आना और जाना सुविधाजनक हो जाएगा. 

इसके अलावा, प्रस्तावित सड़क हेमकुंड साहिब के प्रतिष्ठित सिख मंदिर की तीर्थयात्रा को भी काफी छोटा कर देगी, जो घांघरिया से शुरू होती है. वर्तमान में तीर्थयात्रियों को मंदिर तक पहुंचने के लिए 15 किमी की चुनौतीपूर्ण यात्रा करनी पड़ती है, लेकिन नई सड़क के साथ, यह दूरी आधी होकर लगभग 8 किमी हो जाएगी. इस बदलाव से पवित्र गुरुद्वारे के पास स्थित बर्फ से ढकी हेमकुंड झील पर जाने वाले भक्तों को भी काफी फायदा होगा.

परियोजना की तैयारी

चमोली के जिला मजिस्ट्रेट हिमांशु खुराना ने टाइम्स ऑफ इंडिया को परियोजना के बारे में बताया. उन्होंने कहा, "हमें केंद्र से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है और हम पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं." इस बीच, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रहा है. हम इस महत्वपूर्ण सड़क परियोजना के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, और मंजूरी मिलते ही काम जल्द से जल्द शुरू हो जाएगा.”

चुनौतियां होंगी कम 

हर साल, 2 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री 4,329 मीटर (15,000 फीट) की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब मंदिर की यात्रा पर निकलते हैं. इस तीर्थयात्रा का एक बड़ा हिस्सा चार धाम यात्रा के साथ मेल खाता है, जिसके दौरान यह क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है. नतीजतन, तीर्थयात्रियों को मंदिर तक पहुंचने के लिए 15 किमी की कठिन यात्रा करनी पड़ती है, साथ ही साइट पर रात भर रहने की जगह की कमी के कारण कई लोगों को उसी दिन वापसी करनी होती है. लेकिन अब ये बदल जाएगा.