शायर और मशहूर गीतकार अंजान का जन्म 28 अक्टूबर 1930 को हुआ था. जबकि 13 सितंबर 1997 को निधन हो गया.
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अंजान ने बीएचयू से एमकॉम किया था. उनको बचपन से ही कविता और गीत लिखने का शौक था. उनका असली नाम लालजी पांडेय था.
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दोस्तों से पैसे उधार लेकर साल 1953 में मुंबई पहुंचे थे. इस शहर में वो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकालते थे.
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मुंबई में शुरुआती दिनों में अंजान के पास काम नहीं था. कई रातें उन्होंने लोकल ट्रेन में गुजारी. अपार्टमेंट्स की सीढ़ियों के नीचे बिस्तर लगा लेते थे.
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फिल्म 'गोलकुंडा का कैदी' में पहली बार अंजान ने 'प्यार की राह दिखा दुनिया को...' गाना लिखा. इसके लिए उनको 500 रुपए मिले थे.
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फिल्म 'बंधन' का गाना 'आ जाओ आ भी जाओ, हमको यू ना सताओ...' से अंजान को पहचान मिली.
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गीतकार अंजान ने खून-पसीना, मुकद्दर का सिकंदर, डॉन जैसी फिल्मों के लिए गीत लिखे.
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फिल्म 'डॉन' का फेमस गाना 'खईके पान बनारस वाला...' को 20 मिनट में लिखा गया था. इसे गीतकार अंजान ने लिखा था.
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गीतकार अंजान का गीत 'अपनी तो जैसे-तैसे कट जाएगी, आपका क्या होगा जनाबे अली...' दर्शकों को खूब पसंद आया. आज भी ये गाना लोगों की जुबां पर रहता है.
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गीतकार अंजान ने 'छू कर मेरे मन को', 'मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है', 'मुझे नौ लखा मंगा दे रे', 'तेरे जैसा यार कहां' जैसे यादगार गीत लिखे थे.
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