इन 10 फिल्मों ने दिखाई दंगों की सच्चाई

डायरेक्टर गोविंद निहलानी की तमस फिल्म बंटवारे की मार झेले प्रवासी सिख और हिंदू परिवारों की दुर्दशा का खाका खींचती है. 

ट्रेन टू पकिस्तान फिल्म भारत-पाक बंटवारे के दौर की कहानी कहती है. पाकिस्तान से लाशों से भरी ट्रेन आती है तो ऐसी ही एक ट्रेन पाक भेजने की कवायद शुरू होती है.

पिंजर फिल्म में मनोज बाजपेयी और उर्मिला मातोंडकर लीड रोल में हैं. 2003 में बनी यह मूवी पार्टीशन के समय महिलाओं के साथ हुई ज्यादती को पेश करती है.  

देव फिल्म 2004 में आई. यह फिल्म 2002 के गुजरात दंगों की सच्चाई बताती है.

चांद बुझ गया मूवी गुजरात दंगों के बैकड्रॉप पर आधारित है. इसे बॉम्बे हाइकोर्ट के दखल के बाद रिलीज किया गया था.

परजानिया फिल्म 2002 के गुजरात दंगों पर बेस्ड है. मूवी एक 10 वर्षीय पारसी लड़के की सच्ची कहानी से इंस्पायर्ड है.

फिराक फिल्म गुजरात दंगे के बाद बनी थी. फिल्म में दिखाया गया है कि दंगे से लोगों का जीवन कितना प्रभावित हुआ. 

सुशांत सिंह राजपूत की डेब्यू फिल्म काय पो छे में गुजरात दंगों के कुछ भयानक पहलू दिखाए गए हैं.

पंजाब 1984 फिल्म एक ऐसी घटना के बारे में बताने की कोशिश करती है, जो उन लोगों के जीवन में घटी जो इंदिरा गांधी की हत्या का हिस्सा थे ही नहीं. 

फिल्म शिकारा, एक यंग कपल की कहानी है, जो सांप्रदायिक तनाव के चलते हजारों कश्मीरी पंडितों की तरह कश्मीर छोड़ने को मजबूर हुआ.